लगभग दो लाख महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं में एनिमिया की जाॅंच का अभियान शुरूकलेक्टर  किरण कौशल  ने कोहड़िया से किया मिषन शक्ति का आगाज अगले दो महीने तक सभी आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में होगी एनिमिया की जाॅंच

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कोरबा@M4S:  जिले की लगभग एक लाख 95 हजार महिलाओं और किशोरी बालिकाओं में खून की कमी की जाॅंच के लिये मिषन शक्ति आज शुरू हो गया। कलेक्टर  किरण कौशल  ने कोहड़िया के आंगनबाड़ी केन्द्र परिसर में इस अभियान का शुभारंभ किया और जिले की सभी महिलाओं एवं किषोरी बालिकाओं से स्वमेव ही आकर खून की जाॅंच कराने की अपील की। इस अवसर पर कलेक्टर ने कहा कि कोरबा जिले में महिला स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने, महिलाओं को खून की कमी और उससे होने वाली बीमारियों से निजात दिलाने के लिये इस अभियान की शुरूआत की गई है। अभियान के तहत् जिले के सभी आंगनबाड़ी एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में एक साथ एनिमिया की जाॅंच की जायेगी। अभियान के तहत् जिले में साढ़े सात हजार से अधिक षिविरों का आयोजन किया जायेगा, जिनमें महिला एवं किषोरी बालिकाओं की खून की जाॅंच होगी। अभियान में कोरबा विकासखण्ड में 809, करतला विकासखण्ड में 991, कटघोरा विकासखण्ड में 560, पाली विकासखण्ड में 1061, पोड़ीउपरोड़ा विकासखण्ड में 1930 और कोरबा के शहरी क्षेत्रों में 2159 षिविर लगेंगे।       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.बी.बी.बोडे ने बताया कि एनीमिया षरीर में खून की कमी के कारण उत्पन्न होती है तथा हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा को बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत तथा महिलाओं में 11 से 14 के बीच होना चाहिए। किशोरावस्था और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में एनीमिया सबसे अधिक होती है। गर्भवती महिलाओं को बढ़ते शिशु के लिए भी रक्त निर्माण करना पड़ता है इसलिए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होने की संभावना होती है।  उन्होंने बताया कि एनीमिया एक गंभीर बीमारी है, इसके कारण महिलाओं को और भी कई बीमारियां होने की संभावना और बढ़ जाती है। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं की प्रसव के दौरान मरने की संभावना सबसे अधिक होती है। उन्होंने बताया कि एनीमिया के प्रमुख लक्षण- त्वचा का सफेद दिखना। जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी। कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट। चक्कर आना- विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में। बेहोश होना। सांस फूलना। हृदयगति का तेज होना। चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना आदि है। एनीमिया होने का प्रमुख कारण लौह तत्व वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करने से होता है। जिसके उपचार एवं रोकथाम हेतु बताया गया कि  अगर एनीमिया मलेरिया या परजीवी कीड़ों के कारण है, तो पहले उनका इलाज करें। लौह तत्वयुक्त चीजों का सेवन करें। विटामिन ‘‘ए’’ एवं ‘‘सी’’ युक्त खाद्य पदार्थ खाएं। गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की 1 गोली रोज रात को खाने खाने के बाद लेनी चाहिए। जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए। भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्ट करती है। संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल ही इस्तेमाल करें, स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें।       मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.बी.बी.बोडे ने जन सामान्य से अपील की है कि ‘‘मिषन षक्ति के तहत’’ जिले के समस्त गा्रमों एवं नगरीय निकाय क्षेत्र के आंगन बाड़ी केन्द्रों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में निःषुल्क एनिमिया रक्त जांच षिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 15 से 49 वर्ष के समस्त किशोरी, गर्भवती माताओं एवं महिलाओं का रक्त परीक्षण किये जायेंगे, यह अभियान मार्च 2020 तक चलेगा।

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