वाशिंगटन(एजेंसी):अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खासकर पाकिस्तान में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि उसने भारतीय सीमा पर अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा किया है और ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं।
पूर्वी एशिया के उप रक्षामंत्री अब्राहम एम डेनमार्क ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, हमने भारत की सीमा के निकट के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल मुद्रा में इजाफा पाया है।
यह संवाददाता सम्मेलन चीनी जनवादी गणराज्य की सेना और सुरक्षा घटनाक्रम पर अमेरिकी कांग्रेस में पेंटागन की ओर से वार्षिक 2016 रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद आयोजित किया गया था।
बहरहाल, डेनमार्क ने कहा कि यह तय करना मुश्किल है कि इसके पीछे वास्तविक मंशा क्या है।
उन्होंने तिब्बत में सैन्य कमान का स्तर उन्नत करने के चीन के कदम पर एक सवाल के जवाब में कहा, यह कहना मुश्किल है कि इसमें से कितना आंतरिक स्थिरता बरकरार रखने की आंतरिक मंशा से और कितना बाहरी मंशा से प्रेरित है।
डेनमार्क ने अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की हाल की भारत यात्रा को बहुत सकारात्मक एवं उत्पादक बताते हुए कहा, हम भारत के साथ अपना द्विपक्षीय रिश्ता प्रगाढ़ करना जारी रखेंगे, चीन के संदर्भ में नहीं, बल्कि इसलिए कि भारत खुद ही अधिकाधिक एक अहम देश है। और हम उसके महत्व के चलते भारत के साथ संवाद करने जा रहे हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खास तौर पर पाकिस्तान में अड्डा स्थापित करने समेत चीन की बढ़ती मौजूदगी के प्रति आगाह किया। पाकिस्तान के साथ चीन के लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं।
इसने कहा कि चीन के फैलते अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हित के चलते चीनी नागरिकों, चीनी निवेश और संचार की अहम समुद्री लाइन की सुरक्षा के लिए जनमुक्ति सेना की नौसेना पर दूर-दराज के समुद्रों में संचालन की मांग बढ़ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, बहुत संभव है कि चीन उन देशों में अतिरिक्त नौसैनिक साजो-सामान केन्द्र स्थापित करना चाहेगा जिसके साथ उसके दीर्घकालीन दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं जैसे पाकिस्तान।
पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के निकट चीनी सैन्य निर्माण पर चिंता जताई। उसने कहा, चीन-भारत सीमा के विवादित हिस्सों पर तनाव बना रहा, जहां दोनों पक्ष सैन्य बलों के साथ गश्त लगाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, उत्तरी लद्दाख के बुत्र्से में सितंबर 2015 में पांच दिनों की सैन्य तनातनी के बाद भारत और चीन ने वरिष्ठ स्तर की फ्लैग-आफिसर बैठक आयोजित की और शांति बनाए रखने पर सहमति जताई और दोनों पक्षों के लिए परस्पर रूप के स्वीकार्य बिंदुओं पर लौट गए।
पेंटागन ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों के बावजूद अरूणाचल प्रदेश (जिसके बारे में चीन तिब्बत का, और इस तरह अपना हिस्सा होने का दावा करता है) और तिब्बती पठार के पश्चिमी छोर पर अक्साइ चिन इलाके के मुद्दे पर 4,057 किलोमीटर लंबी साझी सीमा पर भारत के साथ चीन का तनाव है।