सीजेआई ने देरी पर उठाए सवाल
- सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने ये नोटिस दिया। पीठ निखिल उपाध्याय द्वारा 1995 अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
- सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता के वकील अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि 1995 अधिनियम को अब क्यों चुनौती दी जा रही है।
- इसपर वकील ने कहा कि हम 2013 के संशोधन को भी चुनौती दे रहे हैं। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि इसमें भी 12 साल हो गए। हम देरी की वजह से केस खारिज कर देंगे।
जवाब देते हुए वकील उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही 2020-21 में पूजा स्थल अधिनियम 1991 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
याचिकाकर्ता ने दी ये दलील
बता दें कि याचिकाकर्ता ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम 1995 की कई धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 27 के विरुद्ध हैं।
याचिकाकर्ता ने ये भी तर्क दिया कि केवल मुसलमानों के पास ही उनकी धार्मिक संपत्तियों को संभालने से संबंधित कानून है और अन्य धर्मों के पास ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए यह तर्क दिया गया कि वक्फ अधिनियम 1995 भेदभावपूर्ण था।