नई दिल्ली(एजेंसी):मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार को 70 साल की उम्र में निधन हो गया। शायर राहत इंदौरी श्री अरबिंदो अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनका दो बार दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ। इस बात की सूचना खुद अस्पताल के डॉ विनोद भंडारी ने देते हुए बताया कि उर्दू कवि राहत इंदौरी का निधन आज दो बार दिल का दौरा पड़ने से हुआ। कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें 60 फीसदी निमोनिया था। बता दें कि आज (मंगलवार को) राहत इंदौरी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी कि उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई और वह फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं।
1 जनवरी 1950 को इंदौर में पैदा हुए राहतउल्ला कुरैशी को आज दुनिया डॉ राहत इंदौरी के नाम से जानती है। शायर राहत इंदौरी ने सियासत और मोहब्बत दोनों पर बराबर हक और रवानगी के साथ शेर कहे। बहुत कम ही लोग जानते हैं कि राहत एक बहुत अच्छे चित्रकार भी रहे हैं।
राहत इंदौरी का जन्म-
राहत का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहां हुआ था। वे अपने माता-पिता की की चौथी संतान थे। राहत की दो बड़ी बहनें थीं जिनके नाम तहज़ीब और तक़रीब थे,एक बड़े भाई अकील और फिर एक छोटे भाई आदिल रहे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। इसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
जब राहत बने लोगों के बीच लोकप्रिय-
राहत इंदोरी जी ने शुरुवाती दौर में इंद्रकुमार कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। उनके छात्रों के मुताबिक वह कॉलेज के अच्छे व्याख्याता थे। फिर बीच में वो मुशायरों में व्यस्त हो गए और पूरे भारत से और विदेशों से निमंत्रण प्राप्त करना शुरू कर दिया। उनकी अनमोल क्षमता, कड़ी लगन और शब्दों की कला की एक विशिष्ट शैली थी ,जिसने बहुत जल्दी उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया।
10 साल से भी कम उम्र में बने चित्रकार-
राहत की परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से उन्हें बचपन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपने ही शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था। वह कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड चित्रकार बन गए। यह भी एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था।