प्रबंधन के आदेश से कर्मियों में भडक़ा आक्रोश पदोन्नति को लेकर प्रबंधन ने जारी किया है सर्कुलर

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कोरबा@m4s: कोल इंडिया प्रबंधन के बीते 29 नवंबर को जारी इस आदेश से कोल कामगार भडक़ गए है।कोयला कर्मियों का अफसर बनना अब आसान नहीं होगा। कोल इंडिया में अब कोई भी कर्मचारी अधिकारी नहीं बन सकता है। ग्रेड ए में काम करने वाले कर्मचारियों को ही अधिकारी बनने का मौका मिलेगा। कोल इंडिया प्रबंधन ने नियम में संशोधन किया है। इसे लेकर विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं।


उनका कहना है कि कोल इंडिया प्रबन्धन ने मनमाना आदेश कर नान एक्जीक्यूटिव पद से अधिकारी पद में पदोन्नति का रास्ता बंद करने का प्रयास किया है।चेयरमैन कोल इंडिया, प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री को प्रतिवेदन भेज जारी संशोधन को वापस लेने की मांग की है। तर्क है कि पूर्व में तीन साल की किसी भी पद पर सेवा और शैक्षणिक योग्यता के बाद विभागीय परीक्षा से अधिकारी संवर्ग कार्मिक एवं वित्त में पदोन्नति हासिल हो सकती थी लेकिन अब बदलाव कर अहर्ता में टी एण्ड एस ग्रेड ए के साथ तीन वर्ष का अनुभव शामिल कर दिया है। गैर अधिकारी वर्ग में कार्यरत कार्मिकों का कहना है कि श्रमिकों को टैक्निकल एवं सुपरवाइजरी ग्रेड ए में पहुंचने में दो दशक से अधिक लग जाता है। पहले आंतरिक परीक्षा में कोई भी कर्मचारी अधिकारी बनने के लिए आयोजित परीक्षा में हिस्सा ले सकते थे। उच्च तकनीकी योग्यताधारी कई कैटगरी-1 रैंक के कर्मचारियों का चयन भी अधिकारी के रूप में हुआ है। कोल इंडिया बोर्ड ने तय किया है कि कार्मिक में वैसे कर्मचारियों को ही परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा, जिनका ग्रेड-ए में कम से कम तीन साल की सेवा हो। किसी भी कर्मचारी को ग्रेड में पहुंचने में कम से कम 20 साल लग जाता है। इसमें तीन साल काम करने के बाद उनका नौकरी बहुत ही कम बच जायेगी। वित्त संवर्ग में भी अधिकारी बनने के लिए चार्टेड एकाउंट में इंटर के साथ-साथ स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। ग्रेड-ए में तीन साल काम करने का अनुभव होना चाहिए। कोल इंडिया में यह आदेश प्रभावी हो गया है। इसका मजदूर यूनियन विरोध भी कर रहे हैं। अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के महामंत्री सुधीर घुरडे ने कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक को इस बाबत पत्र लिख जारी कार्यालय ज्ञापन को तत्काल निरस्त करने की मांग की है । प्रबन्धन पर आरोप लगाया है कि श्रमिक संगठन को जानकारी दिये बगैर सीआईएल बोर्ड की बैठक में एकतरफा बदलाव किया है। मांग की है कि पूर्व की तरह शैक्षणिक योग्यता के आधार पर कर्मचारी से अधिकारी वर्ग में पदोन्नति की जाए। चेतावनी दी है कि इस मुद्दे पर संगठन आंदोलनात्मक रूख अख्तियार कर सकती है।

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