कोरबा@M4S: एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन बेजाकब्जा पर सख्त हो गया है। मुख्य मार्ग के किनारे लोगों ने व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण कर रखा है। पूर्व के अधिकारियों की अनदेखी के कारण क्षेत्र में बेजाकब्जा की बाढ़ आ गई है। अब प्रबंधन ने बेजाकब्जा पर कार्यवही शुरू कर दी है। सडक़ किनारे से बेजाकब्जा हटाया गया है। कार्यवाही से बेजाकब्जाधारियों में हडक़ंप मच गया है।
एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण करने के बाद से संजय मिश्रा ने खासकर बेजाकब्जा की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। कुसमुंडा खदान विस्तार के दौरान अनेकों अधिग्रहित ग्रामों को बसाने के लिए एसईसीएल को व्यापक पैमाने पर जमीन की आवश्यता है। ऐसे में जो भी जमीन रिक्त है उन पर प्रबंधन की पैनी नजर है। कोरबा-कुसमुंडा मार्ग पर फोरलेन का निर्माण किया जा रहा है। सडक़ किनारे बची जमीनों पर आसपास क्षेत्र के लोगों द्वारा हरे भरे पेड़ों को काटकर रातोंरात कब्जा किया जा रहा है। कई स्थानों पर साड़ी और प्लास्टिक से घेराबंदी कर अपना स्वामित्व जमीन पर प्रदर्शित कर रहे हैं। खासकर वैशाली नगर खम्हरिया और पुराने बैंक कॉलोनी के बीच सब स्टेशन से लगी नर्सरी पर व्यापक पैमाने में बेजाकब्जा किया गया है। जिसकी शिकायत कुसमुंडा जीएम संजय मिश्रा को मिली थी। जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए छुट्टी के दिन रविवार को भी तोड़ू दस्ता ने अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की। इसके साथ ही बेजाकब्जाधारियों को सख्त हिदायत दी गई है कि आने वाले समय में भी वे इसकी पुनरावृत्ति न करें अन्यथा उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। कार्यवाही से बेजाकब्जाधारियों में हडक़ंप मचा हुआ है।
सब स्टेशन क्षेत्र भी अतिक्रमण की जद में
क्षेत्र में एसईसीएल का 11 केवी क्षमता वाला विद्युत सब स्टेशन भी है। जिसके आसपास प्लास्टिक के तिरपाल को ढककर घर बनाया जा रहा था। हाईटेंशन तारों की जरा सी चिंगारी से इन तिरपाल वाले घरों में आग लगने का खतरा बना हुआ था। इस पर भी प्रबंधन ने सख्त कार्यवाही की है।
बसाहट के लिए नहीं मिल रही जमीन
एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ नौकरी मुआवजा और बसाहट को लेकर लगातार आंदोलन किये जा रहे हैं। प्रबंधन नौकरी और मुआवजा के प्रकरण को तो मुख्यालय स्तर पर निपटाने में जुटा है। परंतु बसाहट के लिए जमीन का टोटा बना हुआ है। एसईसीएल की जमीनों पर कब्जा किया गया है। ऐसे में अतिक्रमित जमीनों को खाली कराने में प्रबंधन जुट गया है। आने वाले समय में सडक़ से लगे क्षेत्रों में बसाहट दी जा सकती है, क्योंकि भूविस्थापित कई ऐसे स्थान हैं जो काफी अंदर है वहां जाना नहीं चाहते। ऐसे में इन स्थलों को खाली कर विस्थापन दिया जा सकता है।