नई दिल्ली@एजेंसी:पूर्णिमा का मान 20 जनवरी को ही दिन में 1 बजकर 25 मिनट से लग जाएगी जो 21 जनवरी को दिन में 11 बजकर 15 मिनट तक व्याप्त होगी। इसलिए उदया तिथि के कारण 21 को पौष पूर्णिमा का मुख्य स्नान होगा। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान और दान करते हैं। कई जगह लोग इसे शाकंभरी जयंती के कारण शाकंभरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। पौष पूर्णिमा को ही भगवती दुर्गा के शाकम्भरी स्वरूप को जन्म हुआ था। इसलिए इसे शाकम्भरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त्त से ही पौष पूर्णिमा का पावन स्नान प्रारम्भ हो जाएगा। क्योंकि पूर्णिमा तिथि सम्पूर्ण रात व्याप्त रहते हुए दिन में 11:15 बजे तक व्याप्त रहेगी । ऐसे में ब्रह्ममुहूर्त से ही अमृत वर्षा प्रारम्भ हो जाएगी। इस बार एक अनोखा योग अक्षय योग की प्राप्ति करेगा क्योकि चंद्रमा से मंगल एवं गुरु,शुक्र पंचमस्थ एवं नवमस्थ हो रहे है। साथ ही चंद्र ,मंगल ,गुरु -शुक्र भी एक दूसरे से पंचम-नवम का संबंध बना रहे है। जो सर्वथा पूण्य दायक है।
ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और स्नान और दान करते हैं वो जन्म मरण के फेर हट जाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने बहुत ही शुभ माना गया है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
Paush purnima 2019: इस तारीख को पौष पूर्णिमा, बन रहा है ये विशेष संयोग
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