विश्व हेपेटाइटिस दिवस – 28 जुलाई को

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कोरबा@M4S:मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. बी.बी.बोडे एवं जिला नोडल अधिकारी डाॅ. कुमार पुष्पेश ने जानकारी देते हुये बताया है कि संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें छ.ग. के निर्देशानुसार विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर जिला एवं खण्ड स्तर तथा शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन तथा संपादन किया जा रहा है। 27 जुलाई को खण्ड चिकित्सा अधिकारियों के कुशल मार्गदर्शन में उनके स्थानीय क्षेत्र के स्कूल में रैली व क्वीज कांटेस्ट का आयोजन, समस्त सेक्टर बैठकों में हेपेटाइटिस के लक्षण, बचाव एवं नियंत्रण के संबंध में परिचर्चा, नवजात शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण, इंजेक्शन सुरक्षा तथा हेपेटाइटिस बी से प्रतिरक्षण हेतु हाईरिस्क मेडिकल स्टाफ का टीकाकरण किया गया। 28 जुलाई को मितानिनों के माध्यम से रैली व जनजागरूकता का आयोजन किया जायेगा। 29 जुलाई को मेडिसीन विशेषज्ञ एवं शिशु रोग विशेषज्ञ के माध्यम से समस्त स्टाफ की उपस्थिति में जिला चिकित्सालय कोरबा में संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा तथा 29 जुलाई तक हाट बाजार (चलित अस्पताल) में हेपेटाइटिस के लक्षण, बचाव एवं नियंत्रण के संबंध में जनजागरूकता भी किया जायेगा।
हेपेटाइटिस को जाने
हेपेटाइटिस ए एवं ई जलजनित होते हैं तथा हेपेटाइटिस बी,सी एवं डी रक्तजनित होते हैं। मनुष्यों में इन बीमारियों के संक्रमण होने की स्थिति में सामान्य लक्षण जैसे:- बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, भूख न लगना, पेट के दाहिने तरफ उपरी भाग में दर्द, त्वचा तथा आंखों के सफेद भाग में पीलापन इत्यादि परिलक्षित होते हैं। हेपेटाइटिस ए एवं ई का संक्रमण दूषित जल व भोजन के सेवन से होता है तथा हेपेटाइटिस बी,सी एवं डी का संक्रमण प्रभावित व्यक्ति के रक्त, सीरम या शरीर के द्रव्यों के संपर्क में आने से होता है। हेपेटाइटिस ए से मुख्यतः बच्चे, हेपेटाइटिस ई से बच्चे एवं युवा तथा हेपेटाइटिस बी,सी एवं डी से वयस्क प्रभावित होते हैं। हेपेटाइटिस ए एवं ई का प्रकोप गर्मी एवं वर्षा ऋतु में अधिक तथा हेपेटाइटिस बी,सी एवं डी का प्रकोप वर्ष भर समान रूप से रहता है। हेपेटाइटिस ए एवं ई से बचाव एवं नियंत्रण हेतु व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ शुद्ध पेयजल का सेवन, अपने आसपास स्वच्छता बनाये रखना, ताजा भोजन का सेवन करना, शौच हेतु शौचालय का इस्तेमाल करना, खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से हाथ धोना आवश्यक है। इसी प्रकार से हेपेटाइटिस बी,सी एवं डी से बचाव एवं नियंत्रण हेतु नवजात शिशुओं का टीकाकरण, सुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन, सुरक्षित ढंग से इंजेक्शन लगाना तथा सुरक्षित यौन संबंध इत्यादि है।

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