कोरबा@M4S: दस माह पहले घर के सामने से सेंट्रो कार चोरी कर ली गई थी। चोरी से गई वाहन सेकण्ड हैंड थी। जिसके कारण कार खरीदार के नाम से कागजात हस्तांतरित नहीं हो पाए थे। कल कागजात उसके नाम से हस्तांतरित होने के बाद उसने रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मामले में अज्ञात चोर के खिलाफ अपराध पंजीबद्घ करते हुए उसकी पतासाजी प्रारंभ कर दी है।
जानकारी के अनुसार बालको थाना अंतर्गत इंदिरा मार्केट के पास विजय अग्रवाल पिता एसएन अग्रवाल 35 वर्ष निवास करता है। जिसने दो वर्ष पूर्व सेंट्रो कार क्रमांक सीजी 12 डी 6354 को एक परिचित से खरीदा था। वाहन खरीदी के बाद विजय ने वाहन को अपने नाम से नहीं कराया था। दस माह पहले उक्त सेंट्रो कार घर के बाहर से चोरी हो गई। चूंकि विजय अग्रवाल के पास वाहन के दस्तावेज नहीं थे जिसके कारण अपराध पंजीबद्घ नहीं कराया गया था। वाहन उसके नाम से हस्तांतरित होने के बाद बालको थाने में अपराध दर्ज कराया है। पुलिस चोरों की तलाश में जुटी हुई है।
घर के सामने से सेंट्रो कार की चोरी,दस महीने बाद एफ आई आर दर्ज
छोटों का तोड़ा, बड़ों का छोड़ा….
शिक्षिका को दस माह से अनुपस्थित बताकर कर दिया बर्खास्त
हेल्प लाइन नंबरों से रेल यात्री अनजान
प्रचार-प्रसार के अभाव में नहीं कर पाते शिकायत
कोरबा@M4S: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में सुरक्षा व खानपान से जुड़ी शिकायतों के लिए अलग- अलग हेल्पलाइन नंबर है। हालांकि यात्रियों को इसकी जानकारी नहीं है। इसे प्रचार- प्रसार में कमी माना जा सकता है। इसे देखते हुए रेलवे फिर इन नंबरों को यात्रियों तक पहुंचाने मशक्कत कर रही है। प्रचार-प्रसार की कमी के कारण हेल्पलाइन नंबरों में रेल यात्री शिकायत दर्ज नहीं करा पाते। यानी कि अधिकांश रेल यात्री हेल्पलाइन नंबरों से अनजान है।
ट्रेनों में यात्रियों को रेलवे की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर गंभीरता बरती जा रही है। इसके पीछे उद्देश्य यात्रियों की सुविधा है। जागरूक यात्री अलग- अलग माध्यम से शिकायतें रेलवे तक पहुंचा देते हैं। लेकिन अभी कई ऐसे यात्री है जिन्हें यह जानकारी नहीं है कि शिकायत किस नंबर पर की जाए। जबकि अलग- अलग मामलों से जुड़ी शिकायतों को सुनने के लिए अलग- अलग नंबर हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में भी हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था है। हालांकि यात्री इससे अनभिज्ञ हैं। इसके लिए कहीं न कहीं रेलवे को भी जिम्मेदार माना जा सकता है। क्योंकि सुविधा उपलब्ध कराने के बाद वह पर्याप्त प्रचार- प्रसार नहीं करती। अपनी इन्हीं कमियों को दूर करने और यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे हेल्पलाइन नंबरों को यात्रियों तक पहुंचाने जद्दोजहद कर रही है। यात्री ट्रेन में टीटीई या गार्ड के पास शिकायत कर सकते हैं। इतना ही नहीं वेबसाइट में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके जरिए सीधे जीएम, सीसीएम, सीनियर डीसीएम की सूचना मिल जाएगी।
शिकायतें हेल्पलाइन नंबर
– महिला सुरक्षा 1800-233-2534
– सुरक्षा 182 व 1322
– खानपान 1800-111-321
– अन्य शिकायतें व सुझाव 138
– एसएमएस 09717630982
– खानपान (जोन व डिवीजन स्तर) 9752051355, 9752088444, 9752081968 व 8600036214
पूरी-कुर्ला-पूरी एक्सप्रेस का ढेंकानाल में ठहराव
बिलासपुर@M4S:रेलवे प्रशासन द्वारा यात्रियों की सुविधा एवं मांग को ध्यान में रखते हुए पूरी-कुर्ला के मध्य चलने वाली 22866/22865 पूरी-कुर्ला-पूरी एक्सप्रेस का ईस्ट कोस्ट रेलवे के खुरदा रोड रेल मंडल के ढेंकानाल रेलवे स्टेशन में ठहराव दिया जा रहा है। यह ठहराव प्रायोगिक तौर पर अस्थायी रूप से 6 महीने के लिए दिया जा रहा हैं। यह ठहराव 15 मार्च, 2016 से लागू होगा।
खुरदा रोड रेल मंडल में 22866/22865 पूरी-कुर्ला-पूरी एक्सप्रेस का ढेंकानाल में ठहराव का विवरण इस प्रकार।
22866 पूरी-कुर्ला एक्सप्रेस स्टेशन 22865 कुर्ला-पूरी एक्सप्रेस
पहुॅंच छुट पहॅंच छुट
07.40 07.45
कटक
06.20
06.25
08.42 08.44 ढेंकानाल
(नया ठहराव) 05.20 05.22
09.21
09.22.
तालचर 04.35 04.37
बालको संयंत्र में हरियाली संवर्धन के लिए पौधारोपण

जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी : आकाशीय तकनीक के ज्ञान से पाएं रोजगार
अश्विनी भावे/करियर काउंसलर
जियोइंफॉर्मेटिक्स के बढ़ते महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब यह सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों में बड़े निर्णयों का आधार बनने लगा है। इसकी मदद से मिलिट्री, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क प्लानिंग, एग्रीकल्चर, मीटिअरोलॉजी, ओशियनोग्राफी और मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट से संबंधित कार्य पहले की तुलना में काफी सुगम हो गए है।
त आपके शहर, घर और पसंदीदा जगहों की सेटेलाइट तस्वीरों की हो या फिर उस जीपीएस तकनीक की, जिसकी मदद से आप कोई पता तलाशते हैं, किसी अनजाने क्षेत्र में जाने के लिए आसान रास्ता ढूंढ़ते हैं या कोई नजदीकी होटल खोजते हैं। कुछ साल पहले तक कोरी कल्पना लगने वाली ये तकनीकें अब हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं। यह सब संभव हुआ है जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी के कारण।
क्या है यह तकनीक
जीआईएस या जियोमेटिक्स एक नई वैज्ञानिक अवधारणा है, जिसका इस्तेमाल जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन साइंस या जियोस्पेशल इंफॉर्मेशन स्टडीज में होता है। अकादमिक रूप से यह जियोइंफॉर्मेटिक्स विषय की एक शाखा है। इस विषय के सिद्धांतों को आधार बनाकर तैयार की गई तकनीकों को जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी कहा जाता है। इस तकनीक की मदद से सभी तरह की भौगोलिक सूचनाओं को इकट्ठा करके उनका संग्रहण, विश्लेषण और प्रबंधन किया जा सकता है। इस कार्य में जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और रिमोट सेंसिंग का प्रयोग किया जाता है।
भारत में जियोमेटिक्स का क्षेत्र अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन एक उद्योग के रूप में यह तेजी से विस्तार कर रहा है। इसको अपने कामकाज के लिए बड़े पैमाने पर स्पेशल डाटा (आकाशीय आंकड़ों) की जरूरत होती है। मगर शुरुआती दौर में होने की वजह से इस उद्योग में कुशल पेशेवरों की कमी बनी हुई है। इस कारण यहां रोजगार और तरक्की की दृष्टि से काफी संभावनाएं हैं।
जियोइंफॉर्मेटिक्स शब्द जियोग्राफी और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से मिलकर बना है। इस तकनीक का लाभ परिवहन, रक्षा, विनिर्माण और संचार सहित सैकड़ों क्षेत्रों में लिया जा रहा है। अर्बन प्लानिंग, लैंड यूज मैनेजमेंट, इन-कार नेविगेशन सिस्टम, वचरुअल ग्लोब, पब्लिक हेल्थ, इंवायरन्मेंटल मॉडलिंग एंड एनालिसिस, मिलिट्री, ट्रांसपोर्ट नेटवर्क प्लानिंग एंड मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, मीटिअरोलॉजी, ओशियनोग्राफी एंड एटमॉस्फेयर मॉडलिंग, बिजनेस लोकेशन प्लानिंग, आर्किटेक्चर, आर्कियोलॉजिकल रिकंस्ट्रक्शन, टेलीकम्यूनिकेशंस, क्रिमिनोलॉजी एंड क्राइम सिमुलेशन, एविएशन और मैरीटाइम ट्रांसपोर्ट आदि से संबंधित कार्यो में जियोइंफॉर्मेटिक्स काफी मददगार साबित हो रहा है।
क्लाइमेट चेंज स्टडीज, टेलीकम्यूनिकेशंस, डिजास्टर मैनेजमेंट और उसकी तैयारियों में इस तकनीक से विशेष मदद मिलती है। इसी तरह बिजनेस लोकेशन प्लानिंग, आर्किटेक्चर और आर्कियोलॉजिकल रिकंस्ट्रक्शन में इस तकनीक को अपनाए जाने के बाद काम की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है। जियोग्राफी और अर्थ साइंस के विशेषज्ञों और शोधार्थियों को भी इस तकनीक से सटीक अध्ययन में काफी मदद मिली है।
जियोइंफॉर्मेटिक्स के बढ़ते महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब यह सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों में बड़े निर्णयों का आधार भी बनने लगा है। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, पर्यावरण एजेंसियां, सरकार, शोध-शिक्षण संस्थान, सर्वेक्षण और मानचित्रीकरण संगठन अपने कामकाजी फैसलों में इस तकनीक से प्राप्त आकंड़ों को वरीयता देते हैं। कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने अपने दैनिक कार्यो का प्रबंधन करने के लिए भी स्पेशल डाटा का उपयोग शुरू कर दिया है।
संभावनाएं
जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी में कई तरह के रोजगार उपलब्ध हैं। साथ ही नए-नए अवसर भी इस क्षेत्र में पैदा हो रहे हैं। एनालिस्ट, काटरेग्राफर, सर्वेयर, प्लानर, एरियल फोटोग्राफर और मैपिंग टेक्निशियन आदि रोजगार के कुछ प्रमुख विकल्प हैं, जिन्हें जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रहे छात्र चुन सकते हैं।
प्रमुख रोजगार क्षेत्र और कार्य
’आईटी : जीआईएस प्रोग्रामर और जीआईएस डेवलपर
’इंवायरन्मेंट : इंवायरन्मेंटल प्लानिंग एंड मैनेजमेंट
’गवर्नमेंट (स्टेट एंड सेंट्रल) : को-ऑर्डिनेटर, साइंटिस्ट, रिसर्च एसोसिएट और जीआईएस एग्जिक्यूटिव
’जियोलॉजी : जियोलॉजिकल एंड जियोमॉफरेलॉजिक मैपिंग, टरेन एंड कडैस्ट्रल मैपिंग और माइनिंग
’डिजास्टर मैनेजमेंट : आकलन और राहत कार्यक्रमों में
’एग्रीकल्चर : फसलों का रकबा जानने और नुकसान का आकलन करने में
’मिलिट्री : युद्ध की योजना बनाने और युद्ध के बाद के प्रभावों का अनुमान लगाने में
’अर्बन : टाउन प्लानिंग, मॉनिटरिंग सर्फेस वाटर और टार्गेटिंग ग्राउंड वाटर
’एजुकेशनल इंस्टीटय़ूट : लेक्चरर, रीडर, साइंटिफिक ऑफिसर और प्रोफेसर
जियोइंफॉर्मेटिक्स कंपनियों में मिलेंगे ये पद
’जीआईएस मैनेजर
’जीआईएस इंजीनियर
’जीआईएस एनालिस्ट/ कंसल्टेंट
’जीआईएस बिजनेस कंसल्टेंट
’जीआईएस प्रोग्रामर
’जीआईएस एग्जिक्यूटिव
उपलब्ध पाठय़क्रम
’बीटेक इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
’एमएससी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
’एमएससी इन जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग
’एमटेक जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड सर्वेइंग टेक्नोलॉजी
’पीजी डिप्लोमा इन जियोइंफॉर्मेटिक्स
योग्यता
जियोइंफॉर्मेटिक्स एक खास क्षेत्र है, जो विषय की बेहतर समझ और गहरी जानकारी की अपेक्षा रखता है। इस क्षेत्र में बतौर छात्र प्रवेश करने के लिए विज्ञान पृष्ठभूमि का होना जरूरी है। जियोग्राफी, जियोलॉजी, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, आईटी और कंप्यूटर साइंस में से किसी एक विषय में बैचलर डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र जियोइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग विषय के एमएससी या एमटेक पाठय़क्रम में दाखिला ले सकते हैं। इसके बाद पीएचडी करने का भी विकल्प रहता है। इन विषयों में शार्ट टर्म डिप्लोमा, सर्टििफकेट और पीजी डिप्लोमा पाठय़क्रम भी उपलब्ध हैं। इस विषय के पाठय़क्रमों में प्रोजेक्शन सिस्टम से संबंधित तकनीकों, एनोटेशन डाइमेंशन एंड प्लॉटिंग, डाटाबेस मैनेजमेंट, 3 डी विजुअलाइजेशन, थिमेटिक मैपिंग, रिमोट सेंसिंग प्लेटफॉर्म, वेब मैपिंग, फोटोग्रामेट्री, काटरेग्राफी, जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम्स और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के बारे में जानकारी दी जाती है।
संबंधित संस्थान
’ इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून
’ इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, कानपुर और रुड़की
’ बिरला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची, कोलकाता, जयपुर
’ नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी, हैदराबाद
’ इसरो, बेंगलुरु
’ जवाहरलाल नेहरू टेक्निकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
’ सिंबायोसिस इंस्टीटय़ूट ऑफ जियोइंफॉर्मेटिक्स
जरूरी गुण
’ जटिल मामलों को सुलझाने का कौशल
’ विश्लेषण करने का हुनर
’ समस्याओं को भांपने और उनका हल तलाशने की काबिलियत
’ अपने विषय से गहरा लगाव
’ नए उपायों को तलाशने का उत्साह
’ रचनात्मकता और सीखने की ललक
’ लिखित व मौखिक रूप में भाषा पर गहरी पकड़
’ नई चीजों को जानने और सीखने में रुचि
’ अपने विषय क्षेत्र की गहरी जानकारी और उसमें हो रहे बदलावों का ज्ञान
अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ का वित्तीय प्रबंधन बेहतर : डॉ. रमन सिंह : विधानसभा में राज्य सरकार का तृतीय अनुपूरक ध्वनिमत से पारित
प्रदेश के बजट का आकार बढ़कर 74,339 करोड़ रूपए
रायपुर@M4S: मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि हिन्दुस्तान के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ का वित्तीय प्रबंधन बहुत बेहतर है। उन्होंने आज अपरान्ह यहां विधानसभा में राज्य सरकार के चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 के तृतीय अनुपूरक बजट प्रस्तावों पर पक्ष और विपक्ष की चर्चा का जवाब देते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर आर्थिक प्रबंधन के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ पर ऋण भार भी अल्पतम है।
मुख्यमंत्री के उदबोधन के बाद लगभग तीन हजार 180 करोड़ रूपए की तृतीय अनुपूरक अनुदान मांगों को सदन में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। डॉ. रमन सिंह ने सदन को बताया कि राज्य के वित्तीय वर्ष 2015-16 के मुख्य बजट में कुल 67 हजार 546 करोड़ रूपए का प्रावधान था। प्रथम, द्वितीय और आज तृतीय अनुपूरक को मिलाकर प्रदेश सरकार के इस वित्तीय वर्ष के बजट का आकार 74 हजार 339 करोड़ रूपए हो गया है। उन्होंने सदन को बताया कि तृतीय अनुपूरक में आयोजना व्यय एक हजार 155 करोड़ रूपए और आयोजनेत्तर व्यय दो हजार 025 करोड़ रूपए है। इसमें से 136 करोड़ रूपए पूंजीगत व्यय और दो हजार 404 करोड़ रूपए राजस्व व्यय शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्पूर्ण तृतीय अनुपूरक अनुदान मांग तीन हजार 180 करोड़ रूपए है, जिसमें विभिन्न योजनाओं का केन्द्रांश और अर्थोंपाय अग्रिम की राशि दो हजार 076 करोड़ रूपए शामिल हैं। राज्य पर केवल एक हजार 104 करोड़ रूपए का शुद्ध ऋण भार है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है।
मुख्यमंत्री ने कहा – तृतीय अनुपूरक में इस वर्ष के कमजोर मानसून की वजह से सूखा प्रभावित किसानों के अल्पकालीन कृषि ऋणों में 25 प्रतिशत ऋ़ण माफी हेतु सहकारी बैंकों के लिए 80 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। डॉ. सिंह ने कहा- सूखा प्रभावित किसानों के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मेरे द्वारा अल्पकालीन कृषि ऋणों में राहत देने की घोषणा की गई थी। इसके क्रियान्वयन के लिए अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना 2015 लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत 50 प्रतिशत आनावारी वाले गांवों में वितरित अल्पकालीन कृषि ऋण राशि की 75 प्रतिशत राशि जमा करने वाले किसानों को 25 प्रतिशत ऋण माफी का विकल्प दिया गया है। ग्रामीण अधोसंरचना विकास का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विगत वर्षों में पूर्णतः केन्द्र पोषित थी, अब केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के शेयरिंग पैटर्न में परिवर्तन के बाद केन्दांश तथा राज्यांश का अनुपात 60 अनुपात 40 हो गया है। भारत सरकार से अतिरिक्त आवंटन के फलस्वरूप परिवर्तित अनुपात के अनुसार इसके लिए तृतीय अनुपूरक में 80 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया – छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी को अनुदान देने के लिए राज्य शासन द्वारा नॉन एसएलआर बाण्ड जारी किया जाएगा। इसके लिए तृतीय अनुपूरक में 870 करोड़ 12 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया – राज्यों की विद्युत वितरण कम्पनियों की आर्थिक स्थिति एवं परिचालन सुधारने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा ’उदय’ योजना लागू की गई है। इसके अंतर्गत केन्द्र तथा राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी के बीच त्रिपक्षीय एम.ओ.यू. किया गया है। विद्युत वितरण कम्पनी की ऋण देयताओं की पुनर्संरचना करते हुए इनके परिचालन में सुधार किया जाएगा। इस एम.ओ.यू. के अनुसार 30 सितम्बर 2015 की स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी की देय बकाया ऋण राशि के 75 प्रतिशत का ऋण भार राज्य सरकार पर होगा, जिसका 50 प्रतिशत भार चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में ही राज्य सरकार पर आएगा। इसके लिए नॉन एसएलआर बाण्ड जारी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि केन्द्र प्रवर्तित राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम के तहत अतिरिक्त केन्द्रीय आवंटन के फलस्वरूप तृतीय अनुपूरक में 57 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। वन्य प्राणियों से हुई जनहानि की क्षतिपूर्ति के लिए दो करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। डॉ. रमन सिंह ने यह भी बताया-प्रदेश की जेलों में जैमर उपकरणों के रख-रखाव के लिए एक करोड़ 40 लाख रूपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक में किया गया है। प्रदेश में आयोजित 20वें राष्ट्रीय युवा उत्सव के लिए दो करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान में तृतीय अनुपूरक में किया गया है। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा गठित तृतीय राज्य वित्त आयोग के स्थापना व्यय के लिए पांच लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया – शासकीय विभागों की विद्युत देयताओं के भुगतान के लिए 24 करोड़ 87 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। यह राशि राज्य वि़द्युत वितरण कम्पनी के लिए होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) की स्थापना दुर्ग जिले के ग्राम सिरसा खुर्द में की जा रही है। इसकी जमीन के प्रब्याजी और भू-भाटक का भुगतान नगर निगम दुर्ग को किया जाएगा। इसके लिए 17 लाख 35 हजार रूपए का प्रावधान तृतीय अनुपूरक में किया गया है। नगरीय क्षेत्रों में पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क से मिलने वाली राशि के हस्तांतरण के लिए तृतीय अनुपूरक में सात करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया – राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग रायपुर और अधीनस्थ जिला उपभोक्ता फोरम के भवन निर्माण के लिए तृतीय अनुपूरक में दो करोड़ रूपए की धनराशि रखी गई है।
मुख्यमंत्री ने लोकप्रिय संत कवि श्री पवन दीवान के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया : एक चमकदार सितारे का अवसान हृदयविदारक : डॉ. रमन सिंह
राजकीय सम्मान के साथ होगी अंतिम बिदाई विशेष विमान से रायपुर लाया जाएगा पार्थिव शरीर
रायपुर@M4S:मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद श्री पवन दीवान के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। श्री दीवान का आज सवेरे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्री दीवान का पार्थिव शरीर विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली से रायपुर लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि श्री दीवान की अंत्येष्टि सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने आज राजधानी रायपुर में जारी शोक संदेश में कहा कि श्री पवन दीवान के निधन से छत्तीसगढ़ के साहित्य और आध्यात्मिक आकाश के एक चमकदार सितारे का अचानक अवसान हम सबके लिए अत्यंत हृृदयविदारक है। मुख्यमंत्री ने कहा – स्वर्गीय श्री दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के लिए जनचेतना जागृत करने में अपना ऐतिहासिक योगदान दिया। उन्होंने अपनी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी कविताओं के माध्यम से जहां मानवीय संवेदनाओं को लगातार अपनी हृदय स्पर्शी अभिव्यक्ति दी, वहीं राज्य निर्माण के लिए जन-जागरण में भी उनकी कविताओं ने उत्प्रेरक का कार्य किया। रामायण और भागवत प्रवचन के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक योगदान दिया। डॉ. सिंह ने कहा-वर्ष 1977-78 में तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में राजिम से विधायक निर्वाचित श्री दीवान ने जेल मंत्री के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। मुख्यमंत्री ने कहा – महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र के सांसद के रूप में और छत्तीसगढ़ राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी जनता को अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी। मुख्यमंत्री ने श्री दीवान के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
ज्ञातव्य है कि श्री पवन दीवान का जन्म एक जनवरी 1945 को राजिम के पास ग्राम किरवई में हुआ था। उनके पिता श्री सुखरामधर दीवान शिक्षक थे। श्री पवन दीवान ने राजधानी रायपुर के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम.ए. किया था। उन्होंने हिन्दी में भी स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की थी। वह संस्कृत, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे। श्री दीवान राजिम स्थित ब्रम्हचर्य आश्रम के सर्वराकार भी रहे। उनके कविता संग्रहों में ’मेरा हर स्वर उसका पूजन’ और ’अम्बर का आशीष’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके कविता संग्रह ’अम्बर का आशीष’ का विमोचन उनके जन्मदिन पर एक जनवरी 2011 को राजिम में हुआ था। हिन्दी साहित्य में ’लघु पत्रिका आंदोलन’ के दिनों में वर्ष 1970 के दशक में श्री पवन दीवान ने साइक्लो-स्टाइल्ड साहित्यिक पत्रिका ’अंतरिक्ष’ का भी सम्पादन और प्रकाशन किया था। वह वर्तमान में ’माता कौशल्या गौरव अभियान’ से भी जुड़े हुए थे।
ऐसा रिकॉर्ड बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं विराट कोहली
नई दिल्ली(एजेंसी):विश्व क्रिकेट में विराट कोहली सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में शुमार किये जाते हैं। कोहली के लिए टीम और पिच कुछ खास मायने नहीं रखती, ग्राउंड के हर कोने में उनकी गेंद को मारने की क्षमता से सभी गेंदबाज खौफ खाते हैं। कोहली ने अब तक के करियर में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं।
एशिया कप 2016 के 7वें मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को पांच विकेट से हरा दिया। कोहली ने इस मुकाबले में 47 गेंदों पर सात चौंकों की मदद से शानदार 56 रन बनाए। इस पारी की बदौलत उन्होंने एक ओर रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। कोहली ने पिछले एक महीने में पांच टी-20 मैंचों में तीन बार मैन ऑफ द मैच बनने का गौरव हासिल किया है। वे ऐसा करने वाले क्रिकेट जगत के एकमात्र बल्लेबाज हैं।
इससे पहले विराट ने 29 जनवरी को सिडनी में मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने एशिया कप में 27 फरवरी को पाकिस्तान के खिलाफ शानदार पारी खेलकर ये अवॉर्ड हासिल किया था।
इसके अलावा कोहली ने एक और कीर्तिमान हासिल किया है। उन्होंने इस साल 6 टी-20 मैंचों में 103.66 की बेहतरीन औसत से 311 रन बनाए। वे पिछले 6 मैंचों में 4 अर्धशतक जड़ चुके हैं और पिछली 14 पारियों में विराट के बल्ले से 9 अर्धशतक लगा चुके हैं।