दीपका खदान बंद करने की चेतावनी दी किसान सभा ने, मांगा विस्थापित ग्रामों के बेरोजगारों के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार

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2 सितंबर को कार्यालय घेराव कर करेंगे तालाबंदी

कोरबा@M4S: कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापित बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है। इन विस्थापित परिवारों से एसईसीएल ने रोजगार देने का वादा किया था, जिस पर उसने आज तक अमल नहीं किया है।
किसान सभा ने कहा कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों को काम नहीं देने पर 2 सितंबर को दीपका कार्यालय का घेराव और तालाबंदी और 9 सितंबर को दीपका खदान बंदी की चेतावनी पत्र दीपका महाप्रबंधक को सौंपा है।


किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,प्रशांत झा,जय कौशिक ने कहा कि प्राथमिकता के साथ एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध कराया जाए। उनका आरोप है कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। किसान सभा का कहना है कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है, जिसके कारण उन्हें खदान बंदी आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
दीपका खदान क्षेत्र में अमगांव और आस पास के प्रभावित गांव के बेरोजगारों को आऊट सोर्सिंग कंपनियों में ड्राइवर, ऑपरेटर, हेल्पर जैसे पदों में कार्य पे नहीं रखा जा रहा है। माईन्स में कार्य की जरूरत होने पर प्रभावित गांव के बेरोजगारों को नजरअंदाज कर अन्य जिलों से भर्ती किया जा रहा है। जिससे प्रभावित गांव के बेरोजगारों में एसईसीएल के प्रति काफी आक्रोश है।
अमगांव के प्रभावित बेरोजगार बसंत राम चौहान ने कहा कि आऊट सोर्सिंग कंपनी में 100% कार्य विस्थापित गांव के बेरोजगारों को उपलब्ध कराया जाये। रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल प्रबंधन की है। प्रबंधन द्वारा गांव के बेरोजगारों की समस्या के प्रति गंभीरता से पहल नहीं करने पर उग्र आंदोलन किया जायेगा। ज्ञापन सौंपने में भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, दीना नाथ,मुनिराम के साथ बसंत चौहान, राम किशुन,सुरेश,पुरषोत्तम, हरिकृष्ण, विनय,गोपाल, सतीश,इंद्रपाल, लाल सिंह,छत्र पाल, भरत सिंह, राकेश,विनोद, भूपेंद्र, चंद्रभान, दिलेश,चावलेश, अनुपराम,रंजीत, लवलिश, भरत, मनोज, संजय के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित गांव के बेरोजगार थे।

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