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मुंबई की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा चावड़ा मां बनीं

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मुंबई(एजेंसी):महिला दिवस के ठीक पहले उनके जीवन में किलकारियां गूंज उठीं। मुंबई की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा चावड़ा मां बन गई हैं। उन्होंने सोमवार की सुबह में जसलोक अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

हर्षा इस समय 29 साल की हैं। उनकी शादी पिछले साल 14 मई माटुंगा निवासी वित्तीय सलाहकार दिव्यपाल शाह से हुई थी। प्रसव कराने वाली डाॠक्टर इंदिरा हिंदूजा ने मीडिया को बताया कि हर्षा ने प्राकृतिक तरीके से गर्भ धारण किया था। उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। इस बच्चे का वजन 3.18 किलोग्राम है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

इधर, पिता बनने पर हर्षा के पति दिव्यपाल ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वह अपनी खुशी का इजहार शब्दों में नहीं कर सकते हैं। वह अपनी पत्नी और बच्चे को घर ले जाने के लिए बेचैन हैं।

टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा का जन्म 6 अगस्त 1986 में मुंबई के केईएम अस्पताल में हुआ था। उनके जन्म में डाॠक्टर इंदिरा हिन्दूजा का बड़ा योगदान था। उस समय इंदिरा ही उनकी डाक्टर थीं। यह संयोग है कि अब हर्षा का प्रसव भी उनकी देखरेख में हुआ है। इसमें उनका सहयोग डाक्टर कुसुम झवेरी ने भी किया।

महिला दिवस: देश की 9 बेटियों की कहानी, जिनसे बदला नजरिया

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नई दिल्ली(एजेंसी):आज मौका है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का और हम रूबरू हैं कुछ उन महिलाओं से जिन्होंने ससुराल जाने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि दूल्हा शराबी था, घर में शौचालय नहीं था, ससुराल में हैंडपंप नहीं था, दूल्हा गुटखा खाता था और शादी के वक्त दहेजलोभियों को लाखों चाहिए थे।

1- दहेज मांगा, बारात लौटाई
दिल्ली की गोकुलपुरी निवासी अंकिता ने पिछले साल नवंबर में दहेजलोभी ससुराल वालों से शादी के ऐन वक्त पर इंकार कर दिया और बारात को वापस लौटा दिया। अंकिता ने दहेज में पांच लाख रुपए और कार मांगने पर ससुराल पक्ष की पुलिस में शिकायत भी की। इस पर कार्रवाई भी हुई। हालांकि बाद में अंकिता के कहने पर ससुराल पक्ष ने अंकिता के माता-पिता के पैर पकड़कर माफी मांगी तो मुकदमा वापस ले लिया गया। अंकिता को दिल्ली महिला आयोग मंगलवार को सम्मानित करेगा।

अंकिता ने कहा कि शुरुआत में लड़कियों को समाज विरोधी आवाज उठाने पर दबाया जाता है, लेकिन एक बार अगर वह अपनी आवाज बुलंद कर लें तो उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

2- शराबी दुल्हे संग शादी से इनकार
जौनपुर के सिंगरामऊ क्षेत्र के सरायचंदी गांव में 14 मई, 2015 को रामनयन यादव के घर उमीशा की शादी थी। महराजगंज क्षेत्र के बजहां गांव से दयाराम यादव के बेटे की बारात आई। सब ठीक चलता रहा, दूल्हे के मुंह से शराब की गंध आने से उमीशा भड़क गई। वह खड़ी हो गईं और चीखते हुए बोलीं-‘जब शादी के वक्त दूल्हे ने शराब पी रखी है तो आगे क्या करेगा..मैं ऐसे लड़के से शादी नहीं करूंगी।’ उमीशा के विरोध के कारण शराबी दूल्हे को बैरंग लौटना पड़ा।

उमीशा ने कहा कि समाज की बुराइयां देख गुस्सा आता है। होने वाले पति की असभ्यता और भविष्य की चिंता ने मेरे अंदर हिम्मत पैदा कर दी। मैं अपने निर्णय पर खुश हूं। किसी और लड़की के साथ ऐसा अन्याय हुआ तो मैं विरोध करूंगी।

3- शौचालय नहीं तो मायके लौट गई
पुर्णिया के रूपौली थाना अन्तर्गत मोहनपुर गांव में रहने वाली खुशबू की शादी दो साल पहले मधेपुरा के टुम्मा टोला स्थित विकास से हुई थी। ससुराल पहुंचने पर पता चला कि घर में शौचालय नहीं है। खुशबू ने पति से तुरंत शौचालय बनवाने को कहा। मगर यह संभव नहीं हो सका। नई बहू ने किसी तरह रात काटी और दूसरे ही दिन ससुराल से मायके लौट गई। बाद में आखिर खुशबू के ससुराल वालों को शौचालय बनवाना पड़ा। इसके बाद वह अपने पति के साथ वापस ससुराल आई।

खुशबू कहती हैंघर में शौचालय का न होना आपको पिछड़ेपन का अहसास दिलाता रहता है। खुले में शौचालय जाना महिलाओं के लिए मुश्किल है, वह भी तब जबकि केंद्र सरकार इसके लिए योजना चला रही है।

किसी ने बारात लौटाई तो किसी ने दूल्हे को ना कहा
सिर्फ अंकिता, उमीशा और खुशबू ही ऐसी बेटियां नहीं हैं जिन्होंने अपने बेहतर भविष्य के लिए ससुराल जाने से इनकार कर दिया। देवरिया की निक्की, गुमला की बिरसमुनी, मुजफ्फरपुर की सांत्वना के रूप में ऐसी तमाम मिसाल हमारे सामने हैं। इन्होंने न केवल अपनी शर्तो पर जीने का जज्बा दिखाया। बल्कि अपनी जैसी कई महिलाओं का जीवन भी संवार रही हैं।

उत्तर प्रदेश
4- सिक्के न गिन पाने वाले दूल्हे को ना कहा

पिछले साल 9 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की रहने वाली खुशबू की सहेलियों ने दूल्हे की अनपढ़ होने की जानकारी दी। इस पर खुशबू ने दूल्हे को बुलाया। जब सेहरा बांधे दूल्हा वहां पहुंचा तो खुशबू ने 72 सिक्कों की गिनती करने के लिए कहा। पर दूल्हा अटक गया। इसके बाद खुशबू ने ऐलान कर दिया कि वह अनपढ़ दूल्हे से शादी नहीं करेगी। खुशबू के इस फैसले की पूरे जिले में तारीफ की गई। लोगों ने उसके साहस को सराहा। कुछ दिनों बाद ही औरैया के केजरी दिबियापुर गांव के 21 वर्षीय युवक अमित ने खुशबू का हाथ थामा। अमित हाईस्कूल पास है और खेती किसानी करता है। गांव के लोगों ने भी अमित को खुशबू के लायक बताया। जिसके बाद दोनों की शादी हो गई।

5- गुटका खाने वाला दूल्हा नहीं चाहिए
देवरिया जिगुटका खाने वाला दूल्हा नहीं चाहिएले के भटनी में जलपामाता मंदिर पर चल रहे विवाह समारोह में दुल्हन निक्की तिवारी ने अचानक शादी से इनकार का ऐलान कर लोगों को चौंका दिया। कारण पूछने पर उसने बताया कि दूल्हे ने मुंह में गुटखा है। घर वालों ने शादी के लिए दबाव बनाया तो वह विवाह मंडप से उठ कर एक सहेली के घर चली गई। सूचना पर पहुंची पुलिस भी निक्की के पक्ष में खड़ी हो गई। अन्तत: गुटखा खाने वाले दूल्हे को बैरंग लौटना पड़ा।

बात सिर्फ गुटखा खाने की नहीं थी। जो व्यक्ति शादी के मंडप में गुटखा खाकर आया था वह आगे कुछ भी कर सकता है। इसीलिए मैंने इनकार किया। जिस व्यक्ति में इतना भी संस्कार नहीं कि समाज में कैसे रहा जाता है, भला उसके साथ पूरी जिंदगी कैसे गुजार जा सकती है। -निक्की तिवारी

बिहार
6- पांच हजार महिलाओं का जीवन संवार दिया

पिछले 17 साल में लगभग पांच हजार महिलाओं का जीवन संवार चुकी मुजफ्फरपुर की सांत्वना ने जब घर वालों को शादी नहीं करने का निर्णय सुनाया तो महीनों तक सबने बात नहीं की। सामाजिक कार्यो से जुड़ी सांत्वना के मां-बाप आज गर्व से कहते हैं कि शादी करती तो एक बेटी का शायद जीवन संवरता मगर आज सैकड़ों महिलाओं का वह जीवन संवार रही है। सांत्वना महिलाओं को राज मिस्त्री की ट्रेनिंग देने, बच्चियों के लिए सैनिटरी निर्माण और स्लम एरिया की महिलाओं के लिए शिक्षा, सड़क, सफाई जैसी सुविधाओं को जुटाने के लिए काम करती हैं।

छत्तीसगढ़
7- पानी नहीं तो शादी नहीं

ससुराल में हैंडपंप न होने पर छत्तीसगढ़ के रामचंद्रपुर निवासी मुस्तफा अंसारी की बेटी संजीदा खातून ने नगर ऊंटारी के कधवन गांव की बहू बनने से इनकार कर दिया। संजीदा की शादी गांव के चिरैयाटांड़ टोले के निवासी बेयास अंसारी के पुत्र सोहेल अंसारी से तय हुई थी। हैंडपंप मुद्दे पर पंचायत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया। जानकारी होने पर मुखिया सत्यवती देवी ने आश्वस्त किया कि पंचायत के फंड से ही वहां चापाकल लगवाया जाएगा। इसके बाद वह शादी को राजी हुई।

झारखंड
8- पहले पढ़ाई, फिर विदाई

पिछले साल अप्रैल में गुमला जिले में स्कूली छात्र बिरसमुनी कुमारी पर माता-पिता शादी के लिए दबाव डाल रहे थे। इसको लेकर उसने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। वह अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी। प्रशासन ने उसकी मदद की। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक कार्यक्रम में उसे एक लाख रुपये देकर सम्मानित किया। बिरसमुनी के संघर्ष से प्रेरित होकर ही राज्य सरकार ने ‘पहले पढ़ाई फिर विदाई’ योजना शुरू की। इसके तहत सरकार लड़कियों के बैंक खाते में हर साल न्यूनतम एक हजार रुपये जमा कराती है।

उत्तराखंड
9- इज्जत न करने वाले से शादी नहीं करुंगी

हरिद्वार के आवदीपुरहाल गांव में पिछले साल एक शादी में दूल्हे की गर्लफ्रेंड ने आकर उसे सबके सामने पीट दिया। गर्लफ्रेंड का आरोप था कि वह इस लड़के के साथ काफी समय से रिश्ते में है और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली है। ऐसे में दुल्हन ने कहा कि वह एक ऐसे लड़के के साथ शादी नहीं कर सकती जो लड़कियों की इज्जत न करता हो। मामला पंचायत की दहलीज पर पहुंचा। पंचायत ने लड़की वालों के सामने प्रस्ताव रखा कि वह चाहे तो अपनी बेटी की शादी दूल्हे के भाई से कर सकते हैं। लड़की और लड़के वालों दोनों ने ही ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद शादी देर रात में संपन्न हुई।

महिला दिवस: महिला सांसदों को अधिक बोलने का मिलेगा मौका

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नई दिल्ली(एजेंसी):केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह प्रयास करेगी कि मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर संसद में अधिक से अधिक महिला सदस्य अपनी बात रखें। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मुद्दे पर सुझाव के मद्देनजर, सरकार का यह आश्वासन सामने आया है।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “यह प्रधानमंत्री की तरफ से सुझाव है। हम अधिक से अधिक महिला सांसदों को अपनी बात रखने का मौका देने का प्रयास करेंगे।”

सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी ऐसी ही राय जताई है। प्रधानमंत्री ने कहा था, “आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और इस दिन शायद संसद में केवल महिला सदस्यों को ही बोलना चाहिए।”

देश की 544 सदस्यों वाली लोकसभा में वर्तमान में 66 महिला सदस्य हैं, जबकि 241 सदस्यों वाली राज्यसभा में 31 महिला सदस्य हैं। लोकसभा में महिलाओं की संख्या का यह अभी तक तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। 15वीं लोकसभा में कुल 58 महिला सदस्य थीं।

सोमालियाः अमेरिका का अल शबाब के शिविर पर हमला, 150 आतंकी ढेर

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वाशिंगटन(एजेंसी):अमेरिकी सेना ने सोमालिया में आतंकवादी संगठन अल शबाब के प्रशिक्षण शिविरों पर ड्रोन से हमला किया, जिसमें डेढ सौ से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं।

पेंटागन के प्रवक्ता कैप्टन जेफ डेविस ने इस हमले की जानकारी देते हुए कहा, ‘यह सफल हमला था। अमेरिकी खुफिया विभाग को ऐसी सूचना मिली थी कि आतंकवादी बड़े पैमाने पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं और वे सोमालिया में अमेरिका तथा अफ्रीकी संघ के बलों के लिए खतरा थे।’

अफ्रीकी संघ शांति सेना ने अल शबाब के आतंकवादियों को सोमलिया की राजधानी मोगादिशू से 2011 में बाहर कर दिया था लेकिन देश के अन्य हिस्सों में यह संगठन अभी भी वहां की सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ है।

अब सिकलसेल पीडि़तों को मिलेगी विशेष सुविधा

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 राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन बना रहा योजना
कोरबा@M4S: अब सिकलसेल को गंभीर बीमारी की श्रेणी में शामिल किया गया है। इससे पहले इसको सामान्य बीमारी माना जाता था, मगर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन के निर्देश पर अब इसे चुनिंदा बीमारियों की श्रेणी में शामिल किया गया है। यानी कि अब इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को वह तमाम सुविधाएं मिलेंगी जो एक गंभीर मरीज को मिलती हैं।
सिकलसेल से ग्रसित बाल रोगियों के लिए राहत भरी खबर है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन के निर्देशानुसार पहली बार बाल सिकलसेल को गंभीर बीमारियों की सूची में शामिल किया गया है। सिकलसेल को फैलने से रोकने का एकमात्र जरिया बीमारी की पहचान है। पहचान नहीं होने से मरीजों की संख्या में बढ़ती जा रही है। ऐसे में बीमारी की पहचान एवं उसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब इस बीमारी को गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा है। बताया गया कि राज्य स्वास्थ्य बाल कार्यक्रम से दिशा निर्देश जारी किया जा चुका है। वहीं जिलास्तर में अब काम शुरू होना बाकी है। मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग बीमारी की पुष्टि के लिए आंगनबाड़ी, स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इत्यादि में शिविर लगाकर पहले बीमारी की पहचान की जाएगी और उसके बाद संबंधित स्वास्थ्य केंद्र में रिफर किया जाएगा। फिलहाल यह सुविधा कब तक शुरू होगी, इसके बारे में कुछ तय नहीं हो पाया है। मगर यह स्पष्ट है कि बहुत जल्द इस कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा।
ब्लड बैंक ने मना किया तो होगी कार्रवाई
बताया जाता है कि पंजीकृत सिकलसेल मरीजों को स्वास्थ्य विभाग एक रेड कार्ड प्रदान करेगा। इसकी विशेषता यह रहेगी कि किसी भी ब्लड बैंक से सिकलसेल के मरीज किसी भी वक्त नि:शुल्क रक्त मिल सकेगा। अब तक यही स्थिति थी कि सिकलसेल मरीजों को खून खरीदना पड़ता था, मगर अब इसमें स्वास्थ्य विभाग ने बदलाव किया है। माना जा रहा है कि अगर कोई ब्लड बैंक संचालक मरीजों को खून देने से मना करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
पीला कार्ड से होगी पहचान
रेड कार्ड की तरह ही स्वास्थ्य विभाग मरीजों के लिए एक पीला कार्ड जारी करेगा। पीला कार्ड मरीजों के पहचान के लिए होगा। रक्त नमूना लेकर जांच में धनात्मक पाए जाने वाले मरीजों को कार्ड मिलेगा, जो उन्हें उपचार कराने में मदद करेगा। बताया गया कि प्रथम परीक्षण कराने के बाद द्वितीय जांच कराने में मरीजों को सरलता हो और किसी प्रकार की परेशानी ना आए इसलिए स्वास्थ्य विभाग पीला कार्ड जारी करेगा। विभाग द्वारा जारी इस कार्ड को संबंधित केंद्र में दिखाए जाने के बाद उन्हें तत्कालिक लाभ मिलेगा।
30 लैब टेक्नीशियन की होगी नियुक्ति
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए 30 लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति तय मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि इसको गंभीर बीमारी की श्रेणी में शामिल कर 18 वर्ष उम्र तक के स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने एक टीम गठित की जाएगी। चिरायु परियोजना में लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति कर सिकलसेल एनीमिया का स्क्रीनिंग कराया जाएगा।
ये हैं 30 प्रकार के गंभीर रोग
जन्मजात बधिरता, जन्मजात मोतियाबिंद, प्रीमैच्युरिटी, जन्मजात हृदयरोग, न्यूरल ट्यूब दोष, पैर की विकृति, हृदयरोग, होंठ एवं तालू विकृति, मोटर डिले, कान का संक्रमण, घेंघा थायराइड विकार, त्वचा संबंधित रोग, दंत रोग, दृष्टि दोष, मांस पेशियों में विकार, मिर्गी संबंधित रोग, श्वसन तंत्र रोग दमा टीबी एवं अन्य, सुनने में परेशानी, अतिकुपोषित बच्चे, विटामिन ए की कमी, विटामिन डी की कमी, रक्ताल्पता, डाउन सिंड्रोम, ध्यान संबंधी विकार, व्यवहार विकार, वाणी व भाषा संबंधित रोग, संज्ञानात्मक देरी और सीखने के विकार वह बीमारी हैं, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा था। मगर अब सिकलसेल को भी इसी श्रेणी में रखा जाएगा।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पाली महोत्सव का किया बहिष्कार

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 कार्यक्रम अन्यत्र स्थानांतरित करने जिला पंचायत सीईओ को सौंपा ज्ञापन
कोरबा@M4S: पाली महोत्सव 2016 की शुरूआत 6 मार्च से होने जा रही है। दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन 7 मार्च को होगा। लेकिन कार्यक्रम शुरूआत से पहले ही विवादों में आ गया है। पाली जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने पाली महोत्सव का बहिष्कार करते हुए पाली मुख्यालय से अन्यत्र ग्रामीण क्षेत्र में कार्यक्रम स्थानांतरित करने की मांग को लेकर जिला पंचायत सीईओ विलास संदीपान भोस्कर को ज्ञापन सौंपा है। जनपद पंचायत पाली की अध्यक्ष जाम बाई श्याम, उपाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह, सभापति सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने बहिष्कार करने मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि जनपद प्रतिनिधियों को कार्यक्रम में महत्व नहीं दिया गया है। जिससे जनपद पंचायत के जनप्रतिनिधि अपमानित महसूस कर रहे है। इसलिए कार्यक्रम का बहिष्कार किया जा रहा है। पाली जनपद के जनप्रतिनिधियों को जब तवज्जो नहीं दी जा रही है तो फिर इस कार्यक्रम को नगर पंचायत क्षेत्र से हटाकर ग्रामीण क्षेत्र में स्थानांतरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनपद पंचायत पाली अंतर्गत मुख्यालय खेल मैदान पाली में आगामी 6 व 7 को पाली महोत्सव कार्यक्रम आयोजित है। जिसके लिए प्रशासन ने आमंत्रण पत्र प्रकाशित कराया है। जिसमें जनपद पंचायत पाली के जनप्रतिनिधियों को महत्व नहीं दिया गया है। कार्यक्रम में जनपद पंचायत पाली के अधीनस्थ 91 ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि, आम जनता एवं अन्य लोग कार्यक्रम में भाग लेने वाले है। इसके बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधियों को महत्व नहीं दिया गया है।

बच्चो के साथ ट्रैन से कूदी महिला की हुई शिनाख्त हुई

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कोरबा@M4S :कोरबा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के सीतामणी  स्थित मायके आई महिला 27 फरवरी को अचानक किसी को बिना बताए कहीं चली गई। जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट परिजनों ने थाने में दर्ज कराई थी। मामले में पुलिस की खोजबीन चालू ही थी कि पता चला, बिलासपुर रायपुर रेलमार्ग पर भाठापारा रेलवे स्टेशन के नजदीक एक महिला और अपने दो बच्चो के साथ चलती ट्रेन से कूदने से महिला और एक बच्चे की मौके पर मौत हुई थी,  वहीं तीन साल की बच्ची जख्मी हालत में है,जिसका उपचार बिलासपुर सिम्स में होना बताया जा रहा है,पतासाजी करने पर मृतक महिला की पहचान सीतामणी निवासी रंजीता ठाकुर के रूप में हुई, जिसका विवाह मस्तूरी के राधे सिंह के साथ हुआ था। वह बच्चों सहित मायके आई थी। जहां से अचानक लापता हो गई थी। जानकारी के अनुसार महिला मानसिक रूप से कमजोर थी। मामले में पतासाजी की जा रही है। २८ वर्षीय महिला रंजीता ठाकुर  अपने बच्चे 3 साल की निधि और डेढ़ साल का पुत्र सिद्धार्थ के साथ लापता थी।इधर सिटी कोतवाली पुलिस परिजनों को इसकी जानकारी दे दी है.

FILM REVIEW: ‘जय गंगाजल’ फिल्म देखने से पहलेे पढ़ें रिव्यू

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विशाल ठाकुर:

कुछ भी कहने से पहले कुछ सवाल? फिल्म ‘जय गंगाजल’ आप क्यों देखने जा रहे हैं? क्या सिर्फ इसलिए कि यह साल 2013 में आयी अभिनेता अजय देवगन की सुपरहिट फिल्म ‘गंगाजल’ का सीक्वल है? क्या इसलिए कि 13 साल बाद आये इस सीक्वल में इस बार हीरो-हीरोइन दोनों ही प्रियंका चोपड़ा हैं, जिनके चर्चे आज हर जगह हैं? या फिर इसलिए कि इसके निर्देशक प्रकाश झा हैं और इस बार उन्होंने किसी फिल्म में एक बड़ा रोल भी अदा किया है?

इसमें कोई दो राय नहीं कि ये अंतिम ही इस फिल्म को देखने की प्रमुख वजह है, क्योंकि इसके अलावा फिल्म में दिखाई गयी चीजें-बातें, कहानी, ट्रीटमेंट वगैराह लगभग वही हैं, जिन्हें हम और आप इस तरह की मसाला फिल्मों में बरसों से देखते आये हैं। एमपी-यूपी या कहिये बिहार का कोई पिछड़ा-सा जिला, वहां के भ्रष्ट मंत्री, छुटभइय्ये नेता और विधायकों की गुंडादर्डी, इनसे त्रस्त प्रशासन, मीडिया की आपाधापी और इन्हें झेलता पुलिसिया तंत्र। खुद प्रकाश झा ऐसी फिल्में पहले भी बना चुके हैं। तो फिर क्या बात है कि उन्होंने फिर से ऐसे ही किसी विषय को चुना। क्या ‘मैरी कोम’ की सफलता के बाद वह प्रियंका चोपड़ा को एक तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी की भूमिका के जरिये उन्हें मसाला फिल्मों में एंट्री दिलाना चाहते थे या फिर वह खुद एक बड़ा और दमदार रोल करना चाहते थे। बताते हैं, लेकिन पहले जरा कहानी पर गौर करते हैं।

यह कहानी शुरू होती है एसपी आभा माथुर (प्रियंका चोपड़ा) के बांकीपुर (मध्य प्रदेश का एक जिला) आगमन से। सचिवालय से उनका यहां तबादला हुआ है। उनसे पहले के एसपी ने स्थानीय विधायक बबलू पांडे (मानव कौल) के चहेते डीएसपी भोलेनाथ सिंह उर्फ सर्कल बाबू (प्रकाश झा) को डंडा बजाने से हटा कर प्रशासनिक जिम्मेदारी सौंपने के बारे में सोचा ही कि उनका तबादला करवा दिया गया।

बबलू पांडे है तो विधायक, लेकिन उसकी दबंगई की गूंज पूरे लखीमपुर में गूंजती है। सर्कल बाबू उसके हर गलत काम पर पर्दा डालने में माहिर है। उसी की वजह से बबलू पांडे का भाई, डब्लू पांडे (निनाद कामत) और उसका प्यादा मुन्ना मर्दानी (मुरली शर्मा) जैसे लोग इलाके में बैखौफ घूमते हैं और मनमानी करते फिरते हैं। इन तमाम लोगों के काले कारनामे बस यूं ही चलते रहें, इसलिए मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल पार्टी नेता रमाकांत चौधरी (किरण कर्माकर) ने ही आभा का तबादला अपने जिले में करवाया है। ड्यूटी ज्वाइन करते ही आभा का खौफ इलाके में गुंडों में बैठने लगता है। उसे सिंह के कारनामों की भनक भी है, इसीलिए वह उसे कोई जिम्मेदारी वाला काम नहीं सौंपती।

जल्द ही वह बबलू पांडे की गर्दन तक भी पहुंच जाती है, लेकिन सिंह की चालाकी वह फिर बच जाता है। एक दिन एक बड़े जमीनी सौदे के चक्कर में डब्लू पांडे गांव की एक लड़की सुनिता (वेगा तमोतिया) से उलझ जाता है। डब्लू गांव के भोले भाले किसानों से उनकी जमीन जबरदस्ती हड़प कर किसी बड़ी कंपनी को बेचना चाहता है, जो खेती की जमीन पर एक पावर प्रोजेक्ट लगाना चाहती है। जमीन के सारे सौदे हो चुके हैं, लेकिन सुनीता अपनी जमीन किसी कीमत पर नहीं देना चाहती। डब्लू उसका अपहरण कर उसे मार देता है। उधर, सिंह डब्लू को जब रोकने में नाकाम रहता है तो वह उसे सबक सिखाने की ठान लेता है।
दरअसल, बबलू और डब्लू की खाकी वर्दी के प्रति बढ़ती बदतमीजी से सिंह बदल जाता है और ठान लेता है कि इन दोनों को एसपी के हवाले करके रहेगा, लेकिन ये सब इतना आसा नहीं होता, क्योंकि एक दिन जब डब्लू की मौत हो जाती है तो बबलू सुनीता के भाई के खून का प्यासा बन जाता है।
जाहिर इस कहानी से कोई अंदाजा लगा सकता है कि फिल्म किस तरह की होगी। अस्सी-नब्बे के दशक में ऐसी कहानियों के बल बनी फिल्मों से न जाने कितने अभिनेताओं ने अपनी किस्मत के तारे चमकाए हैं। लेकिन इन तमाम पुरानी बातों के बावजूद यह फिल्म बांधे रखती है। इंटरवल से पहले फिल्म में काफी तेजी है। घटनाक्रम पल पल बदलता है और आभा-सिंह के बीच की उठापटक से रोचक बनता जाता है। लेकिन ढाई घंटे से ज्यादा की यह फिल्म इंटरवल के बाद कई जगह ऊबाती भी है। इसकी लंबाई बेहतर संपादन के साथ कम से कम 20 मिनट कम भी की जा सकती थी। क्योंकि फिल्म की कहानी में कोई खास नई बात तो है नहीं, इसलिए ये बीस मिनट काफी खलते हैं।

फिल्म में भूमि अधिग्रहण से लेकर आईपीएस अफसरों पर बड़े अधिकारियों के दबाव और राजनेताओं का पुलिसिया कामकाज दखल तक काफी चीजों पर फोकस किया गया है, लेकिन ये तमाम बातें कुछ हिस्सों में ही अच्छी लगती हैं, ध्यान खींचती हैं। फिल्म का सारा दारोमदार बीएन सिंह और आभा माथुर के किरदार पर ही केन्द्रित है। इसमें भी बीएन सिंह के किरदार में प्रकाश झा बाजी मार ले गये हैं।

प्रकाश झा ने इस किरदार को कई जगहों पर बेहद सहजता से निभाया है। उनका ये कहना-‘किसी ने आपको गलती से मिसगाइड किया है मैडम सर…’ मुस्कुराने के लिए काफी है। और गुस्से में बोला गया यह संवाद- ‘वर्दी पर से हाथ हटा…’ उन्हें ‘बॉलीवुड हीरोज’ की कतार में खड़ा कर देता है। साठ पार कर चुके झा पर एक्शन सीन भी फबते हैं। डंडा चलाते या मुक्का मारते समय वह जब दांत भींचते हैं तो लगता है कि एक निर्देशक किसी हीरो को एक्शन का स्टाइल समझाते समय कितनी दिक्कत होती होगी। लेकिन जब वो खुद न सब कार्यों को करता है तो बेहद आसानी से कर सकता है। इसलिए झा को इस किरदार के लिए पूरे नंबर देने चाहिये।

दूसरी तरह प्रियंका चोपड़ा का किरदार उतना मुक्कमल और दमदार नहीं लगता, जितनी उम्मीद की जा रही थी। हालांकि उन्होंने कोशिश काफी की है। ग्लैमरस इमेज उन पर हावी रही है और जहां हावी नहीं रही, वहां उन पर प्रकाश झा हावी रहे हैं। इसलिए यह फिल्म प्रियंका चोपड़ा की न हो कर प्रकाश झा की हो गयी है। हालांकि एसपी के रूप में जब उनकी फिल्म में एंट्री होती है, तो वह काले रंग के पठानी सूट में गजब की लगी हैं। एक सीन में वह गुंडों पर डंडा लेकर टूट पड़ती हैं। कई जगह वह प्रभावी ढंग से अपने संवादों के जरिये असर भी जगाती है, लेकिन फिर यह फिल्म केवल प्रियंका चोपड़ा की नहीं लगती।
अगर आप मसाला फिल्मों के शौकीन हैं और देसी फामूले में डूबी फिल्म को आज भी पचा सकते हैं ‘जय गंगाजल’ आपको बोर नहीं करेगी। सर्कल बाबू की वजह से आप इसे दोबारा भी देखना चाहेंगे।

सितारे : प्रियंका चोपड़ा, प्रकाश झा, मानव कौल, राहुल भट्ट, किरण कर्माकर, मुरली शर्मा, निनाद कामत, वेगा तमोतिया,
निर्देशक-लेखक-पटकथा : प्रकाश झा
निर्माता : प्रकाश झा, मिलिंद दबके
संगीत : सलीम-सुलेमान
गीत : मनोज मुंतशिर, प्रकाश झा
रेटिंग : 3 स्टार

चुनावों में लोग बिहार की तरह बीजेपी को सबक सिखाएं: राहुल

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गुहाटी(एजेंसी):कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए उनपर निजी हमले करने का आरोप लगाया। राहुल ने असम के सिलचर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में राज्य के लोग बिहार के लोगों की तरह भाजपा को सबक सिखाएंगे।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री ने गुरुवार को लोकसभा में दिए भाषण के दौरान मुझपर हमला बोला, लेकिन बुधवार को पूछे गए मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, मोदी ने अपने भाषण के दौरान मेरे पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी के बयानों को उद्धृत किया, लेकिन जो जलते हुए सवाल मैंने पूछे उसका जवाब नहीं दिया।

राहुल ने प्रधानमंत्री पर झूठे वादे करने का आरोप लगाया। असम में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा द्वारा क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन पर उन्होंने कहा, यह कांग्रेस के 15 साल के शासन में स्थापित भाईचारे और प्रगति को नष्ट कर देगा।

राहुल ने अपने सवालों का जिक्र करते हुए कहा, जितना चाहे आप मुझ पर निजी हमले कीजिए, लेकिन मेरे सवालों का जवाब दीजिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने रेल बजट का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने असम के लिए वायदों के सिवाय कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा, इसके उलट कांग्रेस ने अपने वायदों को पूरा किया है।

राहुल के चार सवाल
– वित्तमंत्री अरुण जेटली की ओर से प्रस्तावित कालेधन को सफेद करने की योजना पर क्या रुख है?
– कालेधन को वापस लाने और प्रत्येक भारतीय के खातें 15 लाख रुपये जमा करने पर क्या प्रगति हुई
– क्या नगा शांति समझौता करने से पहले असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगाई से विचार विमर्श किया गया था?
– मेक इन इंडिया योजना के तहत अब तक कितने लोगों को रोजगार मिला है

प्रधानमंत्री से खफा होने की वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में बयान देते हुए कहा था कुछ लोग उम्र के साथ बढ़ते हैं, लेकिन उनकी समझ नहीं बढ़ती। इसलिए वे किसी चीज को समझने में अधिक समय लेते हैं। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया था। मोदी ने कहा था कि विपक्ष हीनभावना से ग्रस्त है और इसलिए संसद को बाधित कर रहा है।

मनोज कुमार को मिलेगा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

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नई दिल्ली(एजेंसी):बॉलीवुड अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार को 2015 के 47वां दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी।इससे पहले मनोज कुमार को फिल्म उपकार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और 1992 में पदमश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है।

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