कृष्णा एण्ड कंपनी व आरटीओ की मिलीभगत की शिकायत
कोरबा@M4S: साफ्टवेयर में तकनीकी बाधा का लाभ उठाकर एक मोटर कंपनी के डीलर द्वारा आरटीओ एजेंट एवं जिला परिवहन अधिकारी की मिली भगत से शासन को लाखों रूपये का चूना लगाने व राजस्व की राशि गबन का आरोप लगाया गया है। इसकी शिकायत कर संबंधितों के विरूद्ध जांच की मांग गई है।
पाली रोड दीपका निवासी राम बिहारी सिंह ने परिवहन आयुक्त, रायपुर को शिकायत प्रेषित की है कि जिला परिवहन कार्यालय, कोरबा में विगत कुछ दिनों से नये साफ्टवेयर लांच होने के कारण पंजीयन कार्य में कुछ बाधा उत्पन्न हो रही है । इसका लाभ उठाते हुए कृष्णा एण्ड कम्पनी टाटा मोटर के डीलर द्वारा अपने सभी व्यवसायिक वाहनों का सेल लेटर बिल एवं फार्म 22 बिना पंजीयन एवं बिना अस्थाई पंजीयन के जारी कर दिया गया जिसका लाभ वाहन स्वामियों द्वारा उठाते हुए स्थानीय आरटीओ एजेंट के साथ मिलकर लगभग 100 वाहनों का पंजीयन आरटीओ धीमापुर नागालैंड में 27.09.2018 को करवा कर उसी दिन सभी वाहनों का एनओसी जिला परिवहन कार्यालय कोरबा ले आया गया। 29.09.2018 को उक्त सभी वाहनों का आरटीओ एजेंट द्वारा जिला परिवहन अधिकारी गौरव साहू एवं कर्मचारी सदानंद जांगड़े के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ का पंजीयन चिन्ह प्रदान कर दिया गया जबकि 27.9.2018 को आरटीओ धीमापुर नागालैंड द्वारा उक्त वाहनों का भौतिक सत्यापन किया गया एवं उक्त सभी वाहनों का 29.09.2018 को जिला परिवहन कार्यालय कोरबा में जिला परिवहन अधिकारी द्वारा भौतिक सत्यापन किया गया। आरोप लगाया है कि 27.9.2018 को आरटीओ धीमापुर नागालैंड द्वारा एवं 29.09.2018 को जिला परिवहन अधिकारी गौरव साहू द्वारा उक्त वाहनों का भौतिक सत्यापन करना फर्जीवाड़ा की तरफ इशारा करता है। कृष्णा एण्ड कंपनी टाटा मोटर द्वारा उक्त वाहनों का ट्रेड टैक्स एवं ट्रेड फीस भी जमा नहीं किया गया जिससे छत्तीसगढ़ शासन को लाखों रूपये का चूना एजेंसी एवं आरटीओ एजेंट द्वारा परिवहन अधिकारी गौरव साहू एवं कर्मचारी सदानंद जांगड़े द्वारा लगाया गया है। शिकायतकर्ता ने शिकायत की प्रति कोरबा जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षक को भी प्रेषित कर सभी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की मांग की है।
कोई गड़बड़ी व नुकसान नहीं हुआ :गौरव साहू,जिला परिवहन अधिकारी
इस शिकायत के संदर्भ में जिला परिवहन अधिकारी गौरव साहू से जानकारी ली गई तो उनका कहना था कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। साफ्टवेयर अपडेट करने का काम चलने की वजह से गाडिय़ोंं का रजिस्ट्रेशन नागालैंड में वाहन कंपनी के द्वारा कराया गया। बाद में सभी वाहनों का रजिस्टे्रशन कोरबा में किया गया ओैर किसी तरह से राजस्व की हानि नहीं हुई है बल्कि जो राजस्व प्राप्त होना था, वह प्राप्त हुआ है।