कोरबा@M4S: डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर बाबा साहेब लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित एवं बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री एवं भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे। उक्त कथन महापौर राजकिशोर प्रसाद ने डॉ. अम्बेडकर जी की 134 वीं जयंती अवसर पर जिला कांग्रेस कार्यालय टी पी नगर कोरबा में आयोजित कार्यक्रम में उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कही।
सभापति श्याम सुंदर सोनी ने बताया कि कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक कैरियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
जिला कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महामंत्री यू.आर. महिलांगे ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का जीवन सामाजिक चिंतन पर आधारित था। सामाजिक समानता, मौलिक अधिकार, मानवीय न्याय, समाजवाद तथा देश की एकता के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे।
कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के जिला अध्यक्ष नारायण कुर्रे ने बताया कि 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होते ही पं. जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में बनी सरकार में डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री का पद संभाला था। उन्होंने आगे बताया कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर पूरी शक्ति से जीवन भर सामाजिक उत्थान व विकास के लिए कार्य करते रहे।
ब्लॉक अध्यक्ष संतोष राठौर ने कहा कि वे हर समाज के प्रेरक थे। उनका दर्शन सामाजिक चिंतन पर ही आधारित था। सामाजिक समानता, मौलिक अधिकार, मानवीय न्याय, समाजवाद तथा देश की एकता के लिए संघर्ष के पथ में उन्होंने अपने प्राणों की आहूति भी दी।
सेवादल प्रमुख प्रदीप पुरायणे, रवि खुंटे, ए.डी जोशी, गणेश राम खुंटे, धना दास महिलांगे, किशन मिरी, रामगोपाल यादव, पंचराम निराला, विजय आनंद, पुष्पा पात्रे, रामचन्द्र, सरोज बघेल ने भी संबोधित किया। इन्होने बताया कि डॉ साहब जहां भी सम्मेलनों व सभाओं को सम्बोधित करते जय भीम के ऊंचे नारों से गगन (आसमान) गूंज उठता था।
जिला कांग्रेस कार्यालय के बाद ओपन थियेटर पहुंचकर वहां स्थापित डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हे नमन किया गया और जय भीम के नारे लगाये गये।