मुख्यमंत्री ने लोकप्रिय संत कवि श्री पवन दीवान के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया : एक चमकदार सितारे का अवसान हृदयविदारक : डॉ. रमन सिंह

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राजकीय सम्मान के साथ होगी अंतिम बिदाई विशेष विमान से रायपुर लाया जाएगा पार्थिव शरीर
रायपुर@M4S:मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद श्री पवन दीवान के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। श्री दीवान का आज सवेरे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्री दीवान का पार्थिव शरीर विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली से रायपुर लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि श्री दीवान की अंत्येष्टि सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने आज राजधानी रायपुर में जारी शोक संदेश में कहा कि श्री पवन दीवान के निधन से छत्तीसगढ़ के साहित्य और आध्यात्मिक आकाश के एक चमकदार सितारे का अचानक अवसान हम सबके लिए अत्यंत हृृदयविदारक है। मुख्यमंत्री ने कहा – स्वर्गीय श्री दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के लिए जनचेतना जागृत करने में अपना ऐतिहासिक योगदान दिया। उन्होंने अपनी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी कविताओं के माध्यम से जहां मानवीय संवेदनाओं को लगातार अपनी हृदय स्पर्शी अभिव्यक्ति दी, वहीं राज्य निर्माण के लिए जन-जागरण में भी उनकी कविताओं ने उत्प्रेरक का कार्य किया। रामायण और भागवत प्रवचन के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार-प्रसार में ऐतिहासिक योगदान दिया। डॉ. सिंह ने कहा-वर्ष 1977-78 में तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में राजिम से विधायक निर्वाचित श्री दीवान ने जेल मंत्री के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। मुख्यमंत्री ने कहा – महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र के सांसद के रूप में और छत्तीसगढ़ राज्य गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी जनता को अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दी। मुख्यमंत्री ने श्री दीवान के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
ज्ञातव्य है कि श्री पवन दीवान का जन्म एक जनवरी 1945 को राजिम के पास ग्राम किरवई में हुआ था। उनके पिता श्री सुखरामधर दीवान शिक्षक थे। श्री पवन दीवान ने राजधानी रायपुर के शासकीय संस्कृत महाविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम.ए. किया था। उन्होंने हिन्दी में भी स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की थी। वह संस्कृत, हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान थे। श्री दीवान राजिम स्थित ब्रम्हचर्य आश्रम के सर्वराकार भी रहे। उनके कविता संग्रहों में ’मेरा हर स्वर उसका पूजन’ और ’अम्बर का आशीष’ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके कविता संग्रह ’अम्बर का आशीष’ का विमोचन उनके जन्मदिन पर एक जनवरी 2011 को राजिम में हुआ था। हिन्दी साहित्य में ’लघु पत्रिका आंदोलन’ के दिनों में वर्ष 1970 के दशक में श्री पवन दीवान ने साइक्लो-स्टाइल्ड साहित्यिक पत्रिका ’अंतरिक्ष’ का भी सम्पादन और प्रकाशन किया था। वह वर्तमान में ’माता कौशल्या गौरव अभियान’ से भी जुड़े हुए थे।

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