कोरबा@M4S: सर्दियों के आमद और धीरे-धीरे तापमान में कमी के साथ एक बार फिर बच्चों में खांसी-जुकाम व खासकर निमोनिया के केस बढऩे लगे हैं। बीते ढाई साल के कोरोनाकाल में भीड़ से दूरी व ज्यादातर वक्त घर में रहने की मजबूरी ने बच्चों की सेहत बेहतर बनाए रखी। वायरस संक्रमण के कठिन दौर में निमोनिया का ग्राफ भी 80 प्रतिशत तक डाउन हुआ था। अब, जबकि सोशल या फिजिकल डिस्टेंसिंग की पाबंदी थम गई है, एक बार फिर निमोनिया से ग्रसित हो रहे बच्चों का आंकड़ा बढ़ते क्रम में दिखाई दे रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों में सूजन या पानी भर जाने की स्थिति को निमोनिया कहते हैं। पर जब दोनों फेफड़ों में निमोनिया हो जाता है, तो इसे डबल निमोनिया कहा जाता है। यह एक गंभीर संक्रमण है, जो लापरवाही के चलते कई बार घातक हो सकता है। डबल निमोनिया के लक्षण निमोनिया से अलग नहीं हैं। इस स्थिति में मरीज को सांस लेने में बेहद मुश्किल हो सकती है। इसलिए निमोनिया का कोई भी संकेत नजर आए, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि समय पर सही इलाज न कराने पर यह गंभीर रूप भी ले सकती है। इसके प्रति जागरूकता के लिए हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। निमोनिया के प्रमुख लक्षण पर गौर करें तो तेज बुखार, खांसी एवं बलगम (कई बार खून के छीटें भी हो सकते है), सीने में दर्द, सांस फूलना एवं कुछ मरीजों में दस्त, मतली और उल्टी, व्यवहार में परिवर्तन जैसे मतिभ्रम, चक्कर, भूख न लगना, जोड़ों और मांशपेशियों में दर्द, सर्दी लगकर शरीर ठंडा पड़ जाना, सिरदर्द, चमड़ी का नीला पडऩा आदि शामिल हैं।
मेडिकल कॉलेज में हर 36 घंटे में एक मामला
इस संबंध में कोरबा मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मवीर सिंह ने बताया कि कोरोनाकाल में बच्चे भीड़ से दूर थे। ऐसे में निमोनिया के केसेस भी काफी कम हो गए थे। तब निमोनिया के मामले लगभग 20 प्रतिशत रह गए थे। सोशल डिस्टेंसिंग की पाबंदी हटी तो इस साल केसेस फिर पीक पर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अकेले मेडिकल कॉलेज में सप्ताह में चार से पांच बच्चे निमोनिया की शिकायत लेकर भर्ती हो रहे। यानि औसतन हर 36 घंटे में एक मामला आ रहा है। हालांकि वे रिकवर भी हो रहे, पर शारीरिक रूप से कमजोर, कुपोषित व कम रोग प्रतिरोधी बच्चों में ज्यादा असर दिखाईदेता है। डॉ. सिंह ने पालकों को बच्चों का ख्याल रखने, फ्रिज का इस्तेमाल करने बचने, ताजा भोजन करने, ठंड से बचने गर्म कपड़ों का प्रयोग कर बच्चों को सुरक्षा सुनिश्चित करने कहा है।