नई दिल्ली@M4S:भारतीय के अमूल्य रत्न और मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम को आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर पूरा राष्ट्र कृतज्ञता के साथ श्रद्धांजलि दे रहा है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आज 4थी पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, नितिन गडकरी, जितेंद्र सिंह समेत देश के तमाम बड़े नेता और देशवासी उन्हें याद कर रहे हैं और श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
केंद्रीयमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने उनको विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है कि उन्हें उनसे निजी और प्रोफेशनल तौर पर जुड़ने का मौका मिला था जो उनके लिए एक बड़ी बात है। वहीं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लखा, ‘पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी को नमन’
शिलांग में लेक्चर देते हुए हुआ निधन-
आज से चार साल पहले 27 जुलाई को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। यहां वे एक कॉलेज लेक्चर देने गए थे। मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा, आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अफसोस डॉक्टरों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी। 83 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा था। उनकी सादकी से जुड़े किस्से भी लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
कलाम ने कहा था, दोबारा उपयोग में लाई जाने वाली मिसाइलों पर काम किया जाए
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, अपने निधन से महज महीने भर पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मौजूदा डीआरडीओ प्रमुख सतीश रेड्डी को दोबारा उपयोग में लाई जा सकने वाली मिसाइल प्रणाली पर काम करने के लिए कहा था। रेड्डी उस वक्त रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे।
रेड्डी ने कलाम से हुई मुलाकात को याद करते हुए बताया कि वैज्ञानिक सलाहकार बनने के बाद उन्होंने उनसे (कलाम से) उनके निधन से महज महीने भर पहले उनके आवास पर मुलाकात की थी। कलाम ने दोबारा उपयोग में लाई जा सकने वाली मिसाइलों का विचार दिया। एक ऐसी मिसाइल जो पेलोड ले जा सके, फिर वापस आ जाए और एक बार फिर दूसरा पेलोड ले जाए ”…इस तरह की प्रणाली पर काम करिये।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख ने बताया कि पहली बार बतौर एक युवा वैज्ञानिक वह 1986 में कलाम से मिले थे।
वर्ष 2012 में डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख वी के सारस्वत ने दूरदर्शन को दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि भारत दोबारा उपयोग में लाई जा सकने वाली मिसाइल प्रणाली विकसित करने की योजना बना रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘फिर से उपयोग में लाये जा सकने वाले प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (आरएलवी-टीडी) का सफल परीक्षण किया है।