न्यूज़ डेस्क@M4S: अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव खत्म ही हुई है कि बृह्नमुंबई महानगरपालिका यानी BMC चुनाव का मुद्दा गूंजने लगा है। हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि बीएमसी में अगले मेयर पार्टी से ही होगा। खास बात ही करीब तीन दशकों से BMC पर शिवसेना का नियंत्रण है।
अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव खत्म ही हुई है कि बृह्नमुंबई महानगरपालिका यानी BMC चुनाव का मुद्दा गूंजने लगा है। हालांकि, अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि बीएमसी में अगले मेयर पार्टी से ही होगा। खास बात ही करीब तीन दशकों से BMC पर शिवसेना का नियंत्रण है।
शेलार ने उद्धव को लेकर कहा, ‘जिसके वोट चाहे ले लीजिए, न मराठी और न मुस्लिम आपके लिए मतदान करेगा। लेकिन हमारा सवाल है कि ऐसा समय क्यों आया कि आपको जाति और धार्मिक बातों पर वोट मांगना पड़ रहा है। आपका (शिवसेना) 25 सालों से ज्यादा समय तक BMC पर कब्जा रहा, है न? तो आप क्यों अपने किए हुए काम के आधार पर वोट नहीं मांग रहे हैं।’
जून में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद तब की शिवसेना में फूट पड़ गई थी। इसके बाद राज्य से महाविकास अघाड़ी की सरकार भी गिर गई। ऐसे में भाजपा को भरोसा है कि शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबांची शिवसेना की मदद बीएमसी चुनाव में फायदेमंद हो सकती है। साल 2017 में शिवसेना ने 227 में से 84 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि, भाजपा 82 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी।
M2 का फॉर्मूला
महाराष्ट्र में शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में मराठी मुस्लिम सेवा संघ और बिल्किस बानो मामले का जिक्र भी चर्चा में है। शेलार का कहना है, ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब पार्टी मराठी और मुस्लिम वोट जुटाना चाहती है, लेकिन उन्होंने चतुराई से उन्हें मराठी मुस्लिम कह दिया है।’ आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में मुस्लिम आबादी 21 प्रतिशत है। जबकि, मराठी भाषी 30 फीसदी हैं।
उद्धव समूह का इनकार
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की प्रवक्ता डॉक्टर मनीषा कयांदे का कहना है कि पार्टी कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नहीं रही। उन्होंने कहा, ‘अगर आप बालासाहेब ठाकरे के पुराने भाषण देखेंगे, तो पाएंगे कि वह उनसे (मुसलमानों) नफरत नहीं करते थे। अगर आरएसएस प्रमुख मस्जिद जा सकते हैं और मुसलमानों को लुभा सकते हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते?’
हालांकि, वह भी शिवसेना में फूट के बाद बीएमसी चुनाव को कठिन काम बताती हैं। इधर, सितंबर में मुंबई दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लक्ष्य तय कर चुके हैं। उन्होंने बीएमसी में भाजपा के लिए 150 सीटों का टारगेट बनाया है।