वाशिंगटन(एजेंसी):अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एक नए महत्वाकांक्षी मिशन की तरफ कदम बढ़ा रहा है। इसके तहत स्टेडियम जितने बड़े गुब्बारे में 8.4 फुट का एक दूरबीन पृथ्वी के स्ट्रैटोस्फीयर में भेजा जाएगा। इस मिशन का नाम एसथ्रोस रखा गया है। यह दूरबीन इंफ्रारेड रोशनी और ज्यादा वेबलेंथ वाली रोशनी का अध्ययन करेगा।
क्या है खासियत-
यह गुब्बारा 150 मीटर चौड़ होगा और इसका आकार फुटबॉल के एक स्टेडियम के समान होगा। यह गुब्बारा 130,000 फीट की ऊंचाई पर जा सकता है। यह ऊंचाई हवाईजहाजों की ऊंचाई से चार गुना ज्यादा है। हालांकि, ये अंतरिक्ष तक नहीं जा सकेगा लेकिन पृथ्वी के स्ट्रैटोस्फीयर में जाकर अंतरिक्ष से पृथ्वी की तरफ आने वाली रोशनियों का अध्ययन करेगा। गुब्बारे में एक ऐसा उपकरण भी लगाया जाएगा जो नए सितारों के आसपास मौजूद गैस की गति को मापेगा। गुब्बारे के नीचे लगाए गए एक गोंडोला में दूरबीन और सारे उपकरण लगाए जाएंगे।
उपकरणों को ठंडा रखेगा कूलर-
इंफ्रारेड रोशनियों के संपर्क में आने वाले उपकरणों को ठंडा रखना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में इन्हें ठंडा रखने के लिए क्रायोकूलर का इस्तेमाल किया जाएगा। यह उपकरणों का तापमान माइनस 268.5 डिग्री सेल्सियस रखने में मदद करेगा।
इन चीजों का करेगा अध्ययन-
इस मिशन में चार चीजों पर अध्ययन किया जाएगा। इनमें मिल्की वे आकाशगंगा में दो तारों के निर्माण के इलाके शामिल हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष में मौजूद दो तरह के नाइट्रोजन आयन का भी अध्ययन किया जाएगा। इस गुब्बारे की लॉन्चिंग अंटार्कटिका से दिसंबर 2023 में की जाएगी। यहां चलने वाली हवाओं की मदद से 21 से 28 दिन के अंदर यह गुब्बारा स्ट्रैटोस्फीयर तक पहुंच जाएगा। नासा का कहना है कि इस मिशन में ज्यादा उपकरणों, खर्चे और समय की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसमें किसी जटिल तकनीक की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।