नई दिल्ली(एजेंसी):साइबर सिक्योरिटी भारत के साथ-साथ अन्य देशों के लिए भी एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में हर किसी के लिए अपनी सुरक्षा जरूरी है, क्योंकि हमारा ज्यादातर काम फोन पर ही होता है। एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि साइबर अपराधी लोगों के बैंक अकाउंट को खाली करने के लिए वॉइस कॉलिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं।
साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK की रिपोर्ट में पता चला है कि साइबर अपराधी अपनी दुर्भावनापूर्ण एक्टिविटी को बढ़ाने के लिए नई तकनीकी अपना रहे हैं। इसमें ओटीपी ग्रैबर सर्विसेस के साथ ‘विशिंग’ तकनीकों (वॉयस फिशिंग) को इंटीग्रेट कर रहे हैं।
अब साइबर अपराधी इन तकनीकों का उपयोग यूजर्स को उनके वन-टाइम पासवर्ड प्रकट करने के लिए हेरफेर करने के लिए कर रहे हैं।
क्या है विशिंग (वॉयस फिशिंग)?
- विशिंग का सीधा मतलब फिशिंग से है, जो साइबर हमले का एक रुप है। इसमें अपराधी आवाज और टेलीफोनी तकनीकी में हेरफेर करते हैं।
- ये जालसाज बैंक/आयकर/गैस एजेंसी आदि जैसे विश्वसनीय सोर्स से कॉल करने का बहाना करके पीड़ित से संपर्क करते हैं।
- इसके बाद वे अपने बैंक अकाउंट का विवरण मांगते हैं और डेबिट/क्रेडिट कार्ड, एक्सपायरी डेट आदि के बारे में वित्तीय जानकारी एकत्र करते हैं।
- इसके बाद स्कैमर्स लोगों को पैसे जमा करने के लिए मोबाइल पर भेजा गया ओटीपी साझा करने के लिए कहते हैं। जैसे ही पीड़ित ओटीपी साझा करता है, उसके खाते से पैसे काट लिए जाते हैं।
साइबर अटैक्स से कैसे बचें
- इसके लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना है, जिसके बारे में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
- कभी भी ओटीपी, पिन, सीवीवी, डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ साझा न करें।
- पैसे रिसीव करने के लिए कोई ओटीपी/यूपीआई पिन साझा न करें।
- बैंक खातों, क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जानकारी मांगने वाले किसी भी नंबर को उत्तर ना दें।
- किसी भी ऐसे कॉल के झांसे में ना आएं, जो आपको गिफ्ट/लॉटरी/केवाईसी अपडेट करने पर्सनल जानकारी मांगे।