नई दिल्ली(एजेंसी):केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य बोर्डों को एक सामान मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के दायरे से एक साल के लिए बाहर रखने संबंधी अध्यादेश को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। सरकारी सूत्र के अनुसार, इस अध्यादेश की मदद से राज्यों के बोर्ड राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक साल तक बच सकेंगे। इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि कुछ राज्यों को अभी भी समस्या है लेकिन मैं यकीन दिलाता हूं कि सभी का जल्द समाधान कर लिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अध्यादेश जारी करने का फैसला लिया गया। इस अध्यादेश के फैसले के बाद एनईईटी कराने के कोर्ट के 9 मई के फैसले पर प्रतिबंध लग गया है।
गौरतलब है कि नौ मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को लेकर चल रही सभी शंकाओं को समाप्त करते हुए कहा था कि जो उम्मीदवार नीट 1 में बैठ चुके हैं वह 24 जुलाई को होने वाली नीट 2 में भी बैठ सकते हैं। लेकिन यह तभी होगा जब वह नीट 1 का परित्याग कर देंगे। दूसरे शब्दों में जो छात्र नीट 1 में बैठने के बाद नीट 2 में बैठेंगे उनकी रैंक और स्कोर नीट 2 के अनुसार तय होगी।
राज्यों के टेस्ट नहीं चलेंगे
कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्यों द्वरा किए जा रहे कामन एंट्रेंस टेस्ट, सेट को अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि नीट केंद्र सरकार का सृजन है इसलिए यह राज्यों के कानून के ऊपर रहेगा।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि हम नीट पर इस बात में कोई कानूनी दिक्कत महसूस नहीं करते कि यह राज्यों और निजी संस्थानों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते। कोर्ट ने कहा कि किसी श्रेणी के लिए आरक्षण नीट की विषय वस्तु नहीं थी, न ही अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर नीट से कोई प्रभाव पड़ रहा है।
नीट सिर्फ एमबीबीएस/बीडीएस कोर्सों में दाखिले के लिए पात्रता प्रवेश परीक्षा कराने का प्रावधान करती है इसलिए हमें इस बात पर कोई दम नजर नहीं आता कि 28 अप्रैल के आदेश में कोई तब्दीली की जाए।
नीट के समर्थन में केजरीवाल ने मोदी को लिखा पत्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को बंद करने के लिए अध्यादेश नहीं लाये जाने की मांग की है। केजरीवाल ने पीएम मोदी को आज एक पत्र लिखा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के नीट परीक्षा को रद्द नहीं करने के आदेश का उल्लेख है।
उन्होंने कहा है कि नीट को बंद करने का अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिये। सभी छात्र चाहते हैं कि यह परीक्षा लागू हो। यदि इसे रद्द किया गया तो लोगों में यह संदेश जायेगा कि केंद्र सरकार कालाधन संचय करने वालों का साथ दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई पार्टियों के सांसदों और नेताओं के अपने निजी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। इनमें कुछ अच्छे भी हैं, लेकिन कुछ में पैसे का गोरखधंधा चल रहा है। इसलिए, वे नहीं चाहते कि नीट परीक्षा हो।