सुशांत सिंह राजपूत केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बिहार पुलिस की जांच में मुंबई पुलिस की अड़ंगेबाजी ने पैदा किया संदेह

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नई दिल्ली(एजेंसी):सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ‘अस्वाभाविक मृत्यु’ से संबंधित मामले के रिकॉर्ड से पहली नजर में मुंबई पुलिस द्वारा ‘कुछ गलत’ किए जाने का संकेत नहीं मिलता है लेकिन बिहार पुलिस के काम में अड़ंगेबाजी से वह बच सकती थी, क्योंकि इसने ही इस जांच की शुचिता पर संदेह खड़े किए।

शीर्ष अदालत ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और अन्य के खिलाफ राजपूत की हत्या के सिलसिले में पटना में दर्ज प्राथमिकी की सीबीआई द्वारा की जा रही जांच को मंजूरी देते हुए कहा कि मुंबई पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है और वह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 174 के तहत जांच कर रही है, जो अस्वाभाविक मृत्यु के कारणों का पता लगाने तक सीमित है।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने अपने फैसले में कहा कि रिया चक्रवर्ती के वकील ने मुंबई पुलिस में भरोसा व्यक्त किया है जबकि बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता का दावा है कि वह असली तथ्यों को दबा रही है और पेशेवर तरीके से जांच नहीं कर रही है। कोर्ट ने कहा कि राजपूत के पिता और बिहार सरकार ने आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस राजनीतिक दबाव में असली दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है जबकि महाराष्ट्र सरकार ने इन आरोपों का जोरदार तरीके से प्रतिवाद किया है और उसका कहना है कि पटना पुलिस को इस अपराध की जांच का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह मुंबई में हुआ हैं।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस बगैर प्राथमिकी दर्ज किए ही धारा 174 के दायरे को खींचने का प्रयास कर रही है और इसीलिए ऐसा लगता है कि मुंबई पुलिस एक संज्ञेय अपराध की जांच नहीं कर रही है। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि मुंबई पुलिस समानांतर जांच कर रही है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मुंबई में भावी स्थिति की अनिश्चितता को देखते हुए ही राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना में दायर शिकायत में चक्रवर्ती के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने यह मामला अपने हाथ में ले लिया है। याचिकाकर्ता को सीबीआई जांच में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह बिहार सरकार और पटना पुलिस द्वारा उठाये गए कदमों को लेकर सशंकित है। कोर्ट ने कहा कि चक्रवर्ती की याचिका लंबित होने के दौरान ही पटना में दर्ज प्राथमिकी बिहार सरकार की सहमति से सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई है।

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