DMFT के कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराने की मांग को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर

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बिलासपुर: प्रदेश में मुख्य खनिजों के उत्खनन से मिलने वाली रायल्टी राशि का एक निश्चित अतिरिक्त हिस्सा खनिज पट्टा धारकों द्वारा जिला खनिज न्यास संस्थानों को दिया जाता है इस राशि का उपयोग खनन अथवा खनन प्रक्रियाओं से प्रभावित क्षेत्रों के विकास और प्रभावित व्यक्तियों के हित में किया जाना है उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री खनन क्षेत्र कल्याण योजना के  उददेश्यों के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में भी हर जिले में जिला खनिज न्यास संस्थान की स्थापना की गयी है। जिला खनिज संस्थान न्यास के गठन के लिए खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा-9 (ख) में प्रावधान किया गया है। यह न्यास एवं गैर लाभ अर्जित करने वाला निकाय है। इसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 बनाए गए हैं, न्यास निधि में उपलब्ध राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में खर्च किया जाना है यह राशि उन क्षेत्रों के निवासियों के लिए पेयजल आपूर्ति, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य की देखभाल, शिक्षा, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की गतिविधियों, महिला एवं बाल कल्याण, वृद्धों और निःशक्तजनों के कल्याण सहित स्वच्छता के लिए किया जाना है शेष 40 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे-भौतिक अधोसंरचना, सिंचाई, बिजली और जल विभाजक विकास तथा राज्य शासन द्वारा समय-समय पर निर्देशित अधोसंरचना विकास के कार्यों में किया जाना है

लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य मे जिला खनिज न्यास द्वारा बडे पैमाने पर राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है एसे कार्य जिनसे खनन से प्रत्यक्ष प्रभावित एवं अप्रत्यक्ष प्रभावितो का कोई लेना देना नही एसी गतिविधीयों पर राशि खर्च की जा रही है।
राज्य के ज्यादातर जिले मे एजेंसी को अग्रिम के रूप मे दिए गए राषी को ट्रेक करने के लिए एडवांस ट्रेकिंग रजिस्टर का संधारण नही किया जा रहा है जिसके कारण एजेसीयों को दिए गए राशि मे से कितना एजेंसीयों के द्वारा व्यय किया गया एवं कितना शेष है इसका आंकलन नही हो पा रहा है।
जिला खनिज न्यास द्वारा प्रावधान 12(2) मे दिए गए प्रावधानो जिसमे कार्यो का सामाजिक अंकेक्षण करने के संबंध मे प्रावधान है उसका भी उल्लंधन किया जा रहा है उसी प्रकार वार्शिक कार्य योजना बनाना एवं वित्तिय वर्श समाप्ति के 90 दिनों के अंदर अंकेक्षण कराने के प्रावधानों का भी उल्लंधन किया जा रहा है।
जयादातर फंड मार्च के अत मे व्यय किए जा रहे है जबकी इस फंड को मार्च तक व्यय करना है एसी कोइ बाध्यता  नही है।
कई जीले के द्वारा बिना टेडर बिना कोटेषन के कार्य आबंटित किया जा रहा है। एवं बिना टी0डी0एस0 काटे भुगतान किया जा रहा है जिससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ज्यादातर जिले डी0एम0एफ0 का लेजर बुक कैश बुक संधारीत नही कर रहे हैं,कोडागाओं जिले मे मौखीक रूप से कार्यादेष जारी किया जा रहा है कांडागाओं मे ही 42 लसख्स का टयुबवेल डी0एम0एफ0टी0 के द्वारा कराया गया किन्तु उसके पास उसका कोई भ्सी दस्तावेज नही है। बिलासपुर एवं कुछ अन्य जिले मे स्वच्छ भारत मिषन मे बडी राषी व्यय करी गई है जबकी यह एक केन्द्रिय योजना है एवं उसके लिए अलग से राषी केन्द्र द्वारा दी जाती है। वैसे ही बिलासपुर कोरबा एवं कुछ अन्य जिले के द्वारा उज्जवला योजना मे बडी राषी व्यय करी गई है। बस्तर जैसे जिले मे केवल अंकेक्षण पर लगभग 50 लाख् रू व्यय कर दिया गया है। जांजगीर चांपा मे मे भी कई अनियमितताए देखने को मील रही है जिनमे स्कील डेवलपमेंट के नाम पर बडी राषी का बंदरबाट किया गया है जिसकी एफ0आई0आर0 भी कुछ संस्था के संचालकों पर की गई है। बेमेतरा राजनांदगाव के द्वारा भी कैष बुक लेजर बुक का संधारण नही किया ता रहा है। जषपुर जिले मे कई वयक्तिगत लोगों को राषी हस्तांतरित करी गई है।

जिला खनिज न्यास कोरबा द्वारा लगभग 1284.66 करोड रू एडवास के रूप मे एजेसीयों को दिए गए किन्तु राषी की उपयोग मात्र 83 करोड रू का है। ट्रस्ट द्वारा कार्यो के मुल्यांकन ण्वं निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नही की गर्द हैै।कोरबा मे 58.78 प्रतिषत राषी 32 बडे कार्योके लिए आबंटित किया गया है। इनमे अधिकांष् कार्य ट्रस्ट के मंषा के अनुरूप नही है जेसे सतरेंगा पर्यटन स्थल मल्टिलेवल पार्किंग हाथी सहायता केन्द्र

इन सब को देखते हुए एक जनहित याचिका  उच्च न्यायालय  छ0ग0 मे दायर करी गई है जिसमे डी0एम0एफ0टी0 के कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण कराना डी0एम0एफ0टी0 के कार्यों का सी0ए0 जी0  के द्वारा जांच ,कार्याें के निगरानी हेतु निगरानी समिति का गठन, की याचिका की गई है।
 

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