नई दिल्ली(एजेंसी):आज मौका है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का और हम रूबरू हैं कुछ उन महिलाओं से जिन्होंने ससुराल जाने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि दूल्हा शराबी था, घर में शौचालय नहीं था, ससुराल में हैंडपंप नहीं था, दूल्हा गुटखा खाता था और शादी के वक्त दहेजलोभियों को लाखों चाहिए थे।
1- दहेज मांगा, बारात लौटाई
दिल्ली की गोकुलपुरी निवासी अंकिता ने पिछले साल नवंबर में दहेजलोभी ससुराल वालों से शादी के ऐन वक्त पर इंकार कर दिया और बारात को वापस लौटा दिया। अंकिता ने दहेज में पांच लाख रुपए और कार मांगने पर ससुराल पक्ष की पुलिस में शिकायत भी की। इस पर कार्रवाई भी हुई। हालांकि बाद में अंकिता के कहने पर ससुराल पक्ष ने अंकिता के माता-पिता के पैर पकड़कर माफी मांगी तो मुकदमा वापस ले लिया गया। अंकिता को दिल्ली महिला आयोग मंगलवार को सम्मानित करेगा।
अंकिता ने कहा कि शुरुआत में लड़कियों को समाज विरोधी आवाज उठाने पर दबाया जाता है, लेकिन एक बार अगर वह अपनी आवाज बुलंद कर लें तो उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
2- शराबी दुल्हे संग शादी से इनकार
जौनपुर के सिंगरामऊ क्षेत्र के सरायचंदी गांव में 14 मई, 2015 को रामनयन यादव के घर उमीशा की शादी थी। महराजगंज क्षेत्र के बजहां गांव से दयाराम यादव के बेटे की बारात आई। सब ठीक चलता रहा, दूल्हे के मुंह से शराब की गंध आने से उमीशा भड़क गई। वह खड़ी हो गईं और चीखते हुए बोलीं-‘जब शादी के वक्त दूल्हे ने शराब पी रखी है तो आगे क्या करेगा..मैं ऐसे लड़के से शादी नहीं करूंगी।’ उमीशा के विरोध के कारण शराबी दूल्हे को बैरंग लौटना पड़ा।
उमीशा ने कहा कि समाज की बुराइयां देख गुस्सा आता है। होने वाले पति की असभ्यता और भविष्य की चिंता ने मेरे अंदर हिम्मत पैदा कर दी। मैं अपने निर्णय पर खुश हूं। किसी और लड़की के साथ ऐसा अन्याय हुआ तो मैं विरोध करूंगी।
3- शौचालय नहीं तो मायके लौट गई
पुर्णिया के रूपौली थाना अन्तर्गत मोहनपुर गांव में रहने वाली खुशबू की शादी दो साल पहले मधेपुरा के टुम्मा टोला स्थित विकास से हुई थी। ससुराल पहुंचने पर पता चला कि घर में शौचालय नहीं है। खुशबू ने पति से तुरंत शौचालय बनवाने को कहा। मगर यह संभव नहीं हो सका। नई बहू ने किसी तरह रात काटी और दूसरे ही दिन ससुराल से मायके लौट गई। बाद में आखिर खुशबू के ससुराल वालों को शौचालय बनवाना पड़ा। इसके बाद वह अपने पति के साथ वापस ससुराल आई।
खुशबू कहती हैंघर में शौचालय का न होना आपको पिछड़ेपन का अहसास दिलाता रहता है। खुले में शौचालय जाना महिलाओं के लिए मुश्किल है, वह भी तब जबकि केंद्र सरकार इसके लिए योजना चला रही है।
किसी ने बारात लौटाई तो किसी ने दूल्हे को ना कहा
सिर्फ अंकिता, उमीशा और खुशबू ही ऐसी बेटियां नहीं हैं जिन्होंने अपने बेहतर भविष्य के लिए ससुराल जाने से इनकार कर दिया। देवरिया की निक्की, गुमला की बिरसमुनी, मुजफ्फरपुर की सांत्वना के रूप में ऐसी तमाम मिसाल हमारे सामने हैं। इन्होंने न केवल अपनी शर्तो पर जीने का जज्बा दिखाया। बल्कि अपनी जैसी कई महिलाओं का जीवन भी संवार रही हैं।
उत्तर प्रदेश
4- सिक्के न गिन पाने वाले दूल्हे को ना कहा
पिछले साल 9 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की रहने वाली खुशबू की सहेलियों ने दूल्हे की अनपढ़ होने की जानकारी दी। इस पर खुशबू ने दूल्हे को बुलाया। जब सेहरा बांधे दूल्हा वहां पहुंचा तो खुशबू ने 72 सिक्कों की गिनती करने के लिए कहा। पर दूल्हा अटक गया। इसके बाद खुशबू ने ऐलान कर दिया कि वह अनपढ़ दूल्हे से शादी नहीं करेगी। खुशबू के इस फैसले की पूरे जिले में तारीफ की गई। लोगों ने उसके साहस को सराहा। कुछ दिनों बाद ही औरैया के केजरी दिबियापुर गांव के 21 वर्षीय युवक अमित ने खुशबू का हाथ थामा। अमित हाईस्कूल पास है और खेती किसानी करता है। गांव के लोगों ने भी अमित को खुशबू के लायक बताया। जिसके बाद दोनों की शादी हो गई।
5- गुटका खाने वाला दूल्हा नहीं चाहिए
देवरिया जिगुटका खाने वाला दूल्हा नहीं चाहिएले के भटनी में जलपामाता मंदिर पर चल रहे विवाह समारोह में दुल्हन निक्की तिवारी ने अचानक शादी से इनकार का ऐलान कर लोगों को चौंका दिया। कारण पूछने पर उसने बताया कि दूल्हे ने मुंह में गुटखा है। घर वालों ने शादी के लिए दबाव बनाया तो वह विवाह मंडप से उठ कर एक सहेली के घर चली गई। सूचना पर पहुंची पुलिस भी निक्की के पक्ष में खड़ी हो गई। अन्तत: गुटखा खाने वाले दूल्हे को बैरंग लौटना पड़ा।
बात सिर्फ गुटखा खाने की नहीं थी। जो व्यक्ति शादी के मंडप में गुटखा खाकर आया था वह आगे कुछ भी कर सकता है। इसीलिए मैंने इनकार किया। जिस व्यक्ति में इतना भी संस्कार नहीं कि समाज में कैसे रहा जाता है, भला उसके साथ पूरी जिंदगी कैसे गुजार जा सकती है। -निक्की तिवारी
बिहार
6- पांच हजार महिलाओं का जीवन संवार दिया
पिछले 17 साल में लगभग पांच हजार महिलाओं का जीवन संवार चुकी मुजफ्फरपुर की सांत्वना ने जब घर वालों को शादी नहीं करने का निर्णय सुनाया तो महीनों तक सबने बात नहीं की। सामाजिक कार्यो से जुड़ी सांत्वना के मां-बाप आज गर्व से कहते हैं कि शादी करती तो एक बेटी का शायद जीवन संवरता मगर आज सैकड़ों महिलाओं का वह जीवन संवार रही है। सांत्वना महिलाओं को राज मिस्त्री की ट्रेनिंग देने, बच्चियों के लिए सैनिटरी निर्माण और स्लम एरिया की महिलाओं के लिए शिक्षा, सड़क, सफाई जैसी सुविधाओं को जुटाने के लिए काम करती हैं।
छत्तीसगढ़
7- पानी नहीं तो शादी नहीं
ससुराल में हैंडपंप न होने पर छत्तीसगढ़ के रामचंद्रपुर निवासी मुस्तफा अंसारी की बेटी संजीदा खातून ने नगर ऊंटारी के कधवन गांव की बहू बनने से इनकार कर दिया। संजीदा की शादी गांव के चिरैयाटांड़ टोले के निवासी बेयास अंसारी के पुत्र सोहेल अंसारी से तय हुई थी। हैंडपंप मुद्दे पर पंचायत कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया। जानकारी होने पर मुखिया सत्यवती देवी ने आश्वस्त किया कि पंचायत के फंड से ही वहां चापाकल लगवाया जाएगा। इसके बाद वह शादी को राजी हुई।
झारखंड
8- पहले पढ़ाई, फिर विदाई
पिछले साल अप्रैल में गुमला जिले में स्कूली छात्र बिरसमुनी कुमारी पर माता-पिता शादी के लिए दबाव डाल रहे थे। इसको लेकर उसने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। वह अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी। प्रशासन ने उसकी मदद की। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक कार्यक्रम में उसे एक लाख रुपये देकर सम्मानित किया। बिरसमुनी के संघर्ष से प्रेरित होकर ही राज्य सरकार ने ‘पहले पढ़ाई फिर विदाई’ योजना शुरू की। इसके तहत सरकार लड़कियों के बैंक खाते में हर साल न्यूनतम एक हजार रुपये जमा कराती है।
उत्तराखंड
9- इज्जत न करने वाले से शादी नहीं करुंगी
हरिद्वार के आवदीपुरहाल गांव में पिछले साल एक शादी में दूल्हे की गर्लफ्रेंड ने आकर उसे सबके सामने पीट दिया। गर्लफ्रेंड का आरोप था कि वह इस लड़के के साथ काफी समय से रिश्ते में है और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली है। ऐसे में दुल्हन ने कहा कि वह एक ऐसे लड़के के साथ शादी नहीं कर सकती जो लड़कियों की इज्जत न करता हो। मामला पंचायत की दहलीज पर पहुंचा। पंचायत ने लड़की वालों के सामने प्रस्ताव रखा कि वह चाहे तो अपनी बेटी की शादी दूल्हे के भाई से कर सकते हैं। लड़की और लड़के वालों दोनों ने ही ये प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद शादी देर रात में संपन्न हुई।