नई दिल्ली (एजेंसी):बागियों से लड़ रही दक्षिण सूडान की सेना से जुड़े लड़ाकों को वेतन के बदले में महिलाओं से बलात्कार करने की अनुमति मिली हुई है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में दक्षिण सूडान में लड़ाके 1,300 महिलाओं से बलात्कार कर चुके हैं। ये लड़ाके लूटपाट में भी शामिल हैं।
यूएन का कहना है कि सेना का यह तरीका युद्ध अपराध के बराबर है। सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि सेना नागरिकों को निशाना बना रही है। हालांकि उसने कहा है कि वह मामले की जांच कर रही है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि सेना की तरफ से लड़ाके नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूएन के जांच दल ने बागियों के हवाले से यह रिपोर्ट बनाई है। सेना अपनी वर्दर्ी में बागियों से लड़ रही है ना कि आम लोगों से।
समझौता देता बलात्कार की अनुमति
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक इस देश में लड़ाके सेना के साथ हुए अनोखे समझौते के तहत काम करते हैं। ये समझौता है ‘जो कर सकते हो करो, जो ले जा सकते हो ले जाओ।’ इसकी आड़ में लड़ाके लूटपाट करते हैं। मवेशी चुरा ले जाते हैं। महिलाओं और लड़कियों को अगवा करते हैं। बलात्कार करते हैं। यही उनका वेतन होता है।
कम उम्र की लड़कियों को बनाया निशाना
इस रिपोर्ट में कई लोगों की आपबीती भी दी गई है। एक महिला कहती है कि उसके पति को सबके सामने मार दिया गया और फिर उसकी बेटी के साथ 10 लड़ाकों ने बलात्कार किया। एक महिला ने बताया कि उसके साथ लड़ाकों ने उसके बच्चों के सामने बलात्कार किया। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार लड़ाके कम उम्र की लड़कियों को अपना निशाना बनाते हैं। जो लड़कियां विरोध करती हैं उन्हें वहीं मार दिया जाता है।
सेना-सरकार में असमंजस
दक्षिण सूडान साल 2011 में सूडान से आजाद होकर एक अलग देश बना था, लेकिन आजादी मिलने के दो साल बाद ही देश में अस्थिरता का माहौल बनने लगा। स्थिति तब खराब हुई जब राष्ट्रपति कीर ने अपने उपराष्ट्रपति रीक माशर को पद से हटा दिया। रीक पर आरोप था कि वह तख्तापलट की कोशिश कर रहे थे। रीक ने आरोपों को खारिज कर दिया लेकिन तभी से रीक ने सरकार के खिलाफ विरोधी सेना बना ली। इस हिंसा के कारण हजारों लोग मौत से खराब जिंदगी जीने को मजबूर हैं।