कोरबा@M4S:वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (व्हीएनआईटी), नागपुर के साथ समझौता (एमओयू) किया है जिसके अंतर्गत संयंत्र परिसर और आसपास के क्षेत्रों में होने वाले सड़क निर्माण कार्यों में व्हीएनआईटी द्वारा विकसित ग्रीन कांक्रीट के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
ग्रीन कांक्रीट व्हीएनआईटी का ऐसा नवाचार है जिसमें फ्लाई ऐश और बॉटम ऐश जैसे औद्योगिक अपशिष्टों का प्रयोग करते हुए निर्माण कार्य संचालित किए जाते हैं। व्हीएनआईटी ने अपने शोध में यह पाया है कि यदि हाई सॉलिड सुपर प्लास्टिसाइजर को फ्लाई ऐश में मिलाकर प्रयोग किया जाए तो कांक्रीट सड़क के निर्माण में प्रति घनमीटर फ्लाई ऐश की खपत 100 किलोग्राम से बढ़कर 500 किलोग्राम हो जाती है। इस प्रकार ग्रीन कांक्रीट के प्रयोग से प्रति किलोमीटर एकल लेन रोड के निर्माण में 600 टन फ्लाई ऐश की खपत हो सकती है। बड़े पैमाने पर ग्रीन कांक्रीट के प्रयोग से पर्यावरण का संरक्षण सुनिश्चित होगा साथ ही निर्माण कार्यों में नवाचार को गति मिलेगी।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने अपशिष्ट पदार्थों को मूल्य संवर्धित उत्पादों में तब्दील करने की दिशा मंे की गई पहल पर कहा कि ‘‘औद्योगिक अपशिष्टों मंे कमी लाने और अनेक नए प्रयोगों के जरिए उन्हें नागरिकों और पर्यावरण के लिए लाभकारी बनाने के उद्देश्य से बालको ने अपने प्रचालन में अत्याधुनिक तकनीकों को स्थान दिया है। ग्रीन कांक्रीट को बढ़ावा देने से कार्बन फुटप्रिंट में कमी होगी जो बालको के उत्कृष्ट पर्यावरण प्रबंधन का परिचायक है। हमें इस बात की प्रसन्नता है कि बालको और व्हीएनआईटी की संयुक्त पहल से निर्माण कार्यों में ग्रीन कांक्रीट से बनी संरचनाओं को बढ़ावा मिलेगा।’’
बालको वेदांता एल्यूमिनियम व्यवसाय का हिस्सा है। वेदांता एल्यूमिनियम व्यवसाय ने सीमेंट उद्योगों के साथ मिलकर कम कार्बन वाले सीमेंट के उत्पादन में फ्लाई ऐश और बॉक्साइट के अवशेषों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रति रूचि दिखाई है। ‘वेस्ट टू वेल्थ’ कार्यक्रम के अंतर्गत औद्योगिक अपशिष्टों का नवाचारपूर्ण प्रयोग सुनिश्चित करने की दिशा में वेदांता एल्यूमिनियम व्यवसाय बड़े पैमाने पर काम कर रहा है।