कोलकाता(एजेंसी): Chandrayaan 3 मणिपुर की हिंसा को लेकर हर भारतीय चिंतित है, लेकिन एक ऐसे भी वैज्ञानिक हैं जिन्होंने इस चिंता को मन में रख देशहित को सबसे आगे रखा। हम बात कर रहे हैं रॉकेट वैज्ञानिक निंगथौजम रघु सिंह की जो अपने काम के प्रति प्रेम के कारण दो साल से अधिक समय से मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में अपने घर तक नहीं गए।
मछली पकड़ने वाले परिवार से हैं रघु सिंह
बिष्णुपुर जिले के थांगा गांव के चाओबा सिंह और एन याइमाबी देवी के पुत्र रघु सिंह एक साधारण मछली पकड़ने वाले परिवार से आते हैं, जो लोकटक झील से घिरी पहाड़ियों में स्थित है। वह आईआईएससी बैंगलोर के पूर्व छात्र हैं। सिंह ने आईआईटी-गुवाहाटी से फिजिक्स में स्नातकोत्तर (स्वर्ण पदक विजेता) पूरा किया और डीएम कॉलेज ऑफ साइंस इम्फाल से फिजिक्स में स्नातक किया। वह 2006 में वैज्ञानिक के रूप में इसरो में शामिल हुए।
चंद्रयान-3 की सफलता में निंगथौजम का भी हाथ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक निंगथौजम सिंह उन अहम लोगों में शामिल थे, जो चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए जिम्मेदार लोगों में से एक थे।
अब मानव को अंतरिक्ष पर ले जाने की तैयारी
वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अधिक महत्वाकांक्षी अगले अध्याय की शुरुआत है, जो सूर्य का अध्ययन करेगा और गगनयान कार्यक्रम के तहत भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा। उन्होंने कहा कि अब हम मिशन गगनयान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यों के चालक दल को 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करेंगे।
अब तक विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले एकमात्र भारतीय हैं। 1984 में, वह भारत-सोवियत संघ के संयुक्त मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में गए और सैल्युट 7 अंतरिक्ष स्टेशन पर आठ दिन बिताए।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने किया पोस्ट
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कहा कि यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मणिपुर के एक वैज्ञानिक, डॉ. रघु निंगथौजम, थंगा, बिष्णुपुर से चंद्रयान चंद्रमा लैंडिंग मिशन का हिस्सा थे। उन्होंने इसी के साथ हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर के लोग हमेशा मजबूती से वापसी करते हैं और आगे भी करेंगे।