गेवरा खदान तीन घंटे बंद कर आऊटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने की मांग की किसान सभा ने *9 सितंबर को नरईबोध में ब्लास्टिंग,बसावट,मुआवजा,रोजगार की समस्या को लेकर महाप्रबंधक कार्यालय में होगी बैठक* *बेरोजगारों को सर्टिफिकेट देकर कल से शुरू की जाएगी ट्रेनिंग*

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कोरबा@M4S: छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में आज फिर सैकड़ों ग्रामीणों ने नरईबोध,गंगानगर समेत सभी विस्थापित गांवों के बेरोजगारों को आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार देने की मांग पर तीन घंटे तक गेवरा खदान के ओबी और कोयले के उत्पादन को ठप्प कर दिया।

प्रदर्शनकरियों को खदान के अंदर घुसने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सीआईएसएफ को लगाया गया था, लेकिन प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार गेवरा खदान के अंदर घूसकर खदान बंद कराने में सफल हो गए। इससे परिवहन गाड़ियों की लंबी कतार लग गई और कोयला ढुलाई का भी काम ठप्प हो गया। इससे एसईसीएल और आऊट सोर्सिंग कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

उल्लेखनीय है कि किसान सभा के नेतृत्व में रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है। किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि स्थानीय भूविस्थापित बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाए इस क्षेत्र के बाहर के लोगों को रोजगार बेचा जा रहा है और इसमें एसईसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनियों की पूरी मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि विस्थापन प्रभावित लोगों के लिए रोजगार का प्रबंध करना एसईसीएल की जिम्मेदारी है, लेकिन भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा प्रबंधन अपने इस सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने से मुकर रहा है। ग्राम नरईबोध में ब्लास्टिंग की समस्या के साथ बसावट मुआवजा की समस्या के समाधान नहीं होने पर आगे और उग्र आंदोलन होगा।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर,जय कौशिक तथा भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव और दामोदर श्याम ने भूविस्थापित बेरोजगारों को खनन कार्यों में सक्षम बनाने हेतु प्रशिक्षण कैम्प लगाने की मांग करते हुए आउटसोर्सिंग कंपनियों में कार्य कर रहे लोगों का पुलिस वेरीफिकेशन करने की मांग की है, ताकि रोजगार खरीदने वाले लोगों का स्पष्ट पता लग सके। उन्होंने कहा कि नरईबोध, गंगानगर सहित दर्जनों गांव खनन परियोजना से प्रभावित है और हजारों परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने को मजबूर है।
नरईबोध गांव के किसान सभा की अध्यक्ष कांति कंवर, पूर्णिमा महंत,जीरा बाई, सुकल बाई, गिरजा बाई ने कहा कि गांव में ब्लास्टिंग से ग्रामीणों के घरों को काफी नुकसान हुआ है जिसका क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाये तथा बसावट मुआवजा रोजगार को लेकर ग्रामीणों के पक्ष में जबतक कोई फैसला नहीं होता है तब तक गांव में किसी भी प्रकार के नापी होने पर विरोध किया जायेगा।

तीन घंटे की खदान बंदी के बाद एसईसीएल के प्रोजेक्ट महाप्रबंधक एस.पी.भाटी और एपीएम एस. परिडा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारी नेताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि कल से वीटीसी सर्टिफिकेट देकर ट्रेनिंग शुरू किया जाएगा और 9 सितंबर को नरईबोध में ब्लास्टिंग,बसावट, मुआवजा की समस्या के समाधान के लिए गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय में बैठक कर समस्याओं के समाधान पर चर्चा किया जाएगा। उनके इस आश्वासन के बाद खदान बंदी खत्म की गई।
खदान बंद आंदोलन में प्रमुख रूप से मन्नू कुमार, राजू दास, विवेक दास, हरिकेश,देवनारायण, उमेश, धाम,हर नारायण, दीनानाथ,मोहन यादव,हरिशंकर, विजय, अशवनी, मोहन कौशिक,दिलहरण बिंझवार, सुमेन्द्र सिंह,नरेंद्र यादव,होरी,अमरजीत कंवर,संजय यादव, रघु कंवर,पुरषोत्तम, रामायण के साथ बड़ी संख्या में विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगार शामिल थे। किसान सभा ने कहा कि सभी गांव के बेरोजगारों को एकजुट करके बड़ी आंदोलन की तैयारी की जा रही है।

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