रेडी टू ईट में अफरा तफरी मामले में एफआईआर दर्ज

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कोरबा@M4S; आंगनबाड़ी केंद्रों में हितग्राहियों को वितरण किए जाने वाले रेडी-टू-ईट फूड दलिया की अफरा-तफरी करने वाले 5 लोगों के विरुद्ध पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है। वही आरोपियों में एक महिला भी शामिल है जिसने दलिया की बोरियां खरीदी थी।


कोरबा जिले के शहरी क्षेत्र में यह मामला 5 अक्टूबर को पकड़ में आया था। जिसकी जांच में खुलासा हुआ है कि ग्रामीण अंचल के आंगनबाड़ी केंद्रों में बंटने वाला रेडी-टू-ईट फूड कुदमुरा सेक्टर में पहुंचाने की बजाय खरमोरा के गोकुल नगर में बेच दिया गया। वही 5 अक्टूबर को रामपुर चौकी प्रभारी एसआई कृष्णा साहू के नेतृत्व में पुलिस ने दबिश देकर इसे पकड़ा और 26 बोरियां रखे हुए कमरा को सील कर दिया। मौके पर मिले पिकअप क्रमांक सीजी-12-बीई-3674 में लदा 132 बोरी रेडी टू ईट को जब्त कर पुलिस अभिरक्षा में चौकी लाया गया। वही पुलिस द्वारा प्रकरण में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग एमडी नायक से जांच प्रतिवेदन मांगा गया। डीपीओ श्री नायक के जांच प्रतिवेदन के आधार पर परिवहनकर्ता लालाराम राठिया, गोविंद साव, आकाश झारिया, द्वारिका प्रसाद तथा दलिया खरीदने वाली सरस्वती देवी के विरुद्ध अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम 3,7 तथा 34 भादवि के तहत जुर्म दर्ज कर लिया गया है। वही विभागीय जांच के दौरान कुदमुरा सेक्टर की सुपरवाईजर श्रीमती हरा राठौर ने बताया कि कुदमुरा सेक्टर में सितंबर 2022 के लिए 2625 पैकेट (170 बोरी लगभग) दलिया की मांग थी, किन्तु 12 अक्टूबर तक प्रदाय नहीं किया गया। पुलिस द्वारा जप्त दलिया कुल 170 बोरी है, जिसे कुदमुरा सेक्टर के वितरण हेतु बचे 170 बोरी रेडी टू ईट फूड को जिल्गा गोदाम से 5 अक्टूबर को पिकअप में लोड किया किन्तु कुदमुरा सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्रों में न पहुंचाकर लालाराम राठिया व गोविंद साव के द्वारा गोकुल नगर के खटाल में सरस्वती देवी के घर 26 बोरी (18 किलो प्रति बोरी कुल 468 किलो) को बेच दिया गया। सरस्वती ने बताया कि 250 रुपए प्रति बोरी की दर से 26 बोरी दलिया उसने खरीदा था। यही नहीं लेमरू सेक्टर की पर्यवेक्षक श्रीमती कौशल्या प्रधान ने बताया कि सितंबर माह के लिए सेक्टर में 2467 पैकेट कम प्रदाय किया गया था। इन मामलों से स्पष्ट हुआ है कि जिले के ग्रामीण और वनांचल तथा दूरस्थ क्षेत्रों में कुपोषण से जंग लडऩे के लिए प्रदाय किए जाने वाले रेडी-टू-ईट का वितरण किस तरह से हो रहा है। स्थानीय परियोजना अधिकारी, सेक्टर सुपरवाइजर इससे अनजान हों, यह भी संभव नहीं।

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