स्कूल संचालकों की मनमानी रोके प्रशासन
दीपावली के बाद उग्र आंदोलन की तैयारी
फीस विनियामक अधिनियम का भी विरोध
रायपुर@M4S:छत्तीसगढ़ छात्र पालक निजी स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षा को व्यापार बनाने, बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन करने और इस कोरोना काल में पालकों के उपर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालने के विरोध में रायपुर कलेक्टरऔर डी ई ओ के कार्यालय का घेराव किया गया। संघ की मांग है कि सरकार द्वारा इस वर्ष शून्य शिक्षा वर्ष घोषित किया जाए। छात्र पालक संघ ने सरकार के नए फीस विनियामक अधिनियम को भी स्कूल संचालकों के हित में बताते हुए कहा है कि वे इस नियम के खिलाफ कोर्ट की शरण लेंगे।
राजधानी के विभिन्न निजी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के पालकों ने बड़ी संख्या में जिलाधीश कार्यालय में पहुंचकर नारेबाजी की। पालकों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि अभी भी अनेक स्कूल संचालकों द्वारा मनमाने तरीके से फीस वसूली की जा रही है। हालांकि आर्थिक समस्या से जूझ रहे अनेक पालकों ने अब तक फीस जमा नहीं कराई है। वे फीस तभी जमा करेंगे जब प्रशासन द्वारा स्कूलों की ऑडिट कराई जाएगी और फीस का निर्धारण किया जाएगा। छात्र पालक संघ की मांग है कि इस वर्ष को शून्य शिक्षा सत्र घोषित करते हुए समस्त बच्चों को जनरल प्रमोशन दिया जाए । यहां एडीएम को ज्ञापन सौंपकर पालकों ने अपनी समस्या बताई।
कलेक्टर कार्यालय के बाद पालकों ने जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव किया।
छत्तीसगढ़ छात्र संघ पालक संघ के बैनर तले आंदोलन कर रहे इन पालकों की मुलाकात शिक्षा अधिकारी से नहीं हो सकी क्योंकि वह अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे, उनकी गैर हाजिरी में पालकों ने अपना ज्ञापन एक अन्य अधिकारी को सौंपा। छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ के अध्यक्ष नजरुल खान का कहना है कि संघ ने पहले भी प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था, मगर आश्वासन के बावजूद कोई भी कार्रवाई स्कूल संचालकों के खिलाफ नहीं की गई। इसलिए उन्हें मजबूरन दोबारा यहां आना पड़ रहा है। अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती तो दीपावली के बाद सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।
पालक संघ के अध्यक्ष नजरुल खान का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन ने हाल ही में जो फीस विनियामक अधिनियम पारित किया है वह पालकों की बजाय स्कूल संचालकों के लिए फायदेमंद है। इस कानून के तहत फीस तय करने के लिए जो कमेटी बनाई जा रही है, स्कूल का मालिक उसका अध्यक्ष होगा, वही प्रिंसिपल सचिव बनाए जाएंगे, पालक प्रतिनिधि का चयन भी प्रिंसिपल और कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। ऐसे में पालक अपने प्रतिनिधि का चयन अपनी मर्जी से नहीं कर सकेंगे और अपनी बात न्यायोचित तरीके से नहीं रख पाएंगे। छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ इस कानून के खिलाफ कोर्ट की शरण लेगा।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बनाए गए फीस विनियामक अधिनियम के तहत फिलहाल स्कूलों की फीस का निर्धारण शुरू नहीं किया गया है, यह कानून अपने प्रारम्भिक चरण में है और इसमें काफी समय लगेगा । पालकों की मांग है कि फिलहाल स्कूलों की फीस निर्धारण किया जाए और मनमानी रोकी जाए, तभी वे फीस जमा कर सकेंगे।
स्कूल फीस को लेकर पालकों का प्रदर्शन
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