मिट्टी निकासी के बाद उत्पादन आया पटरी पर
कोरबा@M4S: लीलागर नदी का पानी दीपका ओपन कास्ट में घुस गया था। प्रबंधन द्वारा मिट्टी निकासी का कार्य पूर्ण कर लेने के बाद अब कोल उत्खनन शुरू कर दिया गया है। प्रबंधन द्वारा लगभग साढ़े 3 हजार टन कोयला का उत्खनन किया गया है। धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। शनिवार से निजी कंपनी ने भी उत्खनन का काम शुरू कर दिया है।
लीलागर नदी का पानी खदान में भरने के कारण एसईसीएल की दीपका खदान में रविवार से उत्पादन ठप हो गया था। खदान में अब स्थिति सामान्य होते जा रही है। प्रबंधन ने खदान के अपर कुसमुंडा क्षेत्र में 42 क्यूबिक मीटर क्षमता की सावेल, 240 टन क्षमता के चार डंपर, 10 क्यूबिक मीटर की दो सावेल व सौ टन क्षमता के डंपर लगाकर काम शुरू किया था। इसके साथ ही कोयला पेंच सामने आने पर प्रबंधन ने कोयला निकालना भी आरंभ कर दिया है। बताया जा रहा है कि दो दिन के भीतर साढ़े तीन हजार टन से ज्यादा कोयला निकाल लिया गया है। कर्मियों को धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाने कहा गया है। इसके साथ ही कोयला उत्खनन करने निजी कंपनी को साइड सौंप दिया जाएगा।
उधर पुराना मलगांव एरिया में सीधे कोयला निकालने की कवायद प्रबंधन ने शुरू कर दी है। इस स्थल से तीन रैक कोयला प्रतिदिन मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में प्रबंधन ने कोयला स्टॉक करना शुरू कर दिया है। इसके बाद मालगाड़ी से एनटीपीसी सीपत परियोजना भेजा जाएगा।
नदी में छोड़ा जा रहा पानी
दीपका खदान में पंप लगा कर प्रबंधन ने पानी निकालने का काम शुरू कर दिया है। वर्तमान में विभिन्न् क्षमता के चार पंप प्रबंधन ने चालू कर दिया है। इन सभी पंप से प्रति मिनट 16500 गैलन पानी निकल रहा है और इस पानी को लीलागर नदी में ही छोड़ा जा रहा है। इससे नदी में फिलहाल जल स्तर बढ़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि प्रबंधन कुछ अन्य पंप भी लगाने जुट गया है। अन्य खदान से पंप मंगाने की योजना बनाई जा रहा है, ताकि जल्द पानी निकाला जा सके।
पटरी पर आया एस ई सी एल की दीपका खदान, साढ़े 3 हजार टन कोयला का खनन
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