पांच अगस्‍त को अयोध्‍या में शिलान्‍यास,जानिए क्‍यों खास है

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मेरठ(एजेंसी):अयोध्‍या में भगवान श्रीराम मंदिर के शिलान्यास की तिथि निश्चित हो चुकी है। यह स्वर्णिम दिवस है भाद्रपद कृष्ण द्वितीया संवत 2077, तदनुसार पांच अगस्त सन 2020। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा यह ऐतिहासिक शिलान्यास मध्यान्ह 12:15 बजे अभिजित मुहूर्त में होगा। लेकिन पूरे देश के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि पांच अगस्‍त को ही मुहूर्त क्‍यों हो रहा है। इसके पीछे क्‍या कारण है और यदि इस दिन मुहूर्त होता है तो देश को इसका क्‍या लाभ मिलने वाला है। ज्‍योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा ने इसका विश्‍लेषण किया है। पं.शिवकुमार शर्मा से जानिए पांच अगस्‍त को शिलान्‍यास क्‍यों खास है और इसका क्‍या लाभ मिलने जा रहा है। ज्‍योतिषीय दृष्‍टिकोण से यह मुहूर्त बहुत ही शुभ है।

-चर संज्ञक लग्न तुला है जो पर्यटन की दृष्‍टि से अति उत्‍तम है।
-दशम भाव में बुधादित्य योग बन रहा है जो प्रशासनिक एवं इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
-इस दिन चतुर्थ भाव में स्वराशि के शनि हैं जो पंचमहापुरुष योग बना रहे हैं। यह पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्धता प्रदान करने वाला है।
-इस दिन तृतीय भाव में धनु राशि में स्वराशि के गुरु एवं केतु हैं जो विश्व में आध्यात्मिक क्षेत्र में परम प्रसिद्धि योग बना रहे हैं।
-बुधवार को शतभिषा नक्षत्र रहेगा जो मित्र एवं मानस योग निर्मित कर रहा है।
-इस दिन अभिजित मुहुर्त है जिसे ज्‍योतिष में मौजूद समस्‍त मुहूर्तों में सर्वश्रेष्‍ठ मुहूर्त माना जाता है।
-इस दिन मुहूर्त के समय सभी ग्रह स्वराशि या मित्र राशि में दृश्यमान रहेंगे।
ऐसे शुभ एवं उत्तम योगों में रखी गई नींव (शिलान्यास) हजारों वर्षों तक भारतीय संस्कृति एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों को विश्व में जीवित रखेंगी। ऐसा शुभ मुहूर्त केवल श्रीराम मंदिर के लिए ही शुभ नहीं है बल्कि जन सामान्य लोगों के लिए भी गृह निर्माण, गृह प्रवेश एवं अन्य शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम मुहुर्त है। ‘राम राज्य बैठे त्रिलोका। हर्षित भयऊ गयऊ सब सोका।’ रामचरितमानस की इस चौपाई की प्रामाणिकता के आधार पर जब भी भगवान राम से संबंधित जो भी अनुष्ठान एवं निर्माण आरंभ होता है तो राष्ट्र की प्रगति, समृद्धि एवं विकास को गति मिलती है। वैसे भी ऐसे शुभ योग में मन्दिर निर्माण होने से देश की प्रगति से विश्व में यशोगान के योग बन रहे हैं। भारत विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम होगा।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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