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कोरबा के 158 स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स, रेंजर्स को मिला राज्यपाल पुरस्कार राजभवन में आयोजित हुआ राज्यपाल पुरस्कार एवं अलंकरण समारोह

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कोरबा@M4S:26 मई को रायपुर स्थित राजभवन में राज्यपाल पुरस्कार एवं अलंकरण समारोह आयोजित हुआ। कोरबा जिले के 158 स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स, रेंजर्स को राज्यपाल पुरस्कार का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ।
राज्यपाल पुरस्कार एवं अलंकरण समारोह का आयोजन भारत स्काउट्स एवं गाइड्स, छतीसगढ, राज्य मुख्यालय द्वारा किया गया था। समारोह में राज्यपाल रमेन डेका द्वारा सत्र 2023- 24 एवं 2024- 25 में सफल होने वाले स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स, रेंजर्स को राज्यपाल पुरस्कार का वितरण किया गया। कोरबा जिले से सत्र 2023- 24 में 76 तथा 2024- 25 में 82 स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स, रेंजर्स ने राज्यपाल पुरस्कार की पात्रता प्राप्त की थी। राजभवन में आयोजित समारोह में कोरबा जिले से सफल होने वाले 158 स्काउट्स, गाइड्स, रोवर्स, रेंजर्स का राज्यपाल पुरस्कार का प्रमाण पत्र स्काउट केशव प्रसाद यादव, गाइड खुशी कुर्रे, रोवर चेतन देवांगन, रेंजर सोमी रत्नाकर ने प्राप्त किया। जिला सचिव भरत सिंह वर्मा के नेतृत्व में कोरबा जिले के चयनित प्रतिभागी राजभवन पहुंचे थे। राज्यपाल पुरस्कार एवं अलंकरण समारोह में समारोह में स्कूल शिक्षा सचिव परदेशी सिद्धार्थ कोमल, राज्यपाल के सचिव डॉ सीआर प्रसन्ना, राज्य मुख्य आयुक्त डॉ सोमनाथ यादव, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश अग्रवाल मंचासीन रहे।

दस ब्लड बैंकों के लाइसेंस की समय सीमा समाप्त  बिना रिन्यू कराए ही किया जा रहा संचालन

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कोरबा@M4S:कोरबा समेत छत्तीसगढ़ में संचालित कुल दस ब्लड बैंकों के लाइसेंस की वैलिडिटी समाप्त हो चुकी है। बावजूद इसके ये बैंक बिना रिन्यू कराए यूं ही संचालित हो रहे हैं। इनमें कोरबा का बिलासा ब्लड बैंक और यहां तक कि जिला अस्पताल ब्लड बैंक गरियाबंद का नाम भी शामिल है। बताया जा रहा है कि बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस 2023 से एक्सपायर है, जबकि प्रबंधन की ओर से समय रहते नवीनीकरण की कवायद शुरू कर दी गई थी, पर दिल्ली मुख्यालय से ही लगातार लेटलतीफी की जा रही है। इधर जिले के सहायक औषधि नियंत्रक भी बिलासा ब्लड बैंक की ओर से एप्लाई कर देने और नवीनीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने की बात कह रहे हैं।
जानकारी अनुसार कोरबा का बिलासा ब्लड बैंक लगभग दो साल से बिना लाइसेंस के ही चल रहा है। लाइसेंस की वैधता 2023 को खत्म होने के बाद इसका नवीनीकरण नहीं हो सका। प्रबंधन का कहना है कि लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन नवीनीकरण का काम लटका रहा। यह हाल सिर्फ कोरबा के बिलासा ब्लड बैंक का ही नहीं, प्रदेशभर के कुल दस ब्लड बैंकों में यही हाल है, जिनके लाइसेंस नवीनीकरण की कार्यवाही दिल्ली स्तर पर ही लटकी हुई है।ब्लड बैंक संचालन को लेकर जो गाइडलाइन बनी है, उसके अनुसार हर 5 साल में निर्धारित प्रक्रिया के तहत लाइसेंस नवीनीकरण किया जाता है। इसकी कॉपी नोटिस बोर्ड पर चस्पा होनी चाहिए। इसके पीछे डोनर या ब्लड लेने वाले को लाइसेंस की जानकारी होना उद्देश्य है। ब्लड बैंक के संचालन के लिए फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय भारत सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। ब्लड बैंक का लाइसेंस खत्म होने से पहले लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए निर्धारित फीस जमा कर आवेदन करना होता है। इसके बाद फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय की मुंबई से टीम निरीक्षण करने आती है, जो अपनी रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को सौंपती है। दिल्ली से लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा के बाद फूड एवं ड्रग कंट्रोल विभाग रायपुर से लाइसेंस जारी होता है। बिलासा ब्लड बैंक का लाइसेंस दो साल पहले यानी 2023 को खत्म हो गया। तब से बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक संचालित हो रहा है। जानकारों के अनुसार पूरे देश में संचालित ब्लड बैंकों को लाइसेंस केंद्रीय फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय नई दिल्ली से जारी होता है। लाइसेंस रिन्यू के लिए जब फीस जमा हो जाती है तो उसे तब तक रिन्यू माना जाता है, जब तक कि लाइसेंस कैंसिल न किया जाए। अमूल्य जिंदगी बचाने संचालित ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण में देरी कर विभाग द्वारा ही निर्धारित मानकों की खुले तौर पर धज्जियां उड़ाई जा रही और जिम्मेदार विभाग मूक दर्शक बना हुआ है। बिना वैधता यूं ब्लड बैंक के संचालन की मनमानी पर लगाम लगाने की बजाय विभागीय अफसर भी आँखें मूंदे बैठे हैं। जिलेभर के नर्सिंग होम, निजी एवं शासकीय अस्पतालों में प्रतिदिन कई ऑपरेशन, सर्जरी और प्रसव होते हैं। अधिकांश में मरीज के लिए ब्लड की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके अलावा खून की कमी या एनीमिया के केस में ब्लड की जरूरत पड़ती है। जिला ब्लड बैंक के अलावा ज्यादातर मामलों में इसकी पूर्ति निजी संस्थाओं द्वारा संचालित ब्लड बैंक से होती है। इनमें घंटाघर चौक स्थित बिलासा ब्लड बैंक काफी पुराना ब्लड बैंक है। बावजूद इसके लाइसेंस नवीनीकरण की जरूरी प्रक्रिया बिना पूर्ण किए ही ब्लड मरीजों को दिए जा रहे हैं।

हर 5 साल में कराना होता है रिन्यू
ब्लड बैंक का संचालन खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है, इसकी पुष्टि करते हुए हर 5 साल में विधिवत इनस्पेक्शन के बाद लाइसेंस नवीनीकरण किया जाता है। अफसरों की टीम समय-समय पर यहां निरीक्षण करती है और वे यह जांचते हैं कि यहां मानव के शरीर से खून निकालने वाली मशीनें ठीक तरह से चल रही है या नहीं। स्टरलाइज करने वाले संसाधन साफ सुथरे है या नहीं? इसके अलावा निरीक्षण के दौरान कई ऐसे बिंदु होते हैं जो महत्वपूर्ण होते हैं। ड्रग विभाग को इसकी जांच हर माह करता है और इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों भी भेजता है। वर्ष 2023 से इंस्पेक्शन और जरूरी जांच कर लाइसेंस नवीनीकरण की यह प्रक्रिया लंबित है और ऐसे में बिलासा ब्लड बैंक की मौजूदा व्यवस्था कैसी है, यह जानने किसी ने रुचि नहीं दिखाई।

नियंत्रक ने लिखा है पत्र
इसी माह 16 मई को इस संबंध में खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़, नवा रायपुर के नियंत्रक दीपक कुमार अग्रवाल ने एक पत्र डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी औषधि महानियंत्रक भारत (केन्द्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण) खाद्य एवं औषधि प्रशासन नई दिल्ली को पत्र भी लिखा है। इसमें श्री अग्रवाल ने निवेदन किया है कि छत्तीसगढ़ के इन दस ब्लड बैंकों का लाइसेंस एक्सपायर्ड हो जाने संबंधी फाइलों को ऑफलाइन मोड के माध्यम से विचार करने या सीडैक को पोर्टल खोलने का आदेश जारी करने आग्रह किया गया है। पत्र में यह भी अवगत कराया गया है कि फर्मों ने निर्धारित समय के भीतर ऑफ़लाइन मोड के माध्यम से नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। उन्होंने ओएनडीएलएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने का बहुत प्रयास किया, पर वे ऐसा नहीं कर सके। सीडैक टीम से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मामले को आपके कार्यालय तक पहुंचाएं। अत: इन ब्लड बैंकों के लाइसेंस नवीनीकरण आवेदन को ऑफलाइन माध्यम से करने पर विचार करें अथवा सीडैक टीम को ओएनडीएलएस पोर्टल खोलने का आदेश दें, ताकि समाप्त हो चुके लाइसेंसों के लिए आवेदन किया जा सके।

जन्म प्रमाण पत्र के लिए पैसे मांगने वाली एएनएम निलंबित

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कोरबा@M4S:बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र देने और सुधार कराने के एवज में रुपये मांगने वाली ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता को निलम्बित कर दिया गया है।
आयुष्मान आरोग्य मंदिर मड़ई में पदस्थ एएनएम के बारे में शिकायत को कलेक्टर अजीत वसंत के संज्ञान में लाए जाने के तत्काल बाद उन्होंने जांच के निर्देश दिए थे। शिकायत को जांच में सही पाए जाने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा यह कार्रवाई की गई है। जारी आदेश अनुसार निलंबन अवधि में इसका मुख्यालय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जटगा, विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा तय किया गया है। कलेक्टर के निर्देश उपरांत पोड़ी उपरोड़ा के एसडीएम टीआर भारद्वाज के द्वारा ग्राम बंजारी में तहसीलदार को भेजा गया। उनके द्वारा पीडि़त महिला अमीषा धनवार सहित अन्य ग्राम वासियों के बयान दर्ज किए गए। इसी प्रकार जनपद अध्यक्ष माधुरी देवी, जनपद सदस्य व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी गांव पहुंचकर अपने स्तर पर बयान दर्ज किया था।ग्रामीणों ने बताया था कि एएनएम सरस्वती रजक के द्वारा इलाज करने और दवाई देने के नाम पर भी पैसे लिए जाते हैं। बिना पैसा लिए दवाई नहीं दी जाती। पीडि़ता अमीषा धनवार पति समय लाल ने बताया कि उसने 12 किलो चावल बेचकर 500 रुपए इक_ा किया है लेकिन एएनएम मिल नहीं रही है। ग्रामीणों ने बताया कि किसी ने अपने पहले बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए 700 रुपए दिया था और दूसरे बच्चे के लिए 500 रुपए दिया उस पर भी गलती हो जाने पर सुधार करना पड़ रहा है जिसके लिए भी पैसे मांगे जा रहे हैं।

कोयला के मलबे में दबकर दो की मौत खदान में घुसकर कोयला चुराने के दौरान हुई घटना

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कोरबा@M4S:जिले के एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) गेवरा कोयला खदान में मंगलवार सुबह बड़ा हादसा हुआ। हरदी बाजार मुडापार बाजार के रहने वाले तीन युवक कोयला चोरी करने के लिए खदान में घुसे थे, जिसमें से दो युवकों की दबकर मौत हो गई, जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया।
मृतकों की पहचान विशाल यादव (18 वर्ष) और धन सिंह कंवर (24 वर्ष) के रूप में हुई है, जबकि घायल युवक की पहचान साहिल धनवार (19 वर्ष) के रूप में हुई है। घटना की जानकारी मिलते ही हरदी बाजार पुलिस मौके पर पहुंच गई है और जांच शुरू कर दी है। एसईसीएल के पीआरओ डॉ. सनिश चंद्र ने बताया कि स्थानीय पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरदीबाजार मुड़पार बाजार के रहने वाले तीन युवक कोयला चोरी करने के लिए खदान बाउंड्री एरिया में बिना अनुमति के घुसे थे। खदान की बाउंड्री में कुछ कोयला रह जाता है, यह दीवार 15-20 फीट तक ऊंची होती है। संभावित है कि इस स्थान से कोयला चोरी करते समय कोयले की परत भसक गई होगी और गिर जाने से दुर्घटना हुई हो। प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि युवक बिना अनुमति सुरक्षा और माइंस सिक्युरिटी पाइंट से बचते हुए दाखिल हुए थे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कोयला चोरी की वारदातें आज भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मामले में पुलिस द्वारा आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। घटना के बाद बड़ी संख्या में गांव वाले मौके पर जमा हो गए।

CRICKET MATCH: 427 रन का मिला टारगेट, महज 2 रन पर पूरी टीम ढेर… आज से पहले नहीं देखा होगा ऐसा क्रिकेट मैच

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नई दिल्ली(एजेंसी):क्रिकेट को ‘अनिश्चितताओं का खेल’ कहा जाता है। यहां कब कौन-सा रिकॉर्ड बन जाए और कब कौन-सा उलटफेर हो जाए, कोई नहीं जानता। लेकिन, इंग्लैंड में हाल ही में हुए एक क्लब मैच ने तो इस कहावत को एक बिल्कुल नए स्तर पर पहुंचा दिया है।आप सोचिए, एक टीम बल्लेबाजी करने आती है और पूरी की पूरी टीम सिर्फ 2 रन पर ऑलआउट हो जाती है। ये आपको मजाक लग रहा होगा, लेकिन ये सच है, जिसने क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया है। यह चौंकाने वाला वाक्या मिडिलसेक्स काउंटी क्रिकेट लीग में सामने आया, जहां रिचमंड क्रिकेट क्लब की चौथी टीम (Richmond CC 4th XI) का सामना नॉर्थ लंदन क्रिकेट क्लब की तीसरी टीम (North London CC 3rd XI) से हुआ।

 

नॉर्थ लंदन ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 45 ओवर में 426 रन का एक बड़ा स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में रिचमंड मैच में हार जाएगी, इसकी सभी को उम्मीद, लेकिन इतना बुरा हाल होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। रिचमंड के बल्लेबाजों ने मैदान पर कदम रखा और कुछ ही देर में पूरी टीम महज 2 रन बनाकर पवेलियन लौट गई। 

रिचमंड की टीम सिर्फ 2 रन पर हुई ऑलआउट

दरअसल, इंग्लैंड में एक क्रिकेट मैच खेला गया, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह गया। रिचमंड क्रिकेट क्लब की चौथी टीम (Richmond CC 4th XI) सिर्फ 2 रन पर ही ऑलआउट हो गई। ये स्कोर जानकर आप भी हैरान जरूर हो रहे होंगे, लेकिन ये सच है।

मुकाबला रिचमंड की टीम और नॉर्थ लंदन क्रिकेट क्लब की तीसरी टीम (North London CC 3rd XI) के बीच खेला गया था। मैच में नॉर्थ लंदन की टीम ने पहले बल्लेबाजी की और 45 ओवर में 6 विकेट खोकर 426 रन का बहुत बड़ा स्कोर खड़ा किया।उनकी तरफ से डैन सिमंस ने 140 रन बनाए, वहीं जैक लेविथ ने 43 और नेविल अब्राहम ने 42 रन का योगदन दिया।

‘बच्ची का दादा-दादी के साथ रहना भी जरूरी’, मां ने निचली अदालत के फैसले को दी चुनौती; अब HC ने सुनाया अहम फैसला

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कोलकाता(एजेंसी): कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने पर्यवेक्षण में कहा है कि बच्चों का माता-पिता की तरह दादा-दादी के साथ रहना भी जरूरी है। वे दादा-दादी से कहानियां सुनते हैं। दादा-दादी अपने जीवन के अनुभवों को भी उनके साथ साझा करते हैं। इससे उनके परस्पर संबंध मजबूत होते हैं और बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बच्चों का दादा-दादी के साथ रहना जरूरी
बच्चों के अच्छी तरह से पालन-पोषण में यह महत्वपूर्ण है। हाई कोर्ट ने आठ साल की बच्ची से जुड़े मामले में यह बात कही। बच्ची के माता-पिता अलग रहते हैं। दोनों ही पेशे से चिकित्सक हैं। बच्ची मां के साथ रहती है। 

अलीपुर अदालत ने सुनाया था फैसला

कोलकाता की अलीपुर अदालत ने पिता को तीन दिन अपनी बेटी के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग पर बात करने व एक दिन उससे मिलने की अनुमति दी है। पिता बेटी को गर्मियों की छुट्टी में 15 दिन अपने साथ रखना चाहते थे। मां ने इसका विरोध किया। पिता ने इस बाबत अलीपुर अदालत में आवेदन किया था।

बच्ची को सात दिन के लिए रखने की इजाजत

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई के दौरान बच्ची से अलग से बातचीत कर उसकी इच्छा भी जानी थी। बच्ची ने न्यायाधीश को बताया कि उसे अपने पिता के साथ 15 दिन रहने में कोई परेशानी नहीं है, हालांकि मां के साथ होने पर उसे और भी खुशी होगी। बच्ची की बातें सुनने के बाद न्यायाधीश ने 15 के बदले सात दिनों की अनुमति दी थी।
हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती
मां ने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पिता के अधिवक्ता ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जितने दिन बेटी अपने पिता के साथ रहेगी, उतने दिन उसके दादा-दादी भी साथ रहेंगे। इससे बच्ची को कोई परेशानी नहीं होगी।
न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि बच्चों के पिता के साथ समय व्यतीत करने की भी आवश्यकता होती है। यह उनके विकास के लिए महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि बच्ची जब भी फोन पर अपनी मां के साथ बात करना चाहेगी, उसे बात करने देना होगा। बच्ची को कोलकाता के बाहर भी कहीं नहीं ले जाया जा सकेगा।

IPL 2025 FINAL: मुंबई इंडियंस नहीं, इन दो टीमों के बीच होगा आईपीएल फाइनल, भारतीय दिग्गज ने की बड़ी भविष्यवाणी

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नई दिल्ली(एजेंसी): पंजाब किंग्स ने IPL 2025 के अपने आखिरी लीग मैच में मुंबई इंडियंस को 7 विकेट से हराकर पॉइंट टेबल में शीर्ष स्थान हासिल किया है। इस जीत के साथ उन्होंने 19 अंकों के साथ क्वालीफायर 1 में अपनी जगह पक्की कर ली है।यह 11 साल बाद है कि पंजाब किंग्स प्लेऑफ में पहुंची है और आखिरी बार वे 2014 में प्लेऑफ और फिर फाइनल में पहुंचे थे। इस मैच में मिली जीत के बाद पूर्व भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा ने आईपीएल 2025 की फाइनलिस्ट टीमों को लेकर भविष्यवाणी की।

 

उनका मानना है कि आरसीबी और पंजाब किंग्स के बीच आईपीएल 2025 का फाइनल मैच खेला जा सकता है। बता दें कि 3 जून को आईपीएल 2025 का फाइनल मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाना है। 

Robin Uthappa ने IPL Finalist की टीमों को लेकर की भविष्यवाणी

दरअसल, सोमवार को जयपुर में मुंबई इंडियंस पर सात विकेट की जीत के बाद पंजाब किंग्स ने टॉप दो में अपनी जगह पक्की कर ली है। श्रेयस अय्यर की कप्तानी वाली टीम 14 मैचों में 19 अंकों के साथ प्वाइंट्स टेबल में टॉप पर है।

 

RCB भी अगर आज यानी लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के खिलाफ जीतती है, तो उनके पास पंजाब किंग्स से ऊपर आने का मौका होगा। RCB 13 मैचों में 17 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर है। अगर वे LSG को हराकर पंजाब किंग्स के नेट रन रेट को पार कर लेते हैं, तो वे टॉप पर पहुंच जाएंगे। इन सबके बीच आईपीएल 2025 के फाइनल में कौन-सी टीम पहुंचेगी, इसको लेकर भविष्यवाणी का दौर शुरू हो गया है।

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने जियोस्टार पर कहा,

 

“टूर्नामेंट में सही समय पर गति और प्लेऑफ में जाने के लिए सही तरह की प्रेरणा चाहिए होती है। पंजाब ने टूर्नामेंट की शुरुआत असाधारण रूप से अच्छी की, लीग चरण के आखिरी में थोड़ी गति खो दी, लेकिन प्लेऑफ से ठीक पहले फिर से गति हासिल कर ली।”

उन्होंने आगे कहा,

 

“यह सच है कि वे नेशनल ड्यूटी के कारण एक या दो खिलाड़ी खो रहे हैं, लेकिन टीम के भीतर भी बल्लेबाजी लाइन-अप वास्तव में मजबूत दिख रहा है। मेरे लिए, अर्शदीप सिंह ने अभी तक पूरी तरह से आग नहीं उगली है, और यह वास्तव में पंजाब के लिए अच्छा संकेत है। इसका मतलब है कि वह एक बड़े प्रदर्शन के लिए तैयार हैं और महत्वपूर्ण खेलों में जलवा दिखाने को उत्सुक होंगे। मुझे पूरा यकीन है कि फाइनल RCB और पंजाब के बीच ही होगा।”

Waqf Act को लेकर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, अधिनियम 1995 को दी गई है चुनौती

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नई दिल्ली(एजेंसी): वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ अधिनियम 1995 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ इस याचिका को 1995 के वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया।
सीजेआई ने देरी पर उठाए सवाल
  • सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने ये नोटिस दिया। पीठ निखिल उपाध्याय द्वारा 1995 अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
  • सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता के वकील अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि 1995 अधिनियम को अब क्यों चुनौती दी जा रही है।
  • इसपर वकील ने कहा कि हम 2013 के संशोधन को भी चुनौती दे रहे हैं। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि इसमें भी 12 साल हो गए। हम देरी की वजह से केस खारिज कर देंगे।

जवाब देते हुए वकील उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही 2020-21 में पूजा स्थल अधिनियम 1991 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

याचिकाकर्ता ने दी ये दलील

बता दें कि याचिकाकर्ता ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम 1995 की कई धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 27 के विरुद्ध हैं।

याचिकाकर्ता ने ये भी तर्क दिया कि केवल मुसलमानों के पास ही उनकी धार्मिक संपत्तियों को संभालने से संबंधित कानून है और अन्य धर्मों के पास ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए यह तर्क दिया गया कि वक्फ अधिनियम 1995 भेदभावपूर्ण था।

MUMBAI RAINS: हर साल मानसून के दौरान मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति क्यों आ जाती है? पढ़ें ये 5 बड़े कारण

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नई दिल्ली(एजेंसी):मुंबई में पिछले दो दिन से भयंकर बारिश हो रही है। मुंबई की सड़कें पानी से लबालब है। मुंबई में वेस्टर्न और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे समेत कई अन्य प्रमुख मार्गों पर भी ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। बताया जा रहा है इस बार महाराष्ट्र में समय से पहले मानसून ने एंट्री दे दी है।
मुंबई में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। अब ऐसे में सवाल ये उठता है हर बार मुंबई में बारिश से बाढ़ जैसे हालात क्यों बनते हैं । मुंबई एक ऐसा शहर है जो हर साल बारिश में डूबता है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है?
टाइड्स पर निर्भरता
मुंबई की जल निकासी प्रणाली (Mumbai drainage system) काफी हद तक टाइड्स पर निर्भर करती है, और यदि भारी बारिश और उच्च टाइड एक साथ आते हैं, तो पानी को बनाए गए पंपिंग स्टेशनों के माध्यम से बाहर निकलना पड़ता है। मुंबई की प्राकृतिक जल निकासी और पानी का प्रवाह केवल तभी काम होता है जब टाइड कम होता है।

समुद्र के पानी को शहर में एंटर करने से रोकने के लिए लॉक गेट का इस्तेमाल किया जाता है और यही कारण है कि पंप काम करने के बावजूद इसे बाहर निकालने में समय लगता है।

टॉपोग्राफी: सात द्वीपों का संग्रह

मुंबई मूल रूप से सात द्वीपों का एक संग्रह था। जमीन को दोबारा हासिल करके एक लैंड मास बनाया गया, लेकिन इससे निचले इलाकों का निर्माण हुआ जहां भारी बारिश के दौरान बारिश का पानी इकट्ठा होता है, जिसे फिर तूफानी नालों और पंपिंग स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से बाहर पंप किया जाता है।

बारिश का पैटर्न बदलना

पिछले कुछ सालों में मुंबई में बारिश के पैटर्न में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं, और इसकी वजह से पूरे मानसून जल्दी आ गया और समय से पहले ज्यादा मात्रा में बारिश हो रही है।

अब बारिश के पानी के लिए बनी नालियां, चाहे उनमें कितनी भी बेहतर व्यवस्था क्यों न हो, भारी बारिश का सामना नहीं कर पातीं।

मानसून से पहले का महत्वपूर्ण काम

मानसून का समय से पहले आना मुंबई जैसे शहर के लिए कई तरह की चुनौतियां लेकर आता है। नालियों को साफ करने और गाद निकालने का काम एक तय समय पर होता है और अधूरे काम की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि जल निकासी की व्यवस्था ठीक से काम नहीं करती।

पुराना और अधूरा ड्रेनेज सिस्टम

मुंबई के स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम जिसका अनावरण 2005 की मुंबई बाढ़ के बाद किया गया था। इसमें उस साल 1094 लोग मारे गए थे, जिसका उद्देश्य मुंबई की 19वीं सदी की जल निकासी प्रणाली को दुरुस्त करना था, ये अभी भी अधूरा है। मुंबई नगर निगम ने ब्रिटिश काल के इस ड्रेनेज सिस्टम को अभी तक आधुनिक शहर के हिसाब से पूरी तरह नहीं सुधारा है। ये भी एक कारण है मुबंई में बाढ़ आने का

पिछले 10 साल में जल निकासी प्रणाली में क्षमता बढ़ाने के लिए काफी काम किए गए हैं, जिसमें तूफानी जल निकासी नालियों को चौड़ा करना और पंपिंग स्टेशन जोड़ना शामिल है।

 

देश के सबसे उन्नत ट्रांसफॉर्मर अब बनेंगे रायपुर में

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300 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश प्रस्ताव

छत्तीसगढ़ से होगा अब पूरे देश को ट्रांसफॉर्मर सप्लाई

रायपुर@M4S:विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में छत्तीसगढ़ एक और बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। देश की प्रतिष्ठित कंपनी करमवीर इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने रायपुर में अत्याधुनिक ट्रांसफॉर्मर निर्माण इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समक्ष प्रस्तुत किया। इस इकाई में 300 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाएगा, जिससे छत्तीसगढ़ का नाम देश के सबसे बड़े ट्रांसफॉर्मर निर्माण केंद्रों में शामिल हो जाएगा।

इस अवसर पर कंपनी के प्रबंध निदेशक विवेक जैन ने मुख्यमंत्री से छत्तीसगढ़ सदन, नई दिल्ली में मुलाकात की। बैठक में प्रस्तावित परियोजना की रूपरेखा, निवेश संभावनाएं और रोजगार सृजन के आयामों पर विस्तार से चर्चा हुई। श्री जैन ने बताया कि यह यूनिट तकनीकी दृष्टि से देश की सबसे उन्नत ट्रांसफॉर्मर निर्माण इकाई होगी, जो भविष्य में ऊर्जा क्षेत्र की ज़रूरतों को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने निवेश प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़, विकसित भारत 2047 के निर्माण में एक मजबूत स्तंभ बने। यह निवेश सिर्फ एक औद्योगिक इकाई नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम है। राज्य सरकार इस परियोजना को हरसंभव सहायता प्रदान करेगी।”

यह परियोजना राज्य में बिजली क्षेत्र के आधुनिकीकरण, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, और उद्योग आधारित विकास को गति देगी। विशेष रूप से यह पहल “मेक इन छत्तीसगढ़” के नारे को मजबूती देती है, जहां अब अत्याधुनिक तकनीक से बने ट्रांसफॉर्मर पूरे देश को रोशन करने का कार्य करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के इनवेस्टमेंट कमिश्नर  ऋतु सेन भी उपस्थित थी ।

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