पिता ने की पुत्री की हत्या, पत्नी पर जानलेवा हमला

ओमनी वैन में लगी आग,तीन बाल बाल बचे
कोरबा@M4S :कोरबा में एक ओमनी वैन में अचानक आग लगने से एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया,वही दो लोगो की जान बाल-बाल बच गई,वैन जल कर खाक हो गई,घटना बालकोनगर थाना क्षेत्र के खरमोरा मार्ग की है जहां रजगामार निवासी भरतलाल साहू अपने दो साथियो के साथ दोस्त की ओमनी वैन खरीदने के इरादे से ट्रायल पर निकला था की अचानक खरमोरा मार्ग में पेट्रोल की पाइप लीकेज होने की गंध आने लगी उतने में ही पाइप का लीकेज बंद करने की कौशिश भरत और उसके दोस्त ने की उतने में ही पेट्रोल इंजन में पड़ गया और आग लग गई,
मजेदार कहानी : बीरबल का रंग-रूप
एक बार अकबर बादशाह ने अपने प्रिय दरबारी बीरबल से पूछा- तुम इतने काले रंग के कैसे हो गए? बादशाह की बात में कुछ चिढ़ाने वाला पुट भरा था।
बीरबल ने कहा- जहांपनाह, जब अल्ला ताला के यहां खैरात बांटी जा रही थी तो उन्होंने सब खैरात प्राणियों के सामने रख दी। सब लोगों ने अपनी इच्छा एवं आवश्यकता के अनुसार उनमें से वस्तुएं चुन ली।
जहांपनाह मैं बुद्धि एवं विद्या ही लेता रह गया। रूप रंग की तरफ ध्यान ही नहीं गया। इसके विपरीत आप मात्र रूप रंग ही लेते रह गए। आपका ध्यान बुद्धि एवं विद्या की तरफ गया ही नहीं।
इस प्रकार बीरबल ने यह सिद्ध किया कि वह बुद्धिमान है, किंतु बदसूरत हैं। इसके विपरीत बादशाह खूबसूरत किंतु बेवकूफ हैं।
गर्मियों में अपनाएं ये डीटॉक्स आहार
मुंबई(एजेंसी):गर्मियों में तुरंत ऊर्जा चाहते हैं? तो इसके लिए आप डीटॉक्स आहार अपना सकते हैं यानी ऐसे आहार जो आपके शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में आपकी मदद करें। गर्मियों में तरबूज, खीरे और नींबू को अपने आहार में शामिल करें।
ऑरिफ्लेम इंडिया की आहार विशेषज्ञ सोनिया नारंग ने कुछ डीटॉक्स टिप्स दिए हैं, जो हमारे शरीर की सफाई करने और हमें स्वस्थ, हल्का और तरोताजा महसूस करने में मदद करेंगे।
तरबूज : तरबूज गर्मियों में डीटॉक्स के लिए एक बेहतरीन आहार है। तरबूज शरीर में क्षार का निर्माण करता है और इसमें उच्च मात्रा में सिट्रुलाइन (citrulline) होता है। यह आर्गिनिन (arginine) के उत्पादन में मदद करता है, जो हमारे शरीर से अमोनिया और अन्य विषैले पदार्थ को निकालने में मदद करता है। इसी के साथ तरबूज पोटैशियम का एक बेहतरीन स्रेत है, जो हमारे आहार में सोडियम की मात्रा को संतुलित करता है जो गुर्दों की मदद करता है और शरीर की भीतरी सफाई के लिए बेहतरीन है।
खीरा : खीरे शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं। खीरे में मौजूद पानी की उच्च मात्रा मूत्र प्रणाली को दुरुस्त रखती है। आधा कप कटे हुए खीरे में केवल आठ कैलोरीज होती हैं।
नींबू : नींबू यकृत के लिए बेहद फायदेमंद है। यह यूरिक ऐसिड और अन्य विषैले पदार्थों को घोलता है और यकृत की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
पुदीने की पत्तियां : पुदीने की पत्तियां गर्मियों में ठंडक प्रदान करने के लिए बेहतरीन हैं। यह आपके भोजन को बेहतर ढंग से पचाने में मदद करती हैं।
भाप में पकाना : सब्जियों को भाप में पकाना एक अच्छा तरीका है क्योंकि इससे इनका पोषण नष्ट नहीं होता।
व्यायाम : शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए थोड़ा व्यायाम करें। डीटॉक्स के दौरान कैफीन और शराब से दूर रहना जरूरी है।
दुनिया का हर चौथा डायबिटिक है भारतीय
नई दिल्ली(एजेंसी):दुनिया में 42 करोड़ लोगों को डायबिटीज है जिनमें से 10 करोड़ लोग भारत में रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डायबिटीज पर पहली ग्लोबल रिपोर्ट में ये ताजा आंकड़े जारी किए हैं। भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में मधुमेह एक घातक बीमारी का रूप धारण करता जा रहा है। आने वाले दिनों में देश के लिए डायबिटीज एक चुनौती के रूप में सामने आने वाली है। जागरूकता के अभाव में लोग शारीरिक व्यायाम और परिश्रम नहीं करते। बदलते वक्त में बदली जीवनशैली और आराम तलबी की आदत डायबिटीज को न्योता दे रही है। पेश है भारत में बढ़ती डायबिटीज की महामारी पर एक रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि मधुमेह आज लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। भारत समेत दक्षिण एशिया के देशों को मधुमेह की रोकथाम के लिए सुनियोजित पहल करनी चाहिए जो बेहद घातक बनता जा रहा है। पिछले कुछ दशकों में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों की तादाद विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में तेजी से बढ़ी है। साल 2030 से यह सातवां सबसे बड़ा जानलेवा कारक बन सकता है।
मीठा खाने से मधुमेह होने की धारणा गलत
विभिन्न अध्ययनों से यह बात गलत साबित हो चुकी है कि मधुमेह अधिक मीठा खाने से होता है। ऐसे लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं जिन्हें मीठा पसंद नहीं है लेकिन इसके बावजूद वे मधुमेह के शिकार हैं। मधुमेह मीठा खाने के कारण नहीं होता लेकिन एक बार यह हो जाए तो मरीज को मीठे से दूर रहना पड़ता है।
आधुनिकता के प्रसार के साथ-साथ हमारी जीवनशैली में अनेक विकृतियां आ गई हैं। अब लोग शारीरिक श्रम न के बराबर करते हैं। भोजन भी ऐसा जो मधुमेह और हृदय रोग के खतरे को बढ़ा देता है।
आधुनिक जीवनशैली बनी घातक
तनाव, फास्ट फूड, आपाधापी का जीवन, मानसिक अशांति की सबसे बड़ी कीमत शरीर को ही चुकानी पड़ती है। भारत में मधुमेह के चौतरफा प्रसार को लेकर जो अध्ययन हुए हैं वे स्पष्ट रूप से बताते हैं कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण, आधुनिक युग के तनाव, खानपान व रहन-सहन की शैली में परिवर्तन, पश्चिमीकरण व शारीरिक परिश्रम की कमी के कारण ही मधुमेह पसरता जा रहा है। इस रोग के कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। वैसे तो यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन भारत में 95 फीसदी से ज्यादा वयस्क ही इसकी चपेट में आते हैं।
जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक पर ज्यादा टैक्स लगाएगी सरकार
देश में मधुमेह और मोटापे का खतरा गंभीर स्तर तक पहुंच गया है। इसको देखते हुए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार जल्द ही मोटापे और मधुमेह का खतरा बढ़ाने वाले जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक पर ज्यादा टैक्स लगाने वाली है। इसके साथ ही इनके विज्ञापन से संबंधित नियमों को भी कड़ा बनाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय इन खाद्य पदार्थों की मांग को कम करने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में कोल्ड ड्रिंक या अन्य तरह के मीठे पेय पदार्थ की खपत 1998 में दो लीटर प्रति व्यक्ति थी। लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 11 लीटर प्रति व्यक्ति तक पहुंच गया है। ऐसे में सरकार ने डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार ऐसे खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग पर भी कड़े नियम लागू करने का संकेत दे दिया है।
मधुमेह के इलाज पर निजी कंपनी के साथ शोध करेगी सरकार
देश में मधुमेह मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच केंद्र सरकार के ट्रांस्लेशनल हेल्थ साइंस एंड टैक्नोलाजी इंस्टीटयूट (टीएचएसटीआई) का विशिष्ट केंद्र ड्रग डिस्कवरी रिसर्च सेंटर तथा हैदराबाद की कंपनी रिवीलेशंस बायोटेक प्राइवेट लि़ ने इस बीमारी का पता लगाने और इलाज की नई पद्धति विकसित करने के लिए समझौता किया है। टीएचएसटीआई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है।
सॉफ्टवेयर पैकेज विकसित होगा
समझौते के तहत डीडीआरसी और रिवीलेशंस बायोटेक प्राइवेट लि़ आंकड़ों पर आधारित सॉफ्टवेयर पैकेज विकसित करेगा जो न सिर्फ उन लोगों और युवाओं की पहचान करेगा जिन्हें मधुमेह होने का खतरा नजदीक है। इसके अलावा पहले से मधुमेह के शिकार लोगों के लिए इस तकनीक से यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि भविष्य में व्यक्ति के अंदर यह रोग क्या रुख अपना सकता है। इससे समय रहते लोगों को चेतावनी मिल जाने से लोग अपनी जीवनशैली में परिवतर्न ला पाएंगे और बीमारी से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।
दवा का करेंगे विकास
दोनों संस्थान मिलकर ऐसी दवा विकसित करेंगे जो गुर्दों में ग्लूकोज को फिर से अवशोषित होने से रोकेगा। पुन: अवशोषित होने की प्रक्रिया डायबिटिक लोगों में हाई ग्लाईसेमिक स्तर को बरकरार रखने में योगदान करती है। एक प्रभावी दवा से इस प्रक्रिया को रोक कर ब्लड ग्लूकोज को कम किया जा सकेगा। देश में मधुमेह के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार इसके उपचार पर देश को सालाना 1.50 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इसका कारण जीवनशैली में बदलाव है। लोग अधिक कै लोरी वाली खुराक ले रहे हैं और शारीरिक रूप से मेहतन नहीं कर रहे।
827 अरब डॉलर से भी ज्यादा डायबिटीज के इलाज के लिए दुनियाभर में हो रहा खर्च।
1980 में दुनिया में करीब 10 करोड़ वयस्क लोगों को डायबिटीज थी यह आंकडम 2014 में चार गुणा बढ़ाकर 42 करोड़ हो गया।
1.50 लाख करोड़ रुपए सालाना खर्च कर रहा देश मधुमेह के इलाज पर।
1980 में जहां दुनिया की आबादी के 4.7 प्रतिशत लोगों को ये बीमारी थी, 2014 में अब ये दर दोगुनी होकर 8.5 प्रतिशत हो गई है।
हृदय रोगों से सुरक्षित रखेंगे ये 8 नुस्खे
लंदन(एजेंसी): हृदय रोगों के बारे आप अपने अनुवांशिकी और पारिवारिक इतिहास को तो नहीं बदल सकते लेकिन कई ऐसी चीजें हैं, जिनके पालन से आप हृदय रोगों के खतरों को कम कर सकते हैं।
ब्रिटेन की पहली महिला ‘वैट लॉस’ सर्जन डॉ. सैली नोर्टन ने आठ ऐसे नुस्खे बताएं हैं, जिनसे भविष्य में हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है।
1. धूम्रपान पर रोक : ब्रिटिश महिला के पिछले साल प्रकाशित एक शोध के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों की आयु सामान्य लोगों की तुलना में 10 साल कम होती है।
2. अपने वजन पर ध्यान दें : हृदय रोग और अत्यधिक वजन के बीच का संबंध काफी सशक्त होता है। इससे हृदयघात और उच्च रक्त चाप का खतरा अधिक होता है।
3. फैट मुक्त होना सर्वश्रेष्ठ : लोगों को वसायुक्त की बजाए ऐसा भोजन खाना चाहिए, जिसमें इसकी मात्रा कम हो या न के बराबर हो।
4. प्रोसेस्ड मांस न खाएं: क्योंकि ऐसा करने से हृदयघात की संभावना बढ़ जाती है।
5. कम नमक खाएं : ब्रिटिश हॉर्ट फाउंडेशन का कहना है कि अधिक नमक के सेवन से रक्तचाप बढम् सकता है।
6. कम चीनी खाएं : अधिक चीनी खाने से मधुमेह का खतरा भी बना रहता है।
7. सक्रिय रहें : व्यायाम शुरू करने के लिए कोई भी समय सही है। रोजाना के व्यायाम से कई फायदे होते हैं।
8. तनाव मुक्त रहें : तनाव होने के कारण वजन बढ़ने का खतरा भी रहता है, जिसके कारण हृदय रोगों की संभावना भी अधिक होती है।
पीएचडी के दौरान महिलाओं को मातृत्व अवकाश देगा यूजीसी
नई दिल्ली(एजेंसी):मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शोध एवं उच्च शिक्षा में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एम फिल एवं पीएचडी के दौरान उनके लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। महिलाओं को अब एमफिल एवं पीएचडी के दौरान 240 दिन का मातृत्व अवकाश या बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टियां मिल सकेंगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने मंगलवार को यूजीसी की बैठक में इस बाबत लिए गए फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिला उम्मीदवारों एवं दिव्यांग व्यक्तियों को एमफिल और पीएचडी करने के लिए एक साल और दो साल का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। मसलन, एमफिल दो साल में करना होता है। लेकिन महिलाएं अब तीन साल में करे सकेंगी। पीएचडी के लिए छह साल का अधिकतम समय होता है। महिलाओं को अब आठ साल मिलेंगे। दिव्यांगों के लिए भी नए प्रावधान लागू होंगे।
पीएचडी के दौरान यदि किसी महिला का विवाह हो जाता है तो उसे दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर यह शोध जारी रखने का मौका मिलेगा। पहले विश्वविद्यालय से शोध के क्रेडिट को वहां स्थानांतरित किया जाएगा। विवाह के कारण महिलाएं शोध कार्य बीच में छोड़ देती थीं और एमफिल एवं पीएचडी पूरा नहीं कर पाती थी।
यूजीसी के अनुसार एमफिल एवं पीएचडी जैसे शोध कार्यक्रमों में महिलाओं की हिस्सेदारी एक फीसदी के करीब है। यह बेहद कम है। उपरोक्त कदमों से शोध में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जानिए किस भारतीय हस्ती को नहीं मिला अमेरिकी वीजा
इंदौर(एजेंसी):अमेरिका ने भारत के मशहूर शायर राहत इंदौरी को टेक्सास प्रांत के डलास शहर में अगले महीने आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में हिस्सा लेने के लिए वीजा देने से इंकार कर दिया। राहत साहब ने इस कदम पर नाखुशी का इजहार करते हुए कहा कि उनका वीजा आवेदन महज इस बेबुनियाद धारणा के बूते अस्वीकार कर दिया गया कि मुशायरे में शामिल होने के बाद वह स्वदेश नहीं लौटेंगे।
इंदौरी ने बताया, मुंबई स्थित अमेरिकी वाणिज्यदूतावास ने गैर अप्रवासी वीजा की मेरी अर्जी के सिलसिले में मुझे आज इंटरव्यू के लिए बुलाया था। इंटरव्यू के बाद मेरा पासपोर्ट यह कहते हुए खेदसहित लौटा दिया गया कि इस बार मुझे अमेरिका का वीजा नहीं मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी अफसरों ने इंटरव्यू के बाद मुझे कागज का एक पुर्जा भी थमा दिया। इस पुर्जे में लिखी इबारत का लब्बो लुआब यही है कि मेरी वीजा अर्जी इसलिए खारिज कर दी गई, क्योंकि मैं अमेरिकी अफसरों का यह भरोसा नहीं दिला सका कि अमेरिका में अपनी यात्रा खत्म होने के बाद मैं तय अवधि में अपने देश भारत लौट आऊंगा।
दुनिया भर के मुशायरों में हिस्सा ले चुके 66 वर्षीय शायर ने तंज करते हुए कहा कि अमेरिकी वाणिज्यदूतावास के अफसरों को शायद यह खतरा है कि अमेरिका पहुंचने के बाद मैं वहीं बस जाऊंगा और भारत को हमेशा के लिए छोड़ दूंगा।
इंदौरी ने जोर देकर कहा कि दुनिया भर में मेरी पहचान मेरे मुल्क से ही है। मैं अपने वतन को छोड़ने की बात ख्वाब में भी नहीं सोच सकता। भारत में मेरा भरा पूरा परिवार है, मेरा सामाजिक रुतबा है। लेकिन अफसोस की बात है कि अमेरिका की नजर में यह कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुनासिब होता कि अमेरिकी वाणिज्यदूतावास के अफसर मेरी वीजा अर्जी खारिज करने से पहले मेरा पुराना रिकॉर्ड देख लेते। पिछले 10 बरस में मैंने अमेरिका की 11 यात्राएं कीं और इस दौरान 100 से ज्यादा मुशायरों में हिस्सा लिया। अमेरिका में प्रवास के दौरान मुझसे कभी कोई चूक नहीं हुई।
इंदौरी ने बताया कि उन्हें टेक्सास प्रांत के डलास शहर में नूर इंटरनेशनल नाम की साहित्यिक संस्था के सात मई को आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में शामिल होना था। उन्होंने बताया कि जश्ऩ़ए़़राहत इंदौरी के नाम से आयोजित यह कार्यक्रम उन्हीं के सम्मान में आयोजित किया गया था। इसमें पाकिस्तान, इंग्लैंड, सऊदी अरब और भारत के शायरों को आमंत्रित किया गया है।
2009 से पूर्व पीएचडी पंजीकृतों को नेट से छूट
नई दिल्ली(एजेंसी): मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2009 से पूर्व एमफिल एवं पीएचडी में पंजीकरण कराने वाले उम्मीदवारों भारी राहत देते हुए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) से छूट देने का फैसला किया है। हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी हैं। यूजीसी ने 11 जुलाई 2009 से नए नियम लागू किए थे जिसके तहत सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट अनिवार्य किया गया था।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि 11 जुलाई 2009 से पूर्व एमफिल एवं पीएचडी मे पंजीकरण कराने वाले उम्मीदवारों के लिए शिक्षक नियुक्ति के पुराने नियम ही लागू होंगे। उन्हें नेट या इसके समकक्ष राज्य की परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं होगी। विश्वविद्यालय इसके बगैर भी उन्हें सहायक प्रोफेसर नियुक्त कर सकेंगे। लेकिन सरकार ने इसके लिए कुछ शर्ते लगाई हैं।
इन शर्तो के अनुसार सहायक प्रोफेसर की नियुक्त के लिए पीएचडी डिग्री रेगुलर मोड में मिली होनी चाहिए। इसकी जांच में दो बाहरी विशेषज्ञों का शामिल होना चाहिए। पीएचडी के लिए ओपन वाइवा हुआ होना चाहिए। उम्मीदवार के दो शोध पत्र प्रस्तुत होने चाहिए जिनमें से एक किसी जर्नल में प्रकाशित हो। इसके अलावा उम्मीदवार को कम से कम दो सेमीनार या कांफ्रेस में अपना प्रजेंटेशन देने का अनुभव होना चाहिए। उपरोक्त सभी शर्ते तभी मान्य होंगे जब कुलपति, प्रो कुलपति या डीन द्वारा इन्हें प्रमाणीकृत किया जाए।
इरानी ने कहा कि इस फैसले से आंदोलन कर रहे पीएचडी धारकों को राहत मिलेगी। वे बतौर फैकल्टी नियुक्ति पाने के हकदार बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने पीएचडी धारकों की समस्या का सामाधान कर दिया है। दरअसल, ये पीएचडी धारक लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। वे स्मृति इरानी से भी अपनी समस्या को लेकर मिले थे। उनका कहना था कि वे नए नियम लागू होने से पहले पंजीकरण करा चुके थे। इसलिए उन्हें नए नियमों से छूट मिलनी चाहिए।