कोरबा@M4S: केन्द्र सरकार ने अपने सात वर्षीय कार्यकाल के दौरान केवल मजदूरों और किसानों के हितों पर हमला ही किया है। निजीकरण कर देश की संपत्ति को बेचने का काम केन्द्र सरकार कर रही है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईप लाइन योजना के नाम पर देश की संपत्ति को बेचने का नया तरीका खोजा गया है। जिसके विरोध में किसान आंदोलन 27 सितंबर को प्रस्तावित है। किसानों के इस आंदोलन को केन्द्रीय संयुक्त श्रम संगठन भी अपना पूर्ण समर्थन दे रही है। उक्त बातें प्रेस क्लब तिलक भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अखिल भारतीय टे्रेड यूनियन कांग्रेस एटक छत्तीसगढ़ राज्य कमेटी के सचिव हरिनाथ सिंह ने कही। श्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईप लाइन परियोजना एवं स्पेस रिसर्च आर्गोनाजेशन के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने एवं कृषि पैदावार का समर्थन मूल्य का कानून बनाने की मंाग को लेकर देश भर के किसान पिछले 10 माह से आंदोलन कर रहे है। इस आंदोलन में 600 से अधिक किसान शहीद हो चुके है। इसके बाद भी केन्द्र सरकार नए कानून को थोपने पर आमदा है। जिसके विरोध में किसान आंदोलन के तहत 27 सिंतबर को भारत बंद का एलान किया गया है। मजदूर विरोधी लेबर कोड एवं वेतन संहिता रद्द करने सहित निजीकरण के खिलाफ भारत बंद का समर्थन संयुक्त श्रम संगठन भी करेगी। श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार जनविरोधी एवं देश विरोध में कार्य कर रही है। देश की संपत्ति को गिने चुने कुछ अपने चहेते बड़े औद्योगिक घरानों तथा बहु राष्ट्रीय निगमों के हाथों में बेचने की तैयारी है। जिससे सरकार छ: लाख करोड़ रूपये इक_ा करने की बात कह रही है। सात वर्षीय कार्यकाल में केन्द्र सरकार ने एक भी उद्योग नहीं लगाए है। सब पूर्ववर्तीय सरकारों के द्वारा बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने का काम ही सरकार ने किया है। नोट बंदी जीएसटी के कारण देश की अर्थव्यवस्था रसातल में गिरी हुई है। महंगाई आसमान छू रही है। पेट्रोल 100 रूपए के पास डीजल 100 रूपए के करीब, व सरसों तेल 210 रूपए किलो रसोई गैस 1000 रूपए तक पहुंच चुकी है। बेरोजगारी दर 8.32 प्रतिशत सामान्य से 4.32 प्रतिशत अधिक है। धार्मिक एवं संप्रदायिक जहर फैलाने का काम केन्द्र सरकार कर रही है। प्रेस वार्ता में हरिनाथ सिंह के अलावा एमएल रजक व अन्य उपस्थित थे।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण के नाम पर देश को बेचने की योजना:हरिनाथ सिंह 27 को आयोजित भारत बंद का संयुक्त श्रम संगठन का समर्थन
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