खदानों में नई तकनीक का किया जाएगा इस्तेमाल  मेगा परियोजनाओं में नहीं चलेंगे पे लोडर

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कोरबा@M4S:जिले में स्थित एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में कोयला खनन में नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा। कोयला खनन के लिए आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। मशीनें सतह से कोयला को काटकर कन्वेयर बेल्ट के जरिए सीधे साइलो तक पहुंचाएगी। यहां से कोयला रेल के डिब्बे में लोड किया जाएगा। इसे अलग-अलग स्थानों तक पहुंचाया जाएगा।
वर्तमान में मेगा प्रोजेक्ट में ब्लॉस्टिंग के जरिए कोयला तोड़ा जाता है। टिपर में भरकर रेलवे साइडिंग तक पहुंचाया जाता है। यहां पे लोडर का इस्तेमाल कर रेल की बोगियों में कोयला लोड किया जाता है। इससे कोल डस्ट उड़ती है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है। स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इससे बचने के लिए कंपनी कन्वेयर बेल्ट के जरिए सीधे तक कोयला ले आएगी। यहां से रेल की बोगियों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर पहुंचाया जाएगा। इसके लिए मेगा प्रोजेक्ट में साइलो का निर्माण किया जा रहा है। कन्वेयर के जरिए कोयला परिवहन पर भी काम हो रहा है। कोल डस्ट को रोकने के लिए स्प्रिंक्लर की संख्या बढ़ाई जा रही है।लोडिंग में भी कंपनी पे लोडर का इस्तेमाल नहीं करेगी। इसकी जानकारी एसईसीएल के डॉयरेक्टर टेक्निकल प्लानिंग एसके पाल ने दी है। पाल कोरबा में आयोजित खान सुरक्षा पखवाड़ा 2021 सह पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा है कि कोयला खनन में नई तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। डॉयरेक्टर टेक्निकल ने बताया कि पे लोडर के जरिए एक रैक कोयला लोडिंग करने में लगभग 40 हजार रुपए का डीजल जलता है। साथ ही लगभग 100 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। मशीन से खनन और कन्वेयर के जरिए साइलो तक कोयला परिवहन होने से पर्यावरण को साफ सुधरा बनाने में मदद मिलेगी।

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