कोरबा@M4S:यूथ मुस्लिम कमेटी कोरबा के द्वारा आरंग में 7 जून को हुई मोबलिंचिंग की घटना के विरोध में सुभाष चौक में निहारिका में मौन जुलूस निकाल कर दोषियो के विरुद्ध गैर जमानती धारा के तहत अपराध दर्ज कर फांसी की सजा की मांग की गई।
इस आशय का पत्र राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर कोरबा को सौंपते हुए कमेटी ने कहा की छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के आरंग में दिनांक 07 जून 2024 को रायपुर – महासमुंद सीमा पर जघन्य घटना गौ रक्षा के नाम पर घटी। जिसमे उत्तरप्रदेश के सहारनपुर निवासी सद्दाम कुरैशी, गुड्डू खान एवं चांद मिया खान को मावेशी (भैंस) लेकर जाने के दरमियान महानदी के पुल के ऊपर एक भीड़ ने घेर लिया और इस भीड़ ने भारत देश के लोकतंत्र, संविधान, नियम – कानून को दरकिनार करते हुए कानून अपने हाथ में लेते हुए तीनो युवकों से मारपीट करते हुए उन्हें मौत के घाट उतार दिया और पुल के नीचे फेंक दिया जिसमे गुड्डू खान और चांद मिया खान की मौके पर ही मौत हो गई और एक मात्र चश्मदीद गवाह सद्दाम ने इलाज के दरमियान अपना दम तोड दिया। जबकि मौके पर गाय नहीं बल्कि भैंस का परिवहन पाया गया।
कमेटी ने कहा की इस पूरी घटना में यह स्पष्ट है कि गौ रक्षा के नाम पर भीड़ के द्वारा इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। जिसमे पुलिस प्रशासन ने आरोपियों को रिहाई का लाभ दिलाने जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है जबकि अपराध संज्ञेय प्रकृति का है। जिसमे गैर जमानती धाराओं के तहत अपराध किया जाना चाहिए था। लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर इसे जमानती मामला बना दिया। जिससे आरोपियों को जमानत का स्पष्ट लाभ दिया जा सके। जबकि भीड़ ने एक समुदाय विशेष के बीच दहशत फैलाने की नियत से रात 3 बजे हत्या के ही इरादे से सोची समझी रणनीति के तहत पुल के ऊपर वाहन को रोक कर घटना को अंजाम दिया। जबकि उन्हें विस्तृत जांच हेतु पुलिस प्रशासन को भी सौंपा जा सकता था।
देश के कई हिस्सों में गौ रक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में लेकर मुसलमानो को टारगेट कर मारपीट करना, हत्या कर देना जैसा मामला अक्सर समाचार पत्रों में सोशल मीडिया में दिखाई पड़ता रहता है। एक लोकतांत्रिक देश में पिछले कुछ दशकों में कानून के विपरीत भीड़ ने फैसला करना शुरू कर दिया है अक्सर देखा जाता है की एक भीड़ आती है और लोकतंत्र और कानून को आंखे दिखा कर मानवता के विपरीत कृत्य कर देश के कानून को आंखे तो दिखाती ही है बल्कि देश के विभिन्न समुदाय और धर्म के भाईचारे के भाव को भी खंडित करने का काम करती है।
कमेटी के अध्यक्ष सोहेल अहमद ने कहा की इस देश में सभी धर्मो, वर्गो के भाईचारे का एक बड़ा लंबा इतिहास है जिसमे आजादी से लेकर हर आपात स्थिति एवं देश के सर्वांगीण विकास में देश के सभी धर्म के लोगो ने अपना बलिदान, सहयोग दिया है। देश के अंदर लगातार मोबलिंचिंग की घटनाए देश के धार्मिक भाईचारे के ऊपर काला धब्बा है ही नही बल्कि भारत के धर्म निरपेक्ष संविधान के ऊपर भी एक गहरा प्रहार और गहरी चोट है। यूथ मुस्लिम कमेटी कोरबा ने राष्ट्रपति ने नाम कलेक्टर कोरबा को ज्ञापन सौंपते हुए के देश में मोबलिंचिंग के विरुद्ध फांसी की सजा दिए जाने का कानून बनाने एवं छत्तीसगढ़ राज्य के आरंग में घटी मोबलिंचिंग (जघन्य हत्याकांड) के आरोपियों के विरुद्ध गैर जमानती धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर फांसी की सजा दिलाने की मांग की है। कमेटी के इस मौन जुलूस में मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम जमात के कार्यवाहक अध्यक्ष रफीक़ मेमन , बरकत ख़ान , नौशाद ख़ान , मेमन जमात के अध्यक्ष फारूख मेमन , हाजी युनुस मेंमन ,डॉक्टर अमीन रिज़वी , मिर्ज़ा आसिफ़, मोहसिन मेमन , आवेश कुरेशी ,वसीम अकरम , क़ादिर ख़ान , मोहम्मद सज्जाद ,सारिक अली , आसिफ़ ख़ान , मोहम्मद ज़ाकिर , मोहम्मद समीर , सिबतैन रज़ा , आमिर कुरेशी , इमरान मलिक , इसतेखार अली , जासिद , आबिद , अदनान शेख , इज़हार , अमान, साहिल मेहमान , दानिश मेमन एवं ज़िले भर से भारी तादाद में मुस्लिम समाज के नागरिक शामिल हुए।