रोजगार की मांग: सीएमडी का मुखौटा पहनकर बेरोजगारों ने जीएम कुसमुंडा से मांगा रोजगार

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किसान सभा ने कबीर चौक से रैली निकालकर कुसमुंडा एसईसीएल मुख्यालय के सामने किया अर्धनग्न प्रदर्शन,
7 दिनों में रोजगार देने की पहल नहीं होने पर महाप्रबंधक कार्यालय के अंदर घुसकर करेंगे प्रदर्शन,
भूविस्थापित रोजगार एकता संघ ने आंदोलन का किया समर्थन

कोरबा@M4S:कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापितों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है। प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग को लेकर बेरोजगारों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में सीएमडी का मुखौटा चहरे पर लगाकर कबीर चौक से रैली निकालकर कुसमुंडा एसईसीएल मुख्यालय के सामने अर्धनग्न होकर कार्यालय का घेराव प्रदर्शन करते हुए कुसमुंडा महाप्रबंधक से रोजगार की मांग की और किसान सभा ने कहा कि सात दिनों में आउट सोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने का काम शुरू नहीं होगा तो कुसमुंडा कार्यालय के अंदर घुसकर आंदोलन किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान एक घंटे तक मुख्य द्वार बंद रहा जिससे कार्यालय में आवाजाही पूर्ण रूप से बंद हो गया था किसान सभा के प्रदर्शन को समर्थन करते हुए रोजगार एकता संघ के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए। दीपका तहसीलदार वीरेन्द्र श्रीवास्तव और एसईसीएल के अधिकारियों द्वारा मांगो पर पहल करने के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव प्रशांत झा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि एसईसीएल के असली मालिक सीएमडी या जीएम नहीं भूविस्थापित किसान है और वह जमीन जाने के बाद रोजगार के लिए भटक रहे है जिसका एसईसीएल के अधिकारियों के साथ सरकार में बैठे विधायक और मंत्री भी जिम्मेदार है। विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार उपलब्ध कराने की मांग लगातार की जा रही है लेकिन प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी आपस में साठगांठ कर रोजगार बेचने का काम कर रही है।विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, कुसमुंडा इकाई के अध्यक्ष जय कौशिक ने कहा कि एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है अब केवल रोजगार चाहिए और प्रभावितों को रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा। आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित गांव के बेरोजगारों को उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है किसान सभा नेताओं ने आरोप भी लगाया कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों द्वारा इन कंपनियों में रोजगार के लिए जाते हैं तो उन्हें घुमाया जाता है और अंत मे कहा जाता है यहाँ कोई रोजगार नहीं है,और उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

किसान सभा ने विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खनन कार्यों में सक्षम बनाने हेतु प्रशिक्षण कैम्प लगाने की मांग करते हुए, सुपरवाइजर, हेल्पर, ड्राइवर जैसे कार्यों में 100% कार्य प्रभावितों को ही उपलब्ध कराने की मांग की है। साथ ही किसान सभा ने आउट सोर्सिंग कंपनियों में कार्य कर रहे सभी कर्मचारियों के नाम गांव सहित सार्वजनिक करने की मांग की है।

रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव सचिव दामोदर श्याम,सुमेन्द्र सिंह ने कहा की जिनकी जमीन एसईसीएल में गई उन्हें स्थाई रोजगार की मांग को लेकर 311 दिन से आंदोलन जारी है और ग्रामीण किसान खेती किसानी पर आश्रित थे लेकिन एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद गांव से अधिकांश विस्थापित परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसईसीएल पर आश्रित है आश्रित परिवार के बेरोजगार युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है आस पास एसईसीएल को छोड़कर कहीं रोजगार की व्यवस्था नहीं है कंपनी के अधीनस्थ कार्यरत आउट सोर्सिंग एवं वैकल्पिक कार्यों में भूविस्थापित युवाओं को प्राथमिकता नहीं दिया जा रहा है। अगर भू विस्थापित परिवारों के रोजगार की समस्या का निराकरण जल्द नहीं किया गया तो कोयला उत्पादन को पुनः बाधित किया जाएगा।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से रघु,होरीलाल, हरिशंकर, अनिरुद्ध, विजय, हेमदास,गणेश बिंझवार,डुमन,मुनीराम, विनोद,आशीष यादव, सुनील दास, बसंतराम चौहान, गणपत बिंझवार, पुरषोत्तम लाल यादव, प्रेम सागर के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित गांव के बेरोजगार उपस्थित थे।

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