कोरबा@M4S:राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर दिनांक 10 मई 2025 को सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन संतोष शर्मा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के अध्यक्षता में शुभारंभ किया गया। उक्त अवसर में नीता यादव, न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा, संतोष कुमार आदित्य, प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, गरिमा शर्मा, द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, डाॅ ममता भोजवानी, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.एस.सी. (पाॅक्सो) कोरबा,सुनील कुमार नन्दे, तृृतीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश कोरबा, अविनाश तिवारी, श्रम न्यायाधीश, श्रम न्यायालय कोरबा, सीमा प्रताप चंद्रा, जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.) कोरबा, शीलू सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा, सत्यानंद प्रसाद, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी कोरबा, कु. डाॅली धु्रव, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी कोरबा, कुमुदिनी गर्ग, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी कोरबा, लव कुमार लहरे, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी , गणेश कुलदीप अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ, जिला अंधिवक्ता संघ के अन्य पदाधिकारियों तथा न्यायालयीन कर्मचारीगण उक्त कार्यक्रम में उपस्थित थे। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय में कुल 439245 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 6144 एवं प्री-लिटिगेशन के 433101 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल प्रकरणों सहित 147872 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।

तालुका स्तर में भी किया गया लोक अदालत का आयोजन राजीनामा आधार पर किया गया प्रकरण का निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली व छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार एवं श्री संतोष कुमार शर्मा, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में दिनांक 10 मई 2025 को व्यवहार न्यायालय कटघोरा में नेशलन लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय कटघोरा में कुल 05 खण्डपीड क्रियाशील रहा। उक्त खण्डपीठों में विभिन्न राजीनामा योग्य दांडिक एवं सिविल प्रकृति के प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत मंे समझौते के आधार पर हुआ।
सक्सेस स्टोरीः
01. विवाह की पुर्नस्थापना कर लोक अदालत ने अदा की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका
जिला न्यायालय कोरबा के माननीय न्यायालय न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में विचाराधीन प्ररकण में आवेदिका के द्वारा प्रस्तुत आवेदन के अनुसार आवेदिका तथा अनावेदक का विवाह दिनांक 03.05.2022 को हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न हुआ था, विवाह के कुछ दिन तक अनावेदक का व्यवहार ठिक रहा, इसके बाद अनावेदक के द्वारा बात-बात पर आवेदिका से विवाद करने लगा और मारपीट करने लगा और आवेदिका से मायके से मोटर सायकल एवं पैसा लाने की बात कहने लगा तथा आवेदिका के द्वारा मना करने पर मारपीट करने लगा किंतु आवेदिका यह सोचकर कि भविष्य में अनावेदक के व्यवहार में परिवर्तन आ जाएगा कुछ सहन कर अनावेदक के साथ पारिवारिक जीवन व्यतीत करने लगी किंतु अनावेदक के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया और वह पहले से ज्यादा मारपीट करने लगा तथा घर से निकाल दिया। इससे तंग आकर आवेदिका के द्वारा धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम वास्ते भरण-पोषण के तहत कुटुम्ब न्यायालय कोरबा में आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमें कई पेशी में लगातार मान0 खंडपीठ के समझाईश तथा प्रयासों से आज दिनांक 10 मई 2025 को आज नेशनल लोक अदालत में बिना किसी डर दबाव के आपसी सहमति से राजीनामा आधार पर लंबित प्ररकण का निराकरण कर पुनः दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने को सहमत हुए।
02. बेसहारा आवेदिका को मिला न्याय नेशनल लोक अदालत बना जल्द से जल्द न्याय पाने का सहारा
‘‘न्याय आपके द्वार‘‘ वाक्य को चरितार्थ करते हुए नेशनल लोक अदालत दिनांक 10 मई 2025 में एक ऐसे मामले का भी निराकरण हुआ, जिसमें घटना दिनांक 28.05.2024 को आवेदक की पत्नी की मृत्यु वाहन बस से ठोकर लगने से हुई थी, मृत्यु होने से मृतिका अपने पीछे नाबालिग बच्चे को छोडकर चली गई, ऐसे में बच्चे के लालन पालन तथा माॅ की ममता से दूर हो गया। मामले में आवेदकगण ने अंतर्गत धारा 166 मोटर यान अधिनियम 1988 वास्ते क्षतिपूर्ति की राशि हेतु मान. न्यायालय के समक्ष अनुतोष हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।
दिनांक 10.05.2025 को नेशनल लोक अदालत में मामला आने से खंडपीठ क्र 07 में सीमा प्रताप चंद्रा, अतिरिक्त मोटर यान दुर्घटना दावा अधिकरण कोरबा/जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश एफ.टी.सी. कोरबा के समक्ष आवेदकगण व अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें हाइब्रीड नेशनल लोक अदालत का लाभ लेते हुए बेसहारा आवेदिका को 2000000/- बीस लाख रूपए मात्र का बिना डर-दबाव के राजीनामा कराया गया, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी को 30 दिवस के भीतर अदा करने का निर्देश दिया गया। इस तरह नेशनल लोक अदालत ने आवेदक दंपति को जीवन जीने का एक सहारा प्रदान करने में अपना योगदान दिया।