पाली@M4S:छत्तीसगढ़ पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल पाली के शिक्षाविद प्राचार्य एवं कैरियर काउंसलर डॉ गजेंद्र तिवारी का कहना है कि राज्य या राष्ट्रीय शैक्षणिक संगोष्ठी सदियों से चली आ रही शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता जरूरी था क्योंकि शिक्षा को रोजगारोन्मूखी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जा सके जिससे कि मानव संसाधन का उचित उपयोग हो सके शिक्षा में नवाचार की प्रवृत्ति को अपनाने से नए आईडियाज समाज के सामने आएगा जिससे कि वर्तमान शिक्षा की दिशा और दशा दोनों में बदलाव संभव होगा । छात्रों में अंकों के प्रति उन्मुख होने की वजह कौशल जनित शिक्षा जिससे व्यवसायिक शिक्षा को महत्ता दी जानी चाहिए वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नवाचारी शिक्षा के समन्वय से वैश्विक स्तर पर अनुसंधान में हमारे भी प्रतिभाएं अपनी प्रतिभा को निखारने में सफल हो सकते हैं।
21वी सदी तकनीकी का युग है जिसमें कंप्यूटर को बहुत ही उपयोगी बना दिया है आज वैश्विक मानव समाज समान सोच से गुजर रहा है जिसमें सूचनाओं का आदान प्रदान की प्रबलता से मानव समाज की गतिविधियां सुनिश्चित हो रही हैं ऐसे चुनौतीपूर्ण दौर में छात्रों के लिए उचित समय पर काउंसलिंग की जरूरत होती है नहीं तो प्रतिभा को रुचि पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में अवसर नहीं मिल पाता और प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं क्योंकि आज के दौर में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा बहुत महंगी है हमारे समावेशी समाज के लिए उचित समय में उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है सही समय पर छात्र या पालक कैरियर काऊंसलर के पास पहुंचे यह भी एक चुनौती है इसके लिए शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए उचित अवसर व संस्थान बदले हुए परिस्थितियों में विद्यार्थियों के लिए एक चुनौती बन जाती है शिक्षक समाज के लिए सबसे आदर्श व्यक्ति होता है उसकी बात हमेशा से समाज में सर्वोपरि स्थान रखता है।
हमारे देश की जटिल सामाजिक संरचना और विविधता मे समन्वय बिठाकर मानव समाज को उपयोगी बनाया जा सकता है।
वर्तमान वैश्विक महामारी कोविड़ _19 के इस दौर में बदहाल शिक्षा की स्थिति व दशा यह साबित करती है कि हम ऐसे आपदा कालीन चुनौतियों के लिए तैयार नहीं थे हमारे पास कोई कारगर योजनाएं पूर्व से नहीं थी जिसे खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ा स्कूल कॉलेज सभी वर्चुअल क्लास के नहीं तो रहे पर इसका समुचित प्रबंध नहीं रहा तकनीकी का अभाव दूरदराज के क्षेत्रों को शिक्षा से वंचित रखा हुआ है यह हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है इसके लिए हमें स्वयं सेवकों ,या समाज मे ऐसे व्यक्ति जो शिक्षा के क्षेत्र मे रुचि रखते है ,जाए साथ मिलकर शासकीय व अशासकीय शिक्षकों की भूमिका को भी बेहतर ढंग से सुनिश्चित कर इसका सामना किया जा सकता है ।
शिक्षा नीति पर मंथन कितना कारगर _ डॉक्टर गजेंद्र तिवारी
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