सोशल मीडिया पर वायरल ‘घोस्ट चैलेंज’ मुसीबत में न डाल दे, कुछ ही दिनों में हुए हजारों वीडियो शेयर

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नई दिल्ली(एजेंसी):सोशल मीडिया पर ‘घोस्ट चैलेंज’ तेजी से वायरल हो रहा है। बड़ी संख्या में किशोर भूत की वेशभूषा में रिकॉर्ड किए गए वीडियो ट्विटर, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर साझा कर रहे हैं। हालांकि, दुनियाभर में अश्वेतों को समान अधिकार देने की मांग को लेकर जारी ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन के मद्देनजर आलोचकों ने ‘घोस्ट चैलेंज’ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।

उन्होंने कहा है कि सफेद चादर में लिपटे किशोर ‘कू क्लक्स क्लान’ की याद दिलाते हैं। ‘कू क्लक्स क्लान’ एक श्वेत दक्षिणपंथी संगठन था, जिसके लड़ाके सफेद चोगे में घूमते थे। वे अश्वेतों की हत्या और उत्पीड़न के लिए कुख्यात थे। 1800 और 1900 के दशक में उनकी दहशत चरम पर थी। अमेरिका में हैलोवीन पार्टी में सफेद पोशाक पहनने का चलन भी ‘कू क्लक्स क्लान’ से समानता के चलते ही बंद हुआ था।

सफेद चादर की मदद से भूत का भेष धर रहे किशोर
-‘#घोस्टफोटोशूट’ के तहत जारी वीडियो में किशोर भूत का भेष धरने के लिए सफेद चादर का सहारा ले रहे हैं। वे आंखों को डरावना लुक देने के लिए या तो चादर में दो छेद कर रहे हैं या फिर उस पर काला चश्मा सनग्लास लगाकर मछली पकड़ने वाला जाल ओढ़ रहे हैं। मध्य सितंबर में शुरू हुए इस चैलेंज में प्रतिभागी जैक स्टॉबर का लोकप्रिय गाना ‘ओह-क्लाहोमा’ भी गुनगुनाते दिखते हैं।

संगठित नस्लभेद का प्रतीक माना जाता है सफेद चोगा
-वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. डेविड कनिंघम कहते हैं, सफेद चोगे ‘संगठित नस्लभेद’ का प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें सभ्य समाज में हमेशा नकारा गया है। 2016 में फ्लोरिडा के एक हाईस्कूल ने फैंसी-ड्रेस प्रतियोगिता में भूत के भेष में पहुंचे तीन छात्रों को सिर्फ इसलिए निष्काषित कर दिया था क्योंकि उन्होंने सफेद चादर से बना चोगा पहन रखा था।

ट्विटर और टिकटॉक पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे यूजर
-अमेरिका पुलिस हिरासत में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड और ब्रेओना टेलर की मौत के बाद से नस्लभेद विरोधी आंदोलन की आंच में जल रहा है। ऐसे में आलोचकों का कहना है कि साल 2020 ‘घोस्ट चैलेंज’ के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके तहत जारी वीडियो पहली नजर में भूत कम और ‘कू क्लक्स क्लान’ लड़ाकों की याद ज्यादा दिलाते हैं। ऐसे वीडियो पोस्ट करने वाले यूजर नस्लभेद विरोधियों के निशाने पर आ सकते हैं।

नोट-
-नस्ली/जातीय हिंसा के इतिहास पर व्यापक चर्चा होना बेहद जरूरी है। इसके अभाव में लोग अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका समाज पर बुरा असर पड़ता है। ‘घोस्ट चैलेंज’ ऐसी ही एक गलती है। : डॉ. डेविड कनिंघम, समाजशास्त्री, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी

‘बेनाड्रिल चैलेंज’ से भी सतर्क रहें-
-अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण ने हाल ही में टिकटॉक को ‘बेनाड्रिल चैलेंज’ से जुड़े वीडियो हटाने का निर्देश दिया है। इस चैलेंज के तहत किशोर-किशोरी ‘मतिभ्रम’ यानी ‘हैलुसिनेशन’ के साइडइफेक्ट महसूस करने के लिए बेहद अधिक मात्रा में बेनाड्रिल का सेवन कर रहे हैं। अमेरिका के टेक्सास में ‘बेनाड्रिल चैलेंज’ में हिस्सा लेने वाले तीन छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। ओकलाहामा में इस चैलेंज में शामिल एक छात्रा की मौत की खबर भी सामने आई है।

सिंगल और कपल चैलेंज घातक-
-गुजरात पुलिस ने फेसबुक और इंस्टाग्राम यूजर को तेजी से वायरल हो रहे ‘कपल चैलेंज’, ‘सिंगल चैलेंज’ और ‘क्यूट डॉटर चैलेंज’ में शामिल न होने की चेतावनी जारी की है। अधिकारियों के मुताबिक ‘#’ के चिह्न के तहत पोस्ट की जाने तस्वीरें सार्वजनिक मंच पर आ जाती हैं। साइबर अपराधी व्यक्ति के निजी और पारिवारिक जीवन से जुड़ी इन तस्वीरें से छेड़छाड़ कर उनका उत्पीड़न कर सकते हैं। अतीत में तस्वीरों में छेड़खानी के बाद ब्लैकमेलिंग के कई मामले सामने आ चुके हैं।

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