सत्यम शिवम सुंदरम् आनंद में भक्तिमय नृत्यों ने बांधा समां भारतीय संस्कृति की खूबसूरती क्लासिकल नृत्य- प्रीति

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कोरबा@M4S: सत्यम शिवम सुंदरम् आनंद मेले  में  भक्तिमय गीतों पर आधारित नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। प्रतियोगिता में सभी क्षेत्रों के प्रतिभागियों ने शामिल होकर अपने नृत्य कला का प्रदर्शन किया। मेले में कोई प्रतिभागी महाकालके वेशभूषा में तो कोई काली के अवतार में तो किसी ने  कृष्णा के रूप में नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। लगभग तीस प्रतिभागियों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। जिसमें प्रथम पुरस्कार पोडीबहार निवासी संजना सोनी को दिया गया। जिन्होंने महादेव शंकर के वेशभूषा में नृत्य कर समां बांधा। द्वितीय पुरस्कार स्मृति बुधिया को तथा तृतीय पुरस्कार याशिका चौहान  को दिया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक सदस्यों में अतिथि के रूप में सीएसईबी सुपरवाईजर रविन्द्र साहू, प्रसिद्ध गोल्ड मेडलिस्ट क्लासिकल नृत्यांगना प्रीती चंद्रा तथा मंदाकिनी चंद्रा उपस्थित थे। नृत्यांगना प्रीति चंद्रा ने कार्यक्रम के अंत में अपनी शानदार प्रस्तुति दी। अतिथियों ने विजेताओं को मोमेंटो भेंटकर व उपहार देकर सम्मानित किया व सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति  पत्र तथा सांत्वना पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर रविंद्र साहू ने कहा कि गीत संगीत और नृत्य एक ऐसी विधा  है। जिसमें जब सप्तसुर लगते है और हमारी शारीरिक गतिविधियां है उन सुरों के साथ जुड़ जाती है तो आनंद की अनुभूति होती है। इस सत्यम् शिवम् सुंदरम् आनंद मेले में इन्ही सप्तसुरो का समागम मुझे देखने को मिला। साथ ही उन्होंने इस मेले में सभी से बुराई को त्याग करने का आह्वान किया, क्योकि बुराईयों का त्याग करने से ही हम परमात्मा तक पहुंच सकते है।  प्रीती चंद्रा ने कहा कि मैं यहां इस प्रकार के प्रतियोगिता में अतिथि के रूप में पहली बार आई हूं। चूंकि मैं एक क्लासिकल डांसर हूं, नृत्य का आरंभ सदैव ही भक्ति वंदना से होता है ।ठीक वैसे ही आध्यात्मिक, सकारात्मक वातावरण की अनुभूति मुझे यहां आने पर हो रही है ।साथ ही उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों की प्रशंसा की और कहा कि वर्तमान समय सभी लोगों की रूचि वेस्टर्न डांस में होने लगा है परंतु भारतीय संस्कृति की खुबसूरती जो क्लासिकल डांस है उसकी जगह कोई भी नही ले सकता। अतिथि मंदाकिनी चंद्रा ने कहा कि हमारी जो संस्कृति है। उसे आज के बच्चों से जोडऩा और इतने सुंदर व सरल तरीके रूप में रखना जो आकर्षण का केंद्र है। कला सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी रुक्मणी ने कहा  इसे आनंद मेला कहे या शिव संध्या कहे या संगीत संध्या वास्तव में ये मेला आत्मा और परमात्मा का मेला है। जो सच्चा आनंद है। इस अवसर पर अतिथि शंकर टीकादार भी उपस्थित थे। सभी अतिथियों को आयोजकों द्वारा मोमेंटो भेंटकर सम्मनित किया गया। प्रथम विजेता संजना सोनी ने कहा कि मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा और मेरे कोरियोग्राफर गुरू संदीप सर है जिनकी वजह से आज की प्रतियोगिता में प्रथम आई हूं। काफी संख्या में दर्शको ने कार्यक्रम का आनंद लिया।

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