वाराणसी(एजेंसी):तनाव आज ज्यादातर लोगों की जिन्दगी में दाखिल हो चुका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि लोग अपनी परेशानी दूसरों से कह नहीं पाते। भागमभाग भरी जिंदगी में फुर्सत से खुद को जानने और समझने का समय भी नहीं मिल पाता। यह अवसाद को जन्म देता है। ऐसे में कुछ समय अपनों के साथ बैठकर परेशानी बताएं, उनसे बात करें तो यह काफी हद तक दूर हो जायेगी। बीएचयू के शताब्दी वर्ष समारोह की कड़ी में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के मनोचिकित्सा विभाग और तनाव प्रबंधन तथा परामर्श केंद्र की ओर से रविवार को देशव्यापी अभियान हैपी इंडिया की शुरुआत की गयी। बीेएचयू के अलावा भारतीय मनोचिकित्सा संघ का सामुदायिक खंड भी मुहिम का हिस्सा है। अभियान के मुख्य कर्ताधर्ता बीएचयू के प्रख्यात मनोचिकित्सक और भारतीय मनोचिकित्सा संघ के सामुदायिक खंड के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. संजय गुप्त ने लोगों को तनाव खत्म करने के बारे में टिप्स दिए। साथ ही मुहिम की पृष्ठभूमि की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि खुद के अंदर सिमटे रह जाने के कारण ही आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. वीके शुक्ल ने कहा कि इस अभियान का प्रभाव समाज पर काफी अच्छा होगा। सर सुन्दरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओपी उपाध्याय ने कहा कि तनाव से दूर रहने के लिए ही ऋषियों ने योग और ध्यान की दीक्षा दी थी। तनाव खत्म करने के दिए टिप्स -मानसिक स्वास्थ्य की सूचना प्रणाली को दुरुस्त करना होगा -साथी के स्वभाव में अचानक परिवर्तन देखें तो तत्काल मनोविज्ञानी से संपर्क करें -दोस्तों और परिवार के साथ खुलकर मन की बात शेयर करें -प्रशासन और शासन स्तर पर भी सुव्यवस्थित प्रणाली बनानी होगी -किसी बात से तनाव हो रहा है तो तत्काल विशेषज्ञ से संपर्क करें -बीएचयू में इसके लिए खुला है तनाव प्रबंधन एवं परामर्श केंद्र संगीत भी देता है मस्तिष्क को काफी आराम हैपी इंडिया अभियान के उद्घाटन समारोह के बाद गीत-संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया। संगीत एवं मंचकला संकाय की प्रो. संगीता पंडित, शोध छात्रा शिवानी, वीकेएम की डॉ. अंजना चटर्जी ने कई फिल्मी गीत गाये, जो लोगों को खुशी का संदेश देते हैं। इनमें ‘एक प्यार का नगमा है’, ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार’, ‘आगे भी जाने न तू’, ‘चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना’ जैसे गाने शामिल रहे।