नहीं रहे विनोद खन्ना
नई दिल्ली एजेंसी):पिछले कुछ दिनों से डिहाइड्रेशन की परेशानी के चलते हॉस्पिटल में एडमिट विनोद खन्ना का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। विनोद खन्ना को 31 मार्च को मुंबई स्थित ‘सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल’ में भर्ती कराया गया था।
06 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद खन्ना ने बतौर खलनायक अपने करियर का आगाज कर नायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचकर अपनी अलग पहचान बनाई थी।
विनोद खन्ना ने स्नातक की शिक्षा मुंबई से की। इसी दौरान उन्हें एक पार्टी के दौरान निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म ‘मन का मीत’ के लिए नए चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सहनायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
पिता ने तान दी थी बंदूक
घर पहुंचने पर विनोद खन्ना को अपने पिता से काफी डांट भी सुननी पड़ी। विनोद खन्ना ने जब अपने पिता से फिल्म में काम करने के बारे में कहा तो उनके पिता ने उन पर बंदूक तान दी और कहा ‘अगर तुम फिल्मों में गए तो तुम्हें गोली मार दूंगा।’ बाद में विनोद खन्ना की मां के समझाने पर उनके पिता ने विनोद खन्ना को फिल्मों में दो साल तक काम करने की इजाजत देते हुए कहा अगर फिल्म इंडस्ट्री में सफल नहीं होते हो तो घर के व्यवसाय में हाथ बंटाना होगा।
पहली ही फिल्म हुई हिट
साल 1968 में प्रदर्शित फिल्म ‘मन का मीत’ टिकट खिड़की पर हिट साबित हुई। फिल्म की सफलता के बाद विनोद खन्ना को ‘आन मिलो सजना’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘सच्चा झूठा’ जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिकायें निभाने का अवसर मिला लेकिन इन फिल्म की सफलता के बावजूद विनोद खन्ना को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
गुलजार ने दिये कई मौके
विनोद खन्ना को प्रारंभिक सफलता गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने से’ मिली। इसे महज एक संयोग ही कहा जाएगा कि गुलजार ने बतौर निर्देशक करियर की शुरुआत की थी। छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म में मीना कुमारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म में विनोद खन्ना और शत्रुघन सिंहा के बीच टकराव देखने लायक था। साल 1973 में विनोद खन्ना को एक बार फिर निर्देशक गुलजार की फिल्म ‘अचानक’ में काम करने का अवसर मिला जो उनके करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। फिल्म से जुड़ा एक रोचक तथ्य है कि इस फिल्म में कोई गीत नहीं था। साल 1974 में प्रदर्शित फिल्म ‘इम्तिहान’ विनोद खन्ना के सिने करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुई। साल 1977 में प्रदर्शित फिल्म ‘अमर अकबर ऐंथनी’ विनोद खन्ना के सिने करियर की सबसे कामयाब फिल्म साबित हुई। मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी यह फिल्म खोया पाया फॉर्मूले पर आधारित थी। तीन भाइयों की जिंदगी पर आधारित इस मल्टीस्टारर फिल्म में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर ने भी अहम भूमिका निभाई थी।