कोरबा@M4S: कोविड काल को छोड़ दें तो रेलवे से कोयले की ढुलाई हर साल बढ़ रही है। यह प्रदूषण रहित ट्रांसपोटिंग की दिशा में अच्छा संकेत है। कोल ट्रांसपोटिंग पर कोयला मंत्री ने सदन में कई अहम जानकारी दी है। कोलियरी से 20 किलोमीटर दूर स्थित पावर प्लांटों को कन्वेयर बेल्ट से कोयला ट्रांसपोटिंग पर जोर दिया जा रहा है
ताकि प्रदूषण नहीं हो। वहीं रेलवे से कोयले की ढुलाई में वैगन को तिरपाल से ढंकने के लिए एक घंटे का अतिरिक्त लोडिंग टाइम देने की स्वीकृति काफी पहले दी है। कोयला कंपनियां फ्रेट ऑन बोर्ड (एफओबी) के आधार पर कोयला भेजती हैं और उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के अनुसार रेल, सडक़ और समुद्र के रास्ते जैसे विभिन्न तरीकों से कोयला उठाने की स्वतंत्रता है। यह निर्णय लिया गया कि पिटहेड से 20 किमी के भीतर स्थित बिजली संयंत्र एलिवेटेड क्लोज्ड कन्वेयर बेल्ट का निर्माण करेंगे और पिटहेड से 40 किमी के भीतर स्थित बिजली संयंत्र एमजीआर का निर्माण करेंगे।
बाक्स
साल पिछले पांच वर्षों में रेल से कोयले की ढुलाई
2017-18 555.20
2018-19 605.84
2019-20 586.87
2020-21 541.82
2021-22 652.80
(कोयले की मात्रा मिलियन टन में)