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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन बना रहा योजना
कोरबा@M4S: अब सिकलसेल को गंभीर बीमारी की श्रेणी में शामिल किया गया है। इससे पहले इसको सामान्य बीमारी माना जाता था, मगर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन के निर्देश पर अब इसे चुनिंदा बीमारियों की श्रेणी में शामिल किया गया है। यानी कि अब इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को वह तमाम सुविधाएं मिलेंगी जो एक गंभीर मरीज को मिलती हैं।
सिकलसेल से ग्रसित बाल रोगियों के लिए राहत भरी खबर है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन के निर्देशानुसार पहली बार बाल सिकलसेल को गंभीर बीमारियों की सूची में शामिल किया गया है। सिकलसेल को फैलने से रोकने का एकमात्र जरिया बीमारी की पहचान है। पहचान नहीं होने से मरीजों की संख्या में बढ़ती जा रही है। ऐसे में बीमारी की पहचान एवं उसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब इस बीमारी को गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा है। बताया गया कि राज्य स्वास्थ्य बाल कार्यक्रम से दिशा निर्देश जारी किया जा चुका है। वहीं जिलास्तर में अब काम शुरू होना बाकी है। मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग बीमारी की पुष्टि के लिए आंगनबाड़ी, स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इत्यादि में शिविर लगाकर पहले बीमारी की पहचान की जाएगी और उसके बाद संबंधित स्वास्थ्य केंद्र में रिफर किया जाएगा। फिलहाल यह सुविधा कब तक शुरू होगी, इसके बारे में कुछ तय नहीं हो पाया है। मगर यह स्पष्ट है कि बहुत जल्द इस कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा।
ब्लड बैंक ने मना किया तो होगी कार्रवाई
बताया जाता है कि पंजीकृत सिकलसेल मरीजों को स्वास्थ्य विभाग एक रेड कार्ड प्रदान करेगा। इसकी विशेषता यह रहेगी कि किसी भी ब्लड बैंक से सिकलसेल के मरीज किसी भी वक्त नि:शुल्क रक्त मिल सकेगा। अब तक यही स्थिति थी कि सिकलसेल मरीजों को खून खरीदना पड़ता था, मगर अब इसमें स्वास्थ्य विभाग ने बदलाव किया है। माना जा रहा है कि अगर कोई ब्लड बैंक संचालक मरीजों को खून देने से मना करता है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
पीला कार्ड से होगी पहचान
रेड कार्ड की तरह ही स्वास्थ्य विभाग मरीजों के लिए एक पीला कार्ड जारी करेगा। पीला कार्ड मरीजों के पहचान के लिए होगा। रक्त नमूना लेकर जांच में धनात्मक पाए जाने वाले मरीजों को कार्ड मिलेगा, जो उन्हें उपचार कराने में मदद करेगा। बताया गया कि प्रथम परीक्षण कराने के बाद द्वितीय जांच कराने में मरीजों को सरलता हो और किसी प्रकार की परेशानी ना आए इसलिए स्वास्थ्य विभाग पीला कार्ड जारी करेगा। विभाग द्वारा जारी इस कार्ड को संबंधित केंद्र में दिखाए जाने के बाद उन्हें तत्कालिक लाभ मिलेगा।
30 लैब टेक्नीशियन की होगी नियुक्ति
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए 30 लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति तय मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि इसको गंभीर बीमारी की श्रेणी में शामिल कर 18 वर्ष उम्र तक के स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने एक टीम गठित की जाएगी। चिरायु परियोजना में लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति कर सिकलसेल एनीमिया का स्क्रीनिंग कराया जाएगा।
ये हैं 30 प्रकार के गंभीर रोग
जन्मजात बधिरता, जन्मजात मोतियाबिंद, प्रीमैच्युरिटी, जन्मजात हृदयरोग, न्यूरल ट्यूब दोष, पैर की विकृति, हृदयरोग, होंठ एवं तालू विकृति, मोटर डिले, कान का संक्रमण, घेंघा थायराइड विकार, त्वचा संबंधित रोग, दंत रोग, दृष्टि दोष, मांस पेशियों में विकार, मिर्गी संबंधित रोग, श्वसन तंत्र रोग दमा टीबी एवं अन्य, सुनने में परेशानी, अतिकुपोषित बच्चे, विटामिन ए की कमी, विटामिन डी की कमी, रक्ताल्पता, डाउन सिंड्रोम, ध्यान संबंधी विकार, व्यवहार विकार, वाणी व भाषा संबंधित रोग, संज्ञानात्मक देरी और सीखने के विकार वह बीमारी हैं, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा था। मगर अब सिकलसेल को भी इसी श्रेणी में रखा जाएगा।