शिक्षक ही समाज का शिल्पकार: डा.गजेन्द्र तिवारी

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छत्तीसगढ़ पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल पाली के शिक्षाविद प्राचार्य एवं कैरियर काउंसलर डॉ गजेंद्र तिवारी ने बताया कि माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं उनका स्थान कोई नहीं ले सकता उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते लेकिन शिक्षक ही है जिन्हें हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है कोई उसे गुरु कहता है कोई शिक्षक कहता है कोई आचार्य कहता है तो कोई अध्यापक कहता है यह सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है सिखाता है और जिस का योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है सही मायने में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है शिक्षक ही समाज की आधारशिला है एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है तभी शिक्षक को समाज में उचित दर्जा दिया जाता है एक शिक्षक या गुरु द्वारा अपने विद्यार्थी को स्कूल में जो सिखाया जाता है या जैसा वो सीखता है वह वैसा ही व्यवहार करते हैं उनकी मानसिकता भी कुछ वैसे ही बन जाती है जैसा वह अपने आसपास होता देखते हैं इसलिए एक शिक्षक या गुरु की अपने विद्यार्थी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है जो हमें गुरु द्वारा प्रदान की जाती है विश्व में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर शिक्षक अपने शिक्षार्थी को ज्ञान देने के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त शिक्षा भी देते हैं जो कि एक विद्यार्थी में उच्च मूल्य स्थापित करने में बहुत उपयोगी है किसी भी राष्ट्र का आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी है तो उस देश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता अगर राष्ट्रीय शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी तो वहां की प्रतिभा दबकर रह जाएगी बेशक किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति बेकार हो लेकिन एक शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तब्दील कर देता है शिक्षा के अनेक आयाम है जो किसी भी देश के विकास में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हैं ।
डॉक्टर तिवारी ने बताया कि आज के समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण हो गया है शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण देश के समक्ष बड़ी चुनौती है पुराने समय में भारत में शिक्षा कभी व्यवसाय या धंधा नहीं थी गुरु एवं शिक्षक ही वो है जो एक शिक्षार्थी में उचित आदर्शों की स्थापना करते हैं और सही मार्ग दिखाते हैं एक शिक्षार्थी को अपने शिक्षक या गुरु के प्रति सदा आदर और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए किसी भी राष्ट्र का भविष्य निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ हमको सही आदर्श मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि प्रत्येक शिक्षार्थी के सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।

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