अलग-अलग चरणों में वैक्सीन देने पर विचार कर रहा WHO, जानिए किन्हें पहले मिलेगी?

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नई दिल्ली(एजेंसी):कोरोना वायरस महामारी से इस वक्त पूरी दुनिया जूझ रही है और बेसब्री से इसके खिलाफ वैक्सीन का इंतजार कर रही है। कोरोना वैक्सीन का कई देशों में अंतिम चरण में परीक्षण चल रहा है तो वहीं रूस ने इसकी पहली खेप का प्रोडक्शन भी शुरू कर दिया है। ऐसे में इस वक्त लोगों के जेहन में सवाल है कि आखिर किन लोगों को ये वैक्सीन सबसे पहले मिलेगी?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोनो के खिलाफ सभी देशों को समान रूप से जोखिम कम करने के लिए टीके आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है, यह चेतावनी देते हुए कि धनी राष्ट्रों के कोने-कोने तक सीमित आपूर्ति महामारी को खत्म करने के प्रयासों में बाधा बनेगी।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस वैक्सीन का आवंटन पहले सभी देशों को आनुपातिक हिसाब से किया जाना चाहिए और उसके बाद उनकी आबादी को लेकर विचार किया जाना चाहिए। काफी बड़े पैमान पर उत्पादन से पहले सीमित मात्रा में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध रहेगी। ऐसे में कई देशों ने शुरुआत में इसके आवंटन को लेकर विशेषज्ञों की समिति बनाई है।

जून के महीने में डब्ल्यूएचओ कोरोनावायरस वैक्सीन के ‘रणनीतिक आवंटन’ की एक अस्थायी योजना के साथ सामने आया था। इसने कहा था कि सबसे पहले यह वैक्सीन स्वास्थ्यकर्मियों, 65 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों और जो हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, मोटापा या पुरानी श्वसन संबंधी बीमारी के शिकार लोगो को दी जानी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष टेडरोस अधानोम घेब्रेसस ने कहा कि कोविड-19 स्पैनिश फ्लू से कम वक्त में खतम हो जाएगा। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने शुक्रवार को जिनेवा स्थित संगठन के मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि 2 साल से कम समय में कोरोना वायरस दुनिया से मिट जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि 1918 में फैली महामारी से कम वक्त में कोरोना समाप्त हो जाना चाहिए।

पांच दवा उत्पादक कंपनियों, जिनमें से 3 का क्लिनिकल ट्रायल अभी चल रहा है, उनसे से कहा गया है कि वे तीन दिनों के भीतर कोविड-19 वैक्सीन को लेकर रोडमैप बताएं कि अगर उनकी वैक्सीन को मंजूरी मिल जाता है तो कैसे वे बड़े पैमाने पर उसका उत्पादन करेंगे उनकी क्या कीमत वह चाह रहे हैं। भारत ने अभी तक किसी भी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से प्री-प्रोडक्शन की डील नहीं की है, जो सफलतापूर्वक क्लिनिक ट्रायल के बाद रेस में बनी हुई है।

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