साल दर साल बढ़ा धान का रकबा,पंजीकृत किसानों की संख्या में भी इजाफा,शासन की योजना से खेती-किसानी की ओर लौटे युवा

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कोरबा@M4S:एक दौर था जब खेती की परंपरा से विमुख होकर युवा खेतों से दूर हो रहे थे। शासन की योजनाओं ने नई जान फूंकी और खेत धानी होते गए। समर्थन मूल्य की संजीवनी का उत्कृष्ट परिणाम नजर आया और बीते आठ साल में किसानों की संख्या तीन गुना बढ़ गई। वर्ष 2014-15 में जहां केवल 15 हजार 343 किसान पंजीकृत हुए थे, वर्तमान वर्ष में धान खरीदी का लाभ प्राप्त करने दो नवंबर तक की स्थिति में 46 हजार 277 किसानों ने पंजीयन कराया है।
धान बोनस व समर्थन मूल्य के साथ शासन की विभिन्न योजनाओं का असर खेतों की हरियाली और किसानों के उत्साह पर देखा जा सकता है। धान खरीदी में किसानों के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आठ साल पहले जितना धान खरीदा गया था, इस वर्ष उसके लगभग दोगुना धान खरीदने का लक्ष्य जिला प्रशासन ने निर्धारित किया है। वर्ष 2014-15 में 15 हजार 343 किसान पंजीकृत हुए, जबकि 13 हजार 879 किसान लाभांन्वित हुए और उस साल कुल नौ लाख 7 हजार 145 क्विंटल धान खरीद हुई थी। बोनस और समर्थन मूल्य में वृद्धि का नतीजा है कि दस साल में धान खरीदी में 10 लाख क्विंटल की वृद्धि हुई है। एक नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी को लेकर धीरे-धीरे किसानों की संख्या केंद्रों में बढ़ रही है। किसान भी उत्साह में हैं हालांकि अभी धान की अधिकांश फसल पक नहीं सकी है। लेकिन फसल पकते ही इसकी कटाई और मिसाई का काम तेज हो जाएगा। धान खरीदी के मद्देनजर सभी केंद्रों में एक-एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति किए गए हैं, जो अपने-अपने खरीदी केंद्रों में जाकर निगरानी कर रहे हैं, जो किसी भी तरह की गड़बड़ी की रोकथाम सुनिश्चित करेंगे, ताकि कार्य प्रभावित न हो और किसान उत्साह के साथ सरल व सजह होकर अपने धान विक्रय कर सकें।
8 साल में बढ़ा 660 रूपये समर्थन मूल्य
आठ साल पहले यानि वर्ष 2014-15 में समर्थन मूल्य मोटे धान में 1360 तो पतले धान में 1400 रुपये था। अब मोटा 2040 तो पतला 2060 रुपये है। बोनस देने की शुरूआत 2008-09 में हुई। तब किसानों को प्रति क्विंटल 220 रुपए बोनस दिया गया। इसके बाद 2009-10,2010-11 और 2011-12 में 50 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया गया। इसके बाद बोनस 270 रुपए प्रति क्विंटल हुआ तो धान खरीदी में भारी वृद्धि हुई। वहीं 10 वर्षों में जिले में 10 लाख क्विंटल से ज्यादा धान खरीदा जाने लगा है। जिले की लगभग 40 फीसदी आबादी धान की खेती पर आश्रित है। यहां धान ही प्रमुख फसल है। समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ ही किसानों का धान की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है। यही वजह है कि धान खरीदी में पिछले 10 वर्षों में 10 लाख क्विंटल की वृद्धि हुई है।
अब तक 74.8 क्विंटल धान विक्रय करने कटे हैं टोकन
एक नवंबर से शुरु हुई धान खरीदी के दौरान अब तक की स्थिति में मात्र 74.8 क्विंटल धान विक्रय करने टोकन कटे हैं। इनमें चैतमा और पसान के किसानों ने टोकन कटाते हुए तिथि निर्धारित की। वर्तमान स्थिति में खेतों की कार्रवाई अनेक स्थानों में जारी है, जिनमें कटाई-मिंजाई से लेकर अन्य कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में धान खरीदी की रफ्तार पकड़ लेगी और केंद्रों मेंं किसानों की भीड़ जुट जाएगी। जिले के 55 खरीदी केंद्रों में इसकी तैयारी है, जहां आने वाले किसानों का तिलक लगाकर स्वागत किया जा रहा है। इस वर्ष भी रिकार्ड धान खरीदी होने की उम्मीद की जा रही है।

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