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90 मिनट में दिल्ली से आगरा पहुंचा देगी गतिमान एक्सप्रेस

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नई दिल्ली(एजेंसी):दिल्ली और आगरा के बीच गतिमान एक्सप्रेस ट्रेन का आज फाइनल ट्रायल है। सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर इसे दिल्ली से रवाना किया गया। इस रूट पर सफल संचालन के बाद रेलवे आगरा से लखनऊ के बीच गतिमान एक्सप्रेस चलाने की योजना बना रहा है।

कुछ महीने पहले भी गतिमान एक्सप्रेस का ट्रायल किया गया था। ट्रायल के बाद सुरक्षा आयुक्त ने कुछ स्थानों पर रेलवे ट्रैक के किनारे बाड़े लगाने के निर्देश दिए थे। इसके साथ भी पटरियों में कुछ सुधार भी करने को कहा था।

रेल अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षा आयुक्त की ओर से बताई गई कमियों को दूर करने के बाद ही गतिमान एक्सप्रेस का फाइनल ट्रायल हो रहा है। यह ट्रेन 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पटरियों पर दौड़ेगी। यह ट्रेन दिल्ली से आगरा महज डेढ़ घंटे में पहुंचा देगी।

उत्तराखंड में जानिये क्या होगा 28 मार्च और उसके बाद

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देहरादून(एजेंसी):उत्तराखंड में मौजूदा सरकार रहेगी या नई सरकार आएगी। या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगेगा। इसकी तस्वीर एक हफ्ते बाद साफ हो जाएगी। सरकार को 28 मार्च को बहुमत साबित करना है। जानकारों का मानना है कि इस दिन कई संभावनाएं बनी रहेंगी। एेसे में प्रदेश ही नहीं पूरे देश की नजरें पर उत्तराखंड पर रहेंगी।

उत्तराखंड के विधान सभा के इतिहास में पहली बार यह शक्ति परीक्षण होने जा रहा है। अभी कांग्रेस के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बागी अलग-अलग स्थानों पर रणनीति बनाने में जुटे हैं, जबकि अभी तक सरकार का समर्थन कर रहे बसपा के एक मात्र विधायक इससे बेफ्रिक हैं।

नहीं गिरेगी सरकार
स्पीकर दल-बदल कानून के तहत यदि बागी नौ विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसी दशा में सरकार बच पाएगी। लेकिन इस पर एक पेंच फंस रहा है। स्पीकर सदन में ही यह कार्रवाई कर सकते हैं। सदन के बाहर उनके द्वारा की गई कार्रवाई विधिक नहीं होगी। कार्रवाई होने पर विधायक कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इस पर फैसला आने पर कुछ वक्त लग सकता है।

तो सरकार का गिरना तय
बागियों पर कार्रवाई नहीं होती तो बहुमत के दिन वे सरकार के खिलाफ वोटिंग करेंगे। विपक्ष के 27 सदस्य और कांग्रेस के नौ बागी मिलाकर संख्या 36 हो रही रही है, जो उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा है। यह संख्या होने पर हरीश रावत सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। इस दिन भाजपा के जेल में बंद विधायक गणेश जोशी पैरोल पर रिहा होकर सदन में हिस्सा ले सकते हैं।

पीडीएफ का रोल अहम
कांग्रेस ने अपने कई विधायकों के साथ ही पीडीएफ के सभी छह सदस्य गुप्त स्थान पर ठहराए हैं। सरकार को खतरा हैं कि इनमें से भी कोई खिसक न जाए। अन्यथा यह नौबत नहीं आती कि उन्हें छिपाकर रखा जाता। सरकार को यह भी खतरा है कि बागी या भाजपा उनके विधायक तोड़ सकती है। सीएम को यदि आभास होता है कि वे बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे तो इस दशा में वे राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।

बागी भी कर सकते हैं दावा
कार्रवाई न होने की दशा में बागी भी सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। वे बाहर से भाजपा का समर्थन लेकर राज्यपाल को यह पत्र दे सकते हैं। बागी नौ और विपक्ष के 27 सदस्य मिलाकर नंबर गेम में बाजी मार रहे हैं। बागियों का मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व डा. हरक सिंह रावत में कोई एक हो सकता है। इन परिस्तिथयों में उत्तराखंड में एक विधान सभा कार्यकाल में तीन-तीन मुख्यमंत्री देने का रिकॉर्ड भी बना सकता है।

भाजपा को भी मिल सकता है मौका
राज्यपाल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। सरकार के विधानसभा भंग करने की सिफारिश पर यह स्थिति बनेगी। भाजपा यह न्योता स्वीकार करती या नहीं इस पर 28 मार्च को ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा सरकार बनाने का दांव नहीं खेलेंगी, क्योंकि इसी साल के अंत में विस चुनावों की आचार संहिता लगनी है। एेसे में कुछ माह के लिए सरकार बनाने के तैयार नहीं होगी।

राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
सभी परिस्थितियों को परखने के बाद राज्यपाल डा. केके पॉल उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी कर सकते हैं। राज्यपाल को जब लगेगा को कोई भी दल सरकार बनाने के करीब नहीं है तो तब यह स्थिति उत्पन्न होगी। इस दशा में राज्य में अगले साल फरवरी माह तक राष्ट्रपति शासनकाल से गुजरना पड़ेगा।

पठानकोटः NIA ने जारी की आतंकियों की तस्वीरें, पहचान में मांगी मदद

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नई दिल्ली(एजेंसी):पठानकोट में भारतीय वायु सेना के ठिकाने पर हमले के सिलसिले में एक पाकिस्तानी जांच दल की यात्रा से पहले एनआईए ने अभियान में मारे गए चार आतंकवादियों की तस्वीर सोमवार को जारी की। यह अभियान दो जनवरी को शुरू हुआ था और 80 घंटे से अधिक समय तक चला था।

तस्वीर जारी करने का कदम पाकिस्तान के विशेष जांच दल (एसआईटी) के मामले के तथ्यों और एनआईए द्वारा की गई जांच के बारे में पता लगाने के लिए यहां आने से कुछ दिन पहले उठाया गया है।

एनआईए की विज्ञप्ति में चार मारे गए आतंकवादियों का हुलिया दिया गया है। साथ ही उनकी ऊंचाई का भी ब्योरा दिया गया है। आतंकवाद निरोधक एजेंसी ने कहा है कि आतंकवादियों में से एक के दोनों पांव में अंगूठा नहीं था।

तस्वीर वितरित की गई है और जनता से उस बारे में सूचना साझा करने को कहा गया है। एनआईए ने कहा, जो भी प्रासंगिक और सही सूचना देगा उसे एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। एजेंसी ने पहले ही चार आतंकवादियों के खिलाफ ब्लैक नोटिस जारी करवाने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया है। अंतरराष्ट्रीय नोटिस देश में मिले अज्ञात शव की पहचान के लिए जारी किए जाते हैं।

शेष दो के बारे में एनआईए पठानकोट हवाई ठिकाने में एयरमेन बिलेट से बरामद नमूनों की नए सिरे से जांच के लिए एक अन्य फॉरेंसिक प्रयोगशाला से संपर्क करने की योजना बना रही है। चंडीगढ़ में फॉरेंसिक प्रयोगशाला ने कहा था कि उन्हें एनआईए द्वारा सौंपे गए नमूनों में मानव अवशेष मिले हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शेष दो की पहचान का पता लगने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने संकेत दिया कि पाकिस्तानी एसआईटी के भारत के लिए रवाना होने से पहले उसे पूरा नहीं किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि एसआईटी 27 मार्च को यहां पहुंचेगी और अब तक की गई जांच के बारे में एनआईए से सलाह-मशविरा करेगी। भारत ने पहले ही पाकिस्तान को अनुरोध पत्र भेजा है और चारों के बारे में कुछ विवरण मांगा है।

भारत एक और दो जनवरी की दरम्यानी रात को हवाई ठिकाने पर हमले से पहले चार आतंकवादियों ने जिन नंबरों पर फोन किया था, उसका विवरण मांग रहा है। नंबर ऐसा समझा जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह से जुड़े लोगों के नाम पर है। इसमें मुल्ला दाऊद और कासिफ जान भी शामिल है। साझा किए गए नंबर पाकिस्तानी दूरसंचार ऑपरेटर मोबिलिंक, वारिद और टेलीनॉर के हैं।

एनआईए ने खैयाम बाबर के पुत्रों का भी ब्योरा मांगा है, जो आत्मघाती दस्ते का हिस्सा था, जिसने हमला किया। सूत्रों ने बताया कि हमलावरों के महत्वपूर्ण हैंडलरों में से एक कासिफ जान आतंकवादियों के साथ सीमा तक आया था।

चारों आतंकवादियों के शवों को सुरक्षित रखा गया है। चार में से दो आतंकवादियों की पहचान नासिर और सलीम के तौर पर की गई है। नासिर वह आतंकवादी था, जिसने अपनी मां को फोन किया था जबकि बहावलपुर के रहने वाले बाबर ने पंजाब के पुलिस अधीक्षक सलविंदर सिंह के जौहरी मित्र से फोन छीना था।

जनदर्शन में बेसहारा जमुना बाई की कलेक्टर ने पूरी की फरियाद

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महज एक घंटे के भीतर दिया गया राशन कार्ड
कोरबा@M4S: विगत कई वर्षों से बेसहारा ग्राम दोंदरों की वृद्धा जमुना बाई ने आज कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर पी. दयानंद को अपना दुखड़ा सुनाया। उसने बताया कि उसके तीन बच्चे हैं, लेकिन सभी अन्य गांव में चले गए हैं। वह अकेली रहती है और उसके पास राशन कार्ड भी नही है। राशन कार्ड नही होने से उसे खाद्यान्न भी नही मिल पाता है। किसी तरह से आसपास के लोगों की सहायता से जीवनयापन कर रही है। खाद्यान्न नहीं मिल पाने से होने वाली समस्या के विषय में सुनते ही कलेक्टर पी. दयानंद ने मौके पर जिला खाद्य अधिकारी एच.मसीह को वृद्धा जमुना बाई का राशन कार्ड बनाकर देने और खाद्यान्न वितरण भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर के निर्देश पर कार्यवाही करते हुए एक घंटे के भीतर ही छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत जमुनाबाई चैहान का अन्त्योदय राशन कार्ड (गुलाबी कार्ड) बना दिया गया। इस दौरान जनदर्शन में ही कलेक्टर पी. दयानंद ने जमुना बाई को अन्त्योदय राशन कार्ड प्रदान किया। कलेक्टर की इस पहल से जमुना बाई को अब शासकीय उचित मूल्य की दुकान से प्रतिमाह 10 किलो चावल निःशुल्क में मिल सकेगा। ग्राम दोंदरो विकासखंड कोरबा निवासी जमुना बाई दोनों पैर से खड़े होकर चल पाने में भी असमर्थ है। उसे कलेक्टर पी. दयानंद ने निःशुल्क ट्राईसिकल प्रदान किया था।
करमसिंह को मिली ट्रायसाइकिल- ग्राम गुमियाभाठा (कनकी) निवासी करम सिंह धनुवार ने कलेक्टर जनदर्शन में कलेक्टर पी. दयानंद को ट्राइसिकल नहीं होने से उसको इधर-उधर आने-जाने में होने वाली परेशानी को बताया। उसने बताया कि बचपन से ही वह पैदल नहीं चल पाता। कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग के माध्यम से करम सिंह को तत्काल ट्राईसिकल प्रदान किया। करम सिंह ने छ.ग. शासन एवं कलेक्टर पी. दयानंद के प्रति आभार व्यक्त किया।dsss
क्रतार्थ पटेल का होगा उपचार-
कलेक्टर जनदर्शन में ग्राम बेंदरकोना की उर्मिला पटेल ने अपने पोते क्रतार्थ पटेल के शरीर फूलने से होने वाली शारीरिक परेशानी के बारे में बताते हुये इलाज कराने निवेदन किया। कलेक्टर पी दयानंद ने क्रतार्थ पटेल का उचित उपचार के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ पी आर कुंभकार को निर्देशित किया है।
जनदर्शन में कुल 73 आवेदन प्राप्त हुए। कलेक्टर पी. दयानंद ने प्राप्त आवेदनों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आवेदनों का निराकरण के निर्देश दिए। जनदर्शन में राशन कार्ड, इलाज, नामांतरण, सीमांकन, मुआवजा, बैंक से ऋण स्वीकृति नहीं करने संबंधी आवेदन प्राप्त हुए।
जनदर्शन में जिला पंचायत सीईओ विलास संदीपान भोस्कर, अपर कलेक्टर ए. लकड़ा, हिना नेताम, डिप्टी कलेक्टर विश्वास राव मेश्राम, मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डा. पी.आर.कुंभकार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

नागपुर में न्यूजीलैंड से मिली हारः टोटका चलेगा, वर्ल्ड कप मिलेगा!

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टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का सफर हार से शुरू हुआ है। कीवी टीम के खिलाफ मंगलवार को मिली 47 रनों की हार हर एक इंडियन क्रिकेट फैन को टीस दे रही है। टीम इंडिया ने यह मैच नागपुर के विदर्भ क्रिकेट असोसिएशन स्टेडियम पर गंवाया। न्यूजीलैंड के खिलाफ हार और इस मैदान पर मिली हार का 2007 टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप से बहुत गहरा कनेक्शन है।

क्रिकेट और टोटके का बहुत पुराना कनेक्शन है। क्रिकेटर्स से लेकर फैन्स हर कोई टोटकों पर भरोसा करता है। और अगर अब इस हार को टोटके से जोड़ा जाए तो ये समझ लीजिए कि इस बार टीम इंडिया का वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाना तय है।

टोटका नंबर-1: सबसे पहले बात 2007 टी-20 वर्ल्ड कप की। कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान एक ही मैच गंवाया था और वो था न्यूजीलैंड के खिलाफ। इस बार टीम इंडिया की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ हार से हुई है। न्यूजीलैंड से मिली हार 2007 में टीम इंडिया के लिए लकी साबित हुई थी। इस बार भी अगर ऐसा होता है तो टीम इंडिया का टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा हो जाएगा।

टोटका नंबर-2: भारत की मेजबानी में और कैप्टन कूल धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2011 में वर्ल्ड जीता था। उस पूरे टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने एकमात्र मैच जो गंवाया था वो नागपुर के इसी मैदान पर खेला गया था। 2011 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नागपुर वनडे गंवाया था। एक सच्चा टीम इंडिया का भक्त मना रहा होगा कि एक बार फिर ऐसा ही हो और इस मैदान पर मिली हार टीम इंडिया को वर्ल्ड कप ट्रॉफी तक ले जाए।

 

लाइन पर एक साथ 200 दोस्तों को करें वॉयस कॉल

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दोस्तों के साथ ग्रुप में गपशप करना भला किसे पसंद नहीं होता। हालांकि अक्सर यूजर कॉन्फ्रेंस कॉल में लगने वाले भारी-भरकम शुल्क के चलते ग्रुप में बातचीत का लुत्फ नहीं उठा पाते। जापान का इंस्टेंट मैसेजिंग एप ‘लाइन’ ऐसे लोगों के लिए किसी सौगात से कम नहीं। इस पर ग्रुप कॉल के शौकीनों को एक साथ 200 दोस्तों के साथ गपशप करने की सुविधा उपलब्ध है, वो भी मुफ्त में। हालांकि सिर्फ एंड्रॉयड और एप्पल फोन के उपभोक्ता ही इस फीचर का लाभ उठा सकते हैं। विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए यह सुविधा फिलहाल केवल डेस्कटॉप पर मुहैया कराई गई है। ‘लाइन’ पर किसी ग्रुप को वॉयस कॉल करने पर उसके सभी सदस्यों को एक नोटिफिकेशन मैसेज जाता है। इस पर क्लिक करके सदस्य वॉयस कॉल से जुड़ सकते हैं। यही नहीं, कॉल के दौरान जो भी सदस्य बोल रहा होगा, उसके नाम के बगल में अलग से एक आइकन दिखेगा, ताकि ग्रुप में शामिल बाकी लोगों को पता चल सके कि उस वक्त कौन क्या बात कह रहा है। यूजर एक साथ 200 लोगों को ग्रुप कॉल करने के लिए ‘लाइन’ की ओर से जून 2015 में जारी ‘पॉपकॉर्न बज’ एप का भी सहारा ले सकते हैं। लाइन एप को यहां क्लिक कर डाउनलोड कर सकते हैं।

चार उपायों से हैकप्रूफ बनाएं अपना सोशल मीडिया अकाउंट

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हेमवती नंदन राजौरा

फेसबुक, ट्विटर और जीमेल जैसी सोशल साइटों का इस्तेमाल करने वाले लोग अपने अकाउंट को हैकप्रूफ बना सकते हैं। यही नहीं, जिन लोगों के पासवर्ड चोरी हो गए हैं, उनके पास अपना अकाउंट रिकवर करने की सुविधा भी उपलब्ध है।

1. पासवर्ड से भी नहीं खुलेगा अकाउंट
टू स्टेप वेरिफिकेशन फीचर ऑन करने के बाद पासवर्ड पता होने पर भी कोई अकाउंट में लॉग-इन नहीं कर पाएगा। इस फीचर को ऑन करने के बाद आप जैसे ही फेसबुक, ट्विटर या जीमेल अकाउंट में लॉग-इन करेंगे तो इन साइटों से आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर वेरिफिकेशन कोड भेजा जाएगा। कोड डालने के बाद ही यूजर अपने अकाउंट का इस्तेमाल कर सकता है।
जीमेल : जीमेल अकाउंट पर यह सुविधा शुरू करने के लिए सबसे पहले अपने मोबाइल नंबर को जीमेल से जोड़ना होगा। इसके लिए गूगल के सिक्योरिटी फीचर में जाएं। आप चाहें तो myaccount.google.com /security पर भी विजिट कर सकते हैं। इसके बाद नीचे की तरफ ‘पासवर्ड और साइन-इन मैथड’ का विकल्प दिखेगा। इसके नीचे ‘टू-स्टेप वेरिफिकेशन’ का विकल्प आएगा। यहां क्लिक करने के बाद ‘स्टार्ट सेटअप’ पर क्लिक करें। नीचे अपना मोबाइल नंबर डालें। यहां वेरिफिकेशन के लिए टेक्स्ट के अलावा वॉयस कॉल का विकल्प भी दिया गया है। अपनी मर्जी का विकल्प चुन लें। इसके बाद हर बार लॉग-इन करने पर मैसेज या वॉयस कॉल के जरिए गूगल आपको वेरिफिकेशन कोड भेजेगा।
ट्विटर : ट्विटर पर इस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए पहले ट्विटर प्रोफाइल में फोन नंबर जोड़ना होगा। यूजर ट्विटर की सेटिंग में दिए मोबाइल के विकल्प पर जाकर अपना फोन नंबर जोड़ सकते हैं। इसके बाद सेटिंग में सिक्योरिटी के विकल्प पर जाएं। आप चाहें तो twitter.com/settings /security पर भी विजिट कर सकते हैं। यहां सबसे ऊपर ‘सेंड लॉग-इन वेरिफिकेशन’ का विकल्प दिखाई देगा। इस पर क्लिक करने के बाद ‘ओके’ के विकल्प पर क्लिक करें। यह सुविधा आपके अकाउंट पर शुरू हो जाएगी। इसके बाद ट्विटर अकाउंट में लॉग-इन करने के लिए पासवर्ड के अलावा ट्विटर की ओर से फोन नंबर पर भेजा जाने वाला वेरिफिकेशन कोड डाना भी अनिवार्य होगा।

2. मोबाइल वेरिफिकेशन ऑन रखें
जिस तरह बैंक या एटीएम से पैसा निकालने पर फोन नंबर पर एसएमएस आ जाता है, उसी तरह फेसबुक, जीमेल या ट्विटर अकाउंट में लॉग-इन होते ही स्मार्टफोन पर मैसेज के जरिए अलर्ट पाया जा सकता है। फेसबुक पर अलर्ट पाने के लिए सबसे पहले ‘सेटिंग्स’ में जाएं। यहां नीचे दिए गए ‘मोबाइल‘ के विकल्प पर क्लिक करें। अगर आपका मोबाइल नंबर पहले से ही फेसबुक से जुड़ा है तो वह यहां दिखा जाएगा। अगर ऐसी नहीं है तो ऊपर दिए गए विकल्प में अपना नंबर देकर कंफर्म करा लें। फेसबुक से नंबर जोड़ने के बाद ‘सेटिंग्स’ में ही मौजूद ‘सिक्योरिटी’ के विकल्प में जाएं। यहां सबसे ऊपर ‘लॉग-इन अलर्ट’ का विकल्प आएगा। इसमें ‘टेक्स्ट मैसेज’ के विकल्प को ऑन कर दें। इसके बाद अकाउंट लॉग-इन होने पर एसएमएस से जानकारी मिलने लगेगी।

3. जानें कहा से लॉग-इन हुआ अकाउंट
जीमेल: जीमेल में यह पता लगाया जा सकता है कि आपका अकाउंट अंतिम बार कहां से और किस समय पर लॉग-इन हुआ है। यह जानने के लिए सबसे पहले अपना जीमेल अकाउंट लॉग-इन करें। इसके बाद ईमेल का मुख्य पेज खुलने पर इसे नीचे की तरफ स्क्रॉल करें। यहां सबसे नीचे दाईं ओर दिए गए ‘डिटेल्स’ के विकल्प पर क्लिक करें। इससे एक नया चार्ट खुलेगा, जहां यह जानकारी मौजूद होगी कि किस समय आपका अकाउंट किस शहर और ब्राउजर से लॉग-इन हुआ है। कई बार हम जीमेल में थर्ड पार्टी एप को अकाउंट लॉग-इन करने की अनुमति दे देते हैं। ऐसे एप को हटा दें, ताकि अकाउंट लॉग-इन होने के बारे में सटीक जानकारी मिल सके।
फेसबुक : फेसबुक पर यह पता लगाया जा सकता है कि आपके अकाउंट से अंतमि बार क्या गतिविधि हुई है। फेसबुक प्रोफाइल पर कवर फोटो के पास एक्टिविटी लॉग का विकल्प मौजूद है। यहां यह जानकारी हासिल की जा सकती है कि आपने कब और कौन-से पोस्ट पर लाइक और कमेंट किया है। संदिग्ध गतिविधि होने पर अपना पासवर्ड बदल दें।

4.अकाउंट रिकवरी की सुविधा
सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड भूल जाने या फिर हैक हो जाने की स्थिति में अकाउंट रिकवर करने के विकल्प भी इन साइटों पर दिए गए हैं।
फेसबुक : फेसबुक पर आप कुछ लोगों को ऐसे विश्वसनीय दोस्तों की सूची में शामिल कर सकते हैं, जो अकाउंट का पासवर्ड भूल जाने पर पासवर्ड रिकवरी में आपकी मदद कर सकें। पासवर्ड भूलने पर इनके जरिए आप अपने अकाउंट को वापस हासिल कर सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले फेसबुक की ‘सेटिंग्स’ में जाएं। यहां ‘सिक्योरिटी’ का विकल्प मौजूद होगा। इसे चुनने पर मेन्यू में ‘ट्रस्टेड कॉन्टेक्ट्स’ का विकल्प नजर आएगा। यहां क्लिक कर ऐसे लोगों को इस सूची में शामिल करें, जो पासवर्ड रिकवरी में मदद करेंगे। पासवर्ड भूल जाने पर ‘फॉरगोट पासवर्ड’ के विकल्प पर जाएं। यहां दिए गए निर्देशों का पालन करने के बाद फेसबुक आपको एक यूआरएल लिंक भेजेगा। इस लिंक को अपने ‘ट्रस्टेड कॉन्टेक्ट्स’ के साथ साझा करने के बाद आप फेसबुक अकाउंट के लिए नया पासवर्ड सेट कर सकते हैं।
जीमेल : जीमेल में पासवर्ड रिकवर करने के लिए सेकेंडरी ईमेल एड्रेस या फोन नंबर दे सकते हैं। पासवर्ड भूल जाने पर इस ईमेल एड्रेस या फोन नंबर के जरिए नया पासवर्ड सेट किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले जीमेल अकाउंट में लॉग-इन करें। यहां ‘अकाउंट्स एंड इम्पोर्ट’ के विकल्प में दिए ‘चेंज पासवर्ड रिकवरी ऑप्शन’ पर जाएं। नया टैब खुलने पर नीचे की तरफ दिए गए विकल्प में पासवर्ड रिकवर करने वाला फोन नंबर और ईमेल एड्रेस लिखकर सेव कर दें।

किंगफिशर हाउस के लिए नीलामी खत्म, बैंकों को कोई बोली नहीं मिली

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मुंबई(एजेंसी):शराब व्यवसायी और किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या के किंगफिशर हाउस की गुरूवार को मुंबई में ई-नीलामी का आयोजन किया गया। लेकिन किंगफिशर हाउस को एक भी खरीदार नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक दोपहर दो बजे तक नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी ने बोली नहीं लगाई। किंगफिशर हाउस मुंबई के विले पार्ले उपनगर में डोमेस्टिक एयरपोर्ट के पास है।

जिंदा दिली और शानो-शौकत से जिंदगी जीने वाले माल्या ने अपने कारोबार को भी अपनी हैसियत के अंदाज में रखा था। लेकिन कर्ज में डूबने के बाद अब उनकी संपत्ति नीलाम हो रही है। किंगफिशर हाउस की नीलामी का आयोजन स्टेट बैंक आफ इंडिया की अगुवाई वाला बैंकों का कंसोर्टियम ने कराया। यह नीलामी सेक्यूटराइजेशन एंड रिकंसट्रक्शन आफ फाइनेंशियल असेट्स एंड एनफोर्समेंट आफ सिक्योरिटी इंट्रेस्ट एक्ट 2002 के तहत कराई गई।

किंगफिशर हाउस के बाहर लगे नीलामी के नोटिस के मुताबिक कंपनी पर तकरीबन 6963 करोड़ रुपए बकाया है जिसे अब नीलामी के जरिए वसूलने की कोशिश हो रही है। माल्या ने 17 बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज ले रखा है। अकेले स्टेट बैंक आफ इंडिया से माल्या ने 1600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया हुआ है।

किंगफिशर हाउस 17000 वर्ग फीट क्षेत्र में बना कॉमर्शियल बिल्डिंग है। इसमें किंगफिशर एयरलाइंस का कारोबार चलता था। इस समय यह बिल्डिंग एसबीआईकैप्स ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड ने इसे 24 फरवरी 2015 को सील कर दिया था। तब से यह दफ्तर बंद पड़ा हुआ है। अब इसकी नीलामी से मिलने वाली रकम से कर्ज की वसूली होगी।

ई-नीलामी के लिए इसका बेस प्राइज 150 करोड़ रूपए निर्धारित किया गया है जो मूल कीमत से ज्यादा बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि 12 कंपनियों ने बोली के लिए जरूरी 15-15 करोड़ रुपए डिपाजिट किए थे। लेकिन किसी ने ऊंची कीमत नहीं लगाई। बैंक का कहना है कि वह जल्द ही नीलामी के लिए नई तारीख का ऐलान करेगा।

किंगफिशर हाउस के लिए बोली क्यों नहीं लग सकी। इस बारे में प्रॉपर्टी डीलरों की अपनी राय है। उनके मुताबिक किंगफिशर हाउस का बेस प्राइज बाजार भाव से कहीं अधिक है। विले पार्ले इलाके में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी का भाव इस समय 28 हजार रूपए प्रति वर्ग फुट का है। इससे कई गुना ज्यादा बेस प्राइज है। इसके अलावा यह भी तर्क दिया जा रहा है कि किंगफिशर हाउस को खरीदने वालों को प्रॉपर्टी टैक्स, इनकम टैक्स के अलावा किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों के बकाए वेतन और अन्य दावेदारों के कर्ज भी चुकाने पड़ सकते हैं। इससे कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।

प्रॉपर्टी के जानकारों का कहना है कि किंगफिशर हाउस को खरीदने वाले इसका इस्तेमाल होटल या विदेशी कंपनियों के दफ्तर के लिए कर सकते हैं। लेकिन उन्हें होटल चलाने में तकलीफ होगी क्योंकि ग्राहक कम मिलेंगे और विदेशी कंपनियों से भाड़े कम मिलेंगे। ऐसे में खरीदार के लिए यह महंगा सौदा हो सकता है।

IGI एयरपोर्ट को इंटरनेट कॉल, रनवे पर खड़े दो विमानों में है बम

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नई दिल्ली(एजेंसी):लगातार दूसरे दिन दिल्ली एयरपोर्ट पर दो विमानों में बम की खबर आई। इंटरनेट से आए इस कॉल के बाद एयरपोर्ट अथॅारिटी ने दोनों ही विमान को रुकवा कर बम की तलाशी ली जा रही है। इन विमानों में 4 सांसद भी सवार थे। दोनों में 300 से ज्यादा यात्री हैं।

सुबह 10.04 बजे एयरपोर्ट के गुड़गांव स्थिति कॉलसेंटर में इंटरनेट के माध्यम से कॉल आई। यह कॉल 0214337600 नंबर से किया गया। इसमें कहा गया कि दो विमानों में बम रखा है। एक विमान RA206 जो दिल्ली से नेपाल जा रहा था, जबकि दूसरा विमान एयरइंडिया का AI075 जो दिल्ली से भुवनेश्वर जा रहा था, के लिए कॉल आया। इस कॉल के बाद एयरपोर्ट अथॅारिटी ने एयर इंडिया के दानों विमानों को तत्काल खाली करा लिया। सभी यात्रियों को नीचे उतार लिया गया। एक विमान दिल्ली से नेपाल जा रहा था जिसे 11 बजे उड़ान भरना था, वहीं दूसरा विमान दिल्ली से भुवनेश्वर जाने वाला था जिसे 11.30 बजे उड़ान भरना था।

कॉलर ने अपना नाम अभिषेक सिंह और सीबीआई ऑफिस से बताया। इस सूचना के बाद ही सीआईएसएफ सघन तलाशी शुरू की। खबरों के मुताबिक जब जांच का काम पूरा हो जाएगा तभी विमान को उड़ाने की हरी झंडी दी जाएगी। गौरतलब हो कि कल भी ऐसी ही एक कॉल आई थी जिसके बाद विमान को खाली कराकर सुरक्षा बलों ने सघन तलाशी अभियान चलाया। हालांकि कल भी सूचना गलत निकली।

AADHAR: जानकारी लीक होने पर जानिए क्या है सजा ?

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नई दिल्ली(एजेंसी):केंद्र सरकार ने भले ही बड़ी चतुराई से महत्वपूर्ण आधार विधेयक को संसद से पास करा लिया। सरकार भरोसा भी दे रही है कि आम आदमी की निजता का पूरा ख्याल रखा जाएगा। पर इस बिल में इस बात का जिक्र नहीं है कि इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज जिसमें सभी व्यक्तिगत जानकारी होती है, अगर लीक हो गई या किसी मकसद से सरकार ने ही इन जानकारियों का इस्तेमाल किया तो इसका क्या।

इस बिल में सजा का जो प्रावधान किया गया है वह इतना सख्त नहीं जान पड़ता। साथ ही किसी नागरिक का डाटा लीक हो गया है ये जानकारी भी शायद ही उस व्यक्ति को समय पर हो। इसके अलावा इस बिल में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि अगर किसी व्यक्ति की निजी जानकारी लीक हो जाती है तो बतौर हर्जाना पीडि़त पक्ष को क्या दिया जाएगा।

अमेरिका में NSA ने किया नागरिकों की जानकारियों का दुरुपयोग

अमेरिका में भी हर नागरिक की पहचान, फिंगर प्रिंट, रेटिना इमेज, ब्लड ग्रुप आदि तमाम जानकारियां एक सेंट्रल डाटाबेस में सुरक्षित रखा गया है। वहां भी यही तर्क दिया जाता रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से ही सिर्फ इन गोपनीय जानकारियों का इस्तेमाल सरकार करेगी। लेकिन पिछले दिनों खुलासा हुआ है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी NSA ने इन दस्तावेजों को दुरुपयोग किया।

इन दस्तावेजों का रिकॉर्ड रखेगी सरकार
आधार कार्ड के माध्यम से सरकार के पास हर नागरिक के ये डाटा होंगेः

  • बायोमैट्रिक डाटाः रेटिना इमेज, फिंगर प्रिंट, तस्वीर, आईआरआईएस स्कैन, ब्लड ग्रुप
  • डेमोग्रैफिक डाटाः नाम, जन्मतिथि, पता, बैंक अकाउंट डिटेल, मोबाइल नंबर, ईमेल एड्रेस

क्या कहता है ये आधार बिलः

अगर जिस नागरिक के पास आधार कार्ड नहीं होगा तो सरकार उससे ये बनवाने के लिए कहेगी। किसी भी तरह निजी और सार्वजनिक जरूरतों में आधार आपकी पहचान के तौर पर जरूरी दस्तावेज माना जाएगा। हालांकि अभी अमेरिका की तरह आधार नंबर को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा।

कितनी सुरक्षित होगी जानकारीः

नए बिल के मुताबिक सिर्फ यूआईडी अथॅारिटी के पास आपकी सभी जानकारियां सेंट्रल सर्वर में सुरक्षित होंगी। अगर किसी व्यक्ति या संस्था को किसी दूसरे की जानकारी चाहिए तो उसे पहले संबंधित व्यक्ति की इजाजत लेनी होगी। आपकी मंजूरी के बाद ही आपके दस्तावेज किसी और को दिए जा सकते हैं।

किन परिस्थितियों में साझा की जा सकती है निजी जानकारियां:

इस बिल के सेक्शन 33 के मुताबिक सिर्फ दो परिस्थितियों में ही आधार कार्ड में दर्ज आपकी गोपनीय जानकारियां साझा की जा सकती हैं।

  1. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों में ही केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव किसी व्यक्ति के आधार नंबर से जुड़े दस्तावेज जारी करने का निर्देश दे सकेंगे।
  2. कोर्ट के निर्देश पर भी किसी के आधार नंबर से जुड़ी जानकारियां संबंधित जांच एजेंसी या व्यक्ति को दी जा सकती हैं।

इस बिल के तहत क्या है अपराध और क्या होगी सजा

अगर आपके आधार का डाटा लीक होता है या कोई व्यक्ति साझा कर देता है तो इसके तहत 3 साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान इस बिल में किया गया है। अगर यूआईडी एजेंसी नियमों का उल्लंघन करती है तो उसको एक साल की जेल अथवा 10000 रुपये या एक लाख रुपये (कंपनी के मामले में) का प्रावधान है।

जेटली ने दुरुपयोग न होने की गारंटी दी

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में जवाब दिया कि सुरक्षा से जुड़े मामले में ही आधार के बायोमीट्रिक आंकड़े साझा किए जा सकते हैं। आंकड़े साझा करने का फैसला संयुक्त सचिव रैंक से ऊपर के अधिकारी कर सकेंगे। साथ ही कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति इसकी समीक्षा करेगी। आधार से जुड़ी सभी जानकारियां एक सेंट्रलाइज डेटाबस में एकत्रित की जाएंगी।

 

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