अपराधी किस्म के साॉफ्टवेयर या मालवेयर आसानी से एंड्रॉयड उपकरणों में सेंध लगा पा रहे हैं। 32 प्रतिशत साइबर अपराध अवांछित किस्म के एप के माध्यम से किए जा रहे हैं, तो 26 प्रतिशत अपराध फर्जी विज्ञापन जिसे साइबर जगत में एडवेयर कहा जाता है, के माध्यम से किया जा रहे है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े
ये सारे खुलासे डाटा सिक्युरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के हालिया रिपोर्ट में किए गए है। यह रिपोर्ट साइबर अपराध पर अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इस अवधि में रैनसमवेयर से जुड़े लगभग 10 लाख मामले सामने आए।
इन तरीकों से लगा रहे सेंध
- पाकिस्तान से संचालित होने वाले साइबर अपराध गैंग टीम इनसेन भी भारत में सक्रिय है। 15 प्रतिशत साइबर अपराध बांग्लादेश से किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्यूमेंट फाइल, जावा स्क्रिप्ट फाइल, एचटीएमएल फाइल, कंप्रेस्ड फाइल, विंडो शॉर्टकट फाइल के माध्यम से बड़ी संख्या में साइबर अपराधी सिस्टम में सेंध लगाने में कामयाब हुए।
- गेमिंग, डेटिंग और गैम्बलिंग एप के माध्यम से भी बड़ी संख्या में लोगों को निशाना बनाया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एप चैटजीपीटी व इस प्रकार के अन्य एआई एप के इस्तेमाल के दौरान भी सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि कई बार फोन के एप में नकली चैटजीपीटी दिखने लगता है और उस पर क्लिक करते ही उपभोक्ता के कई महत्वपूर्ण डाटा अपराधी के पास पहुंचने की आशंका रहती है।
- व्हाट्सएप भी साइबर अपराध का प्रमुख हथियार बनता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक मालवेयर हेल्थकेयर इंडस्ट्री से जुड़े उपकरणों में पाए गए। साइबर अपराध का शिकार होने वाला दूसरा बड़ा सेक्टर बैंकिंग व वित्तीय संस्थान है। उसके बाद हॉस्पिटलिटी, शिक्षा, एमएसएमई व मैन्यूफैक्चरिंग का नंबर आता है।
एआई का इस्तेमाल कर रहे अपराधी
आने वाले समय में साइबर अपराधी अपने तरीके में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल कर रहे हैं और वे अब पूरी सप्लाई चेन, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर एक साथ हमला कर सकते हैं। इस प्रकार की चुनौतियों के तेजी से बढ़ने की आशंका जताई गई है। साइबर अपराध टियर-2 व टियर-3 में अपना पैर पसार रहे हैं, लेकिन अभी वे बड़े शहरों को मुख्य रूप से अपना निशाना बना रह हैं।